Friday, March 29, 2024

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दिल्ली विश्व पुस्तक मेला: क्या यह हिन्दी जाति की बौद्धिकता का अवसान है?

दिल्ली में दिनांक 10.2.24 से 18.2.24 तक हुए विश्व पुस्तक मेले का समापन हो गया है। कवि-लेखक और प्रकाशक आलोक श्रीवास्तव अपनी फेसबुक वॉल पर लिखते हैं-"20 साल पहले तक हिन्दी के लगभग डेढ़ हज़ार प्रकाशक पुस्तक मेले में...

भारत में प्रबोधन के महानायक पेरियार ललई सिंह

           उत्तर भारत के हिंदी क्षेत्र को लेकर यह धारणा बनी हुई है कि जहां हिंदी पट्टी ने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई, वहीं सांस्कृतिक पुनर्जागरण में इसका अपेक्षित योगदान लगभग नगण्य रहा। कबीर और रविदास ने भक्ति-आंदोलन...

स्मृति दिवस पर विशेष: दिनेश ठाकुर, थिएटर जिनकी सांसों में बसता था

हिन्दी रंगमंच की दुनिया में दिनेश ठाकुर की पहचान रंगकर्मी, अभिनेता और नाट्य ग्रुप ‘अंक’ के संस्थापक और निर्देशक के तौर पर है। ‘अंक’ का सफ़र साल 1976 में शुरू हुआ, जो उनके इस दुनिया से जाने के बाद...

हिंदी एक भाषा नहीं- एक संस्कार, एक जीवन शैली है

हिंदी साहित्य और आलोचना को समृद्ध करने में लगे मनीषी निरंतर यह प्रयास करते रहते हैं कि देश और दुनिया में जो कुछ भी नया घट रहा है उसकी अभिव्यक्ति हिंदी में हो या हिंदी को इतना समर्थ बना...

डॉ. पीएन सिंह: बौद्धिक आकाश को नया क्षितिज देने वाला अलहदा तारा

डॉ.परमानंद सिंह यानी पीएन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके जाने से सचमुच शदीद रंज-ओ-मलाल है। वे आला मार्क्सवादी नक़्क़ाद और बेहद ज़हीन दानिशवर थे। समूचे हिंदी साहित्यिक एवं एकेडमिक जगत में उनकी आर्गेनिक जनबुद्धिजीवी के तौर पर...

नॉर्थ-ईस्ट डायरी: स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के केंद्र के कदम का पूर्वोत्तर में हो रहा विरोध

समूचे पूर्वोत्तर ने इस क्षेत्र पर हिंदी को "थोपने" के केंद्र के कदम के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 अप्रैल को कहा था कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 10वीं तक...

  हिंदी पट्टी की बहुजन राजनीति को कैसे निगल रही है भाजपा

हिंदी पट्टी में राजनीतिक वर्चस्व भारत की केंद्रीय सत्ता पर राजनीतिक वर्चस्व का रास्ता खोलता है। हिंदी पट्टी की घनी जनसंख्या और भारत में जनसंख्या आधारित राजनीतिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के चलते भारत के अन्य हिस्सों पर इसका राजनीतिक...

उत्तर और दक्षिण के बीच पुराना है सांस्कृतिक रिश्ता

यह एक विडंबना है कि हिंदी पट्टी के लोग भारत की संस्कृति और भाषा का दायरा बस उतना ही मानते हैं जहां तक उन भाषाओं का बोलबाला है जिन्हें आर्यभाषा देश कहा जाता है। यानी पंजाब से बंगाल तक...

हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद: साहित्य और जीवन के भ्रम और यथार्थ

सोशल मीडिया पर हिंदी के लेखकों और प्रकाशकों के बीच संबंध के बारे में अभी जो बहस उठी है, वह जितनी दिलचस्प है, उतनी ही विचारोत्तेजक भी है। इसमें एक प्रकार से हिंदी साहित्य और पाठकों के बीच के...

हिंदी प्रकाशक चुरा रहे हैं लेखकों की मेहनत की कीमत

हिंदी के अप्रतिम लेखक विनोद कुमार शुक्ल के ऑडियो और वीडियो से उनके प्रकाशकों द्वारा उनका शोषण किये जाने की घटना के रहस्योद्घाटन से हिंदी जगत का एक हिस्सा काफी हद तक हतप्रभ है और उसने सोशल मीडिया पर...

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भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत से कौन डरता है?

भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत से कौन डरता है? इस वर्ष मार्च तक आते-आते भारत में राजनीतिक सामाजिक...