हिमांशु कुमार
पिछले कुछ समय से सीबीआई बहुत चर्चा में है। कुछ समय पहले मोदी सरकार ने सीबीआई के प्रमुख को हटा दिया था क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार की जांच कर रहा था। फिर जब सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई के प्रमुख को फिर से अपने पद पर वापस नियुक्त करने के लिए कहा तो अगले ही दिन मोदी ने उनका तबादला कर दिया। इससे सारे देश को समझ में आ गया कि मोदी सचमुच भ्रष्टाचार करने के बाद डरे हुए और खुद को बचाना चाह रहे हैं।
मोदी के आने के बाद सारे देश के विपक्षी नेताओं को डरा कर भाजपा के खिलाफ जाने से रोकने के लिए और मोदी के पक्ष में रखने के लिए भाजपा सरकार सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई की इसी तरह की हरकत करने की कोशिश पर सीबीआई के अधिकारियों को ही गिरफ्तार कर लिया। इस पर काफी शोर शराबा हो रहा है।
सीबीआई के साथ मेरा कुछ व्यक्तिगत अनुभव आज आपके सामने साझा कर रहा हूं। सन 2011 की बात है छत्तीसगढ़ में पुलिस ने 3 गांवों में जाकर आदिवासियों के 300 घरों को जलाया था पांच महिलाओं से बलात्कार किया था और तीन आदिवासियों की हत्या की थी। उन गांवों का नाम ताड़मेटला,तिम्मापुरम और मोरपल्ली है।
गांव जलाने की पुलिस की इस हरकत का नेतृत्व बदमाश पुलिस अधिकारी कल्लूरी कर रहा था। मैंने इस मामले को मीडिया तक पहुंचाया और उसके बाद कलेक्टर ने जब वहां जाने की कोशिश की तो कलेक्टर को कल्लूरी ने पिस्तौल दिखाकर वापस भगा दिया। वहां के विधायक को धमका कर वापस भेज दिया। स्वामी अग्निवेश राहत सामग्री लेकर उस गांव में जा रहे थे तो उन पर पुलिस ने पथराव करवाया। गांव तक जाने की कोशिश करने वाली मीडिया के लोगों को डरा कर वापस भगा दिया।
अनिल मिश्रा और अमन सेठी ने इसे अपने अखबारों में छापा।

इस घटना की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की गई। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच करने के लिए कहा। सीबीआई वाले मेरे पास आए। मैंने उन्हें बताया कि पुलिस वालों ने गांव में जाकर घर जलाए हैं 5 महिलाओं से बलात्कार किया है और 3 आदिवासियों की हत्या की है। सीबीआई के अधिकारी मुझसे गुस्सा होकर धमकाने के अंदाज में कहने लगे कभी पुलिस भी गांव जलाती है क्या? मैंने सीबीआई अधिकारियों को बताया कि आपको शायद छत्तीसगढ़ की हालत पता नहीं है वहां पुलिस ने बड़े पैमाने पर गांव जलाए हैं। सीबीआई के अधिकारी भी पुलिस वाले ही होते हैं। मुझसे एक सीबीआई अधिकारी ने कहा आपको कुछ कागजात पढ़ने के लिए छत्तीसगढ़ आना पड़ेगा। मैंने कहा छत्तीसगढ़ सरकार मेरी हत्या करना चाहती है मैं छत्तीसगढ़ नहीं आऊंगा। सीबीआई अधिकारी ने कहा तो हम आपको लिखित में नोटिस देकर बुलाएंगे। मैंने कहा आप नोटिस भेजिए मैं उसका जवाब दे दूंगा। सीबीआई अधिकारी ने कहा कि आपको इस घटना की सूचना किसने दी? मैंने सीबीआई से कहा कि मैं आपको अपने सूचना स्रोत का नाम नहीं बता सकता क्योंकि उस आदिवासी का नाम अगर मैं आपको बता दूंगा तो पुलिस उस आदिवासी की हत्या कर देगी। सीबीआई के अधिकारी नाराज होकर वहां से चले गए।

बाद में जब सीबीआई की टीम इस घटना की जांच करने गांव में पहुंची तो छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नियुक्त विशेष पुलिस अधिकारियों ने सुकमा में सीबीआई की टीम पर हमला कर दिया।सीबीआई की टीम ने खुद को बचाने के लिए अपने को सरकारी गेस्ट हाउस के एक कमरे में खुद को बंद कर लिया। विशेष पुलिस अधिकारी बाहर से दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश करने लगे तो सीबीआई के अधिकारीयों ने अंदर से अलमारी और सोफे दरवाजे पर खड़ा कर खुद को बचाया। विशेष पुलिस अधिकारियों ने सीबीआई पर बाहर से फायरिंग शुरू कर दी। अंत में केंद्र सरकार को सीआरपीएफ भेजनी पड़ी। जिन्होंने सीबीआई के अधिकारियों को वहां से निकाल कर अपने बैरक में ले गए।
उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार थी। भाजपा द्वारा नियुक्त विशेष पुलिस अधिकारियों ने केंद्र की कांग्रेस सरकार की सीआरपीएफ पर गोली चलाई। बदले में केंद्र की कांग्रेस सरकार की सीआरपीएफ ने भाजपा सरकार के राज्य के विशेष पुलिस अधिकारियों पर बम चलाए। सीबीआई ने इस पूरी घटना की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की। सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल सीबीआई का वह एफिडेविट संलग्न है।

आज संसद में भाजपा सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह दहाड़ रहे हैं कि सीबीआई अधिकारियों को रोककर ममता बनर्जी ने संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया है और ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है। लेकिन राजनाथ सिंह झूठ बोल रहे हैं। भाजपा सरकार तो पहले खुद ही सीबीआई पर हमला करवा चुकी है।
इसके बाद की कहानी यह है कि जब भाजपा सरकार द्वारा सीबीआई पर हमला हुआ तो सीबीआई ने चिढ़कर सच्ची-सच्ची रिपोर्ट लिख दी जिसमें लिखा गया कि पुलिस वालों ने ही गांव को जलाया था और कल्लूरी खुद इस घटना में सीधे-सीधे जिम्मेदार था।
इस जांच के दौरान ही केंद्र में भी भाजपा की मोदी सरकार आ गई और कल्लूरी खुद को बड़ा राष्ट्रवादी और हिंदूवादी बताने लगा। भाजपा सरकार ने सीबीआई पर दबाव डाला और कल्लूरी का नाम इस जांच में से निकाल दिया। सीबीआई की वह मूल जांच रिपोर्ट भी हमारे पास मौजूद है जिसमें कल्लूरी का नाम मूल जांच रिपोर्ट में शामिल था। आज भाजपा सीबीआई से बड़ी हमदर्दी जताने की कोशिश कर रही है तो यह सिर्फ एक नाटक है क्योंकि सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार छत्तीसगढ़ में अपने शासनकाल में खुद सीबीआई पर हमला करवा चुकी है।
(हिमांशु कुमार गांधीवादी कार्यकर्ता हैं।)