Tuesday, April 23, 2024

स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत मिली। दुनिया भर में धूम मचाने वाली वह फ़िल्म थी, ‘पथेर पांचाली’। साल...

रामदेव को फिर सुप्रीम फटकार, मेडिकल अराजकता पर SC का...

मेडिकल अराजकता पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए जहां बाबा रामदेव को आज फिर फटकार लगायी वहीं सुनवाई के दौरान गुमराह करने वाले हेल्थ के दावों से संबंधित मुद्दों...

बीएचयू गैंगरेप मामला: बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता के जख्मों को...

उत्तर प्रदेश के बनारस में बीएचयू-आईआईटी की सेकेंड ईयर की छात्रा के साथ पिछले साल एक नवंबर को हुई गैंगरेप की वारदात के जख्मों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बार फिर...

ग्राउंड रिपोर्टः भदोही के क़ालीन बुनकरों की कोई नहीं...

भदोही। उत्तर प्रदेश का भदोही जनपद अपने क़ालीनों के लिए दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन घरों में सजने वाली इन क़ालीनों को बनाने वाले...

चुनावी बांड, पीएम केयर्स दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला: परकला...

राजनीतिक अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने चुनावी बांड में शामिल फंड की मात्रा को देखते हुए चुनावी बांड मुद्दे को "दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला" करार...

मोदी के भाषण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं, आयोग...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'कांग्रेस संपत्ति का पुनर्वितरण करेगी' वाली टिप्पणी पर उन पर निशाना साधते हुए राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा कि भारत...

2024 के चुनाव में फासीवादी ताकतों को निर्णायक चोट...

पटना। भाकपा-माले की स्थापना की 56वीं वर्षगांठ पर पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सभी पार्टी सदस्यों और शुभचिंतकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि...

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

कहर साबित हुई उत्तराखंड में बेमौसम बारिश

अत्यधिक वर्षा, भूस्खलन और तबाही, जलवायु परिवर्तन के लक्षण साफ हैं। पर हम जलवायु-परिवर्तन को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, बड़े-बड़े समाधान के बारे में सोचते हैं, लेकिन उसके...

बेचैन करती है जलवायु परिवर्तन पर यूएन की...

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट बेचैन करने वाली है। इस रिपोर्ट ने पहली बार जलवायु परिवर्तन के लिए मानवीय गतिविधियों को ‘असंदिग्ध’रूप...

जंगलों और पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटी...

हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर प्रकाशित मसौदा दस्तावेज पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यावरणवादियों और...

पुस्तक समीक्षा: निष्‍ठुर समय से टकराती औरतों की...

शोभा सिंह का कहानी संग्रह, 'चाकू समय में हथेलियां', विविध समाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री संघर्ष। भारतीय समाज के विभिन्न तबकों से उठाए गए पात्र महिला अस्तित्व और स्वाभिमान की कहानियां बयान करते हैं। इस संग्रह में अन्याय और संघर्ष को दर्शाने वाली चौदह कहानियां सम्मिलित हैं।

स्मृति शेष : जन कलाकार बलराज साहनी

अपनी लाजवाब अदाकारी और समाजी—सियासी सरोकारों के लिए जाने—पहचाने जाने वाले बलराज साहनी सांस्कृतिक...

राजपूतों का देशव्यापी विरोध बीजेपी के लिए बन गया है गले की हड्डी

अहमदाबाद। चुनाव जीतने के लिए भाजपा की व्यूह रचना हर एक स्टेट में अलग होती है जिसमें गुजरात हमेशा से प्रयोगशाला बना हुआ है। गुजरात में जो स्ट्रैट्जी काम कर जाती है उसे दूसरे स्टेट में भी भाजपा...