Friday, March 29, 2024

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100 साल बाद भी गोलवलकर की विरासत की काली छाया में आरएसएस

मुंबई में 4-5 अक्टूबर 2023 को आयोजित अपनी वार्षिक संगोष्ठी में ‘इंडिया टुडे’ ने आरएसएस पर केन्द्रित एक सत्र भी रखा था। सत्र का विषय था, “आरएसएस के 100 वर्ष: एम.एस. गोलवलकर अब भी क्यों टिके हुए हैं?” सत्र...

संविधान, तिरंगा और संघीय ढांचे का विरोधी रहा है संघ: पढ़िए गोलवलकर के विचार

भारत और इंडिया का विवाद, जानबूझकर पैदा किया गया विवाद है। इसका उद्देश्य है विपक्षी गठबंधन को नुकसान पहुंचना और आरएसएस के धर्म आधारित राष्ट्रवाद की चाशनी मे एक और भटकाऊ मुद्दा इस चुनावी साल में जनता के समक्ष...

26 मई, 2014 को स्वतंत्रता दिवस मानने वालों की निगाह में क्या है कुर्बानियों का मोल?

फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अकेली भारतीय नागरिक नहीं जो कि यह मानती हैं कि भारत को असली आजादी 15 अगस्त, 1947 को नहीं बल्कि 26 मई, 2014 को मिली थी। इस धारणा के लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा...

गोलवलीकरण से गोडसेकरण की ओर

पिछले सप्ताह भारत सरकार के संस्कृति मंत्री के गोलवलकर की महिमा का बखान करते हुए किये गए ट्वीट ने देश के राजनीतिक विमर्श को आधिकारिक रूप से एक नयी नीचाई तक पहुंचा दिया है। यह बखान इसलिए काबिले गौर...

गोलवलकर की पतनशील विचारधारा को प्रेरक तत्व मानता है मौजूदा सत्ताधारी दल

भारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा...

संदर्भ भारत छोड़ो आंदोलन: गोलवलकर और सावरकर का था स्वतंत्रता आंदोलन से 36 का रिश्ता

भारत के स्वाधीनता संग्राम की जो विशेषताएं उसे विलक्षण बनाती हैं, उनमें उसका सर्वसमावेशी स्वरूप और निर्णायक तौर पर अहिंसक प्रवृत्ति मुख्य हैं। महात्मा गांधी ने स्वाधीनता आंदोलन और समाज सुधार को अपरिहार्य रूप से अन्तर्सम्बन्धित कर दिया था।...

हिंसा अशांत करती है, तोड़ती है और बांटती है: गांधी

1939 में गोलवलकर ने एक पुस्तक लिखी थी- वी ऑर आवर नेशनहुड डिफाइंड। इस पुस्तक के पांचवें अध्याय में वे यह दर्शाते हैं कि जब तक अल्पसंख्यक समुदाय अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और  प्रजातीय विशेषताओं का पूर्ण परित्याग नहीं करेंगे और हिन्दू धर्म...

बीजेपी दूसरी संस्कृतियों की कब्र पर खिलाना चाहती है बहुसंख्यक संस्कृति का फूल

कश्मीरी छात्रों और छात्राओं ने स्वतन्त्रता दिवस से तीन दिन पहले आई ईद-उल-अदहा का आयोजन 12 अगस्त, 2019 को जंतर-मंतर पर किया, कारण था उनका अपने घर कश्मीर की वादियों में न जा पाना। इस आयोजन ने दुखद और दिल को...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...