जनचौक ब्यूरो
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पीएम मोदी के खिलाफ राष्ट्रपति को एक कड़ा खत लिखा है। जिसमें उन्होंने पीएम मोदी द्वारा कांग्रेस नेताओं को दी गयी धमकी की न केवल निंदा की है बल्कि उसे पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है। साथ ही कहा है कि ये प्रधानमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ है।
पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस नेताओं को दी गयी धमकी निंदनीय है। ये एक अरब 30 करोड़ लोगों द्वारा निर्वाचित किसी प्रधानमंत्री की भाषा नहीं हो सकती है। इस तरह का संबोधन वो निजी हो या फिर सार्वजनिक कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

मनमोहन सिंह के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा हस्ताक्षरित इस खत में कहा गया है कि इस्तेमाल किए गए शब्द बेहद खतरनाक हैं और अपमान करने के साथ ही शांति को भंग करने की मंशा से बोले गए हैं।
पत्र की शुरुआत में कहा गया है कि “भारत का प्रधानमंत्री भारत के संविधान के तहत विशिष्ट हैसियत रखता है। वो केंद्रीय कैबिनेट का मुखिया होता है केंद्रीय कार्यपालिका जिसको रिपोर्ट करने के साथ ही उससे आदेश भी लेती है।”
इसके बाद उस शपथ पत्र का पूरा ब्योरा दिया गया है जिसे शपथ के समय कोई भी पीएम पढ़ता है। उसके बाद कहा गया है कि इतिहास में भारत के सभी प्रधानमंत्री सार्वजनिक या फिर निजी कर्तव्यों का पालन करते हुए मर्यादा और परंपराओं को बरकरार रखते थे। हमारे जैसी लोकतांत्रितक व्यवस्था में ये सोचा भी नहीं जा सकता है कि सरकार के मुखिया के तौर पर कोई प्रधानमंत्री ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेगा जो धमकी भरे और भयभीत करने वाले होंगे साथ ही मुख्य विपक्षी पार्टी या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों और नेताओं के लिए सार्वजनिक चेतावनी सरीखे होंगे।
इसमें बताया गया है कि 6 मई 2018 को कर्नाटक के हुबली में सार्वजनिक भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि “.....कांग्रेस के नेता कान खोलकर सुन लीजिए, अगर सीमाओं को पार करोगे, तो ये मोदी है, लेने के देने पड़ जाएंगे....”

इसके साथ ही पार्टी ने उस वीडियो को भी दिया है। जिसमें पीएम मोदी ने इन लफ्जों को इस्तेमाल किया है।
पी चिदंबरम से लेकर अशोक गहलोत और मोतीलाल बोरा, दिग्विजय सिंह से लेकर अंबिका सोनी और करन सिंह से लेकर मुकल वासनिक के इस पत्र पर हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है और इसने बहुत सारी चुनौतियों और धमकियों का सामना किया है। और इस तरह की चुनौतियों का पार्टी नेतृत्व ने हमेशा साहस और निर्भयता के साथ मुकाबला किया है। पत्र में कहा गया है कि “हम यहां बताना चाहते हैं कि न ही पार्टी और न ही हमारे नेता इस तरह की धमकियों के सामने झुकने वाले हैं।”
एक संवैधानिक प्रमुख होने के नाते भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और उसकी कैबिनेट को सलाह और दिशा निर्देश देने का काम करते हैं। प्रधानमंत्री से यहां तक कि चुनाव प्रचार के दौरान भी इस तरह की धमकी भरी भाषा के इस्तेमाल की आशा नहीं की जाती है जो अपने निजी और राजनीतिक झगड़े को हल करने के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर अपने विशेषाधिकारों और शक्तियों के इस्तेमाल की श्रेणी में आता है।
अंत में कहा गया है कि माननीय राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को विपक्षी दलों और उसके नेताओं के खिलाफ इस तरह की भाषा के इस्तेमाल से बचने के लिए उन्हें चेतावनी दे सकते हैं। क्योंकि ऐसा किसी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति के लिए शोभा नहीं देता है।
https://www.youtube.com/watch?v=_sd3aSn7GU4