Thursday, April 25, 2024

Premchand

प्रलेस स्थापना दिवस: इजराइल के ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीन की खुशहाली के ख़्वाब

इंदौर। प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई ने अपना स्थापना दिवस फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष के नाम समर्पित किया। अभिनव कला समाज सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में कलाकारों ने फिलिस्तीनी कवियों के गीत गाए, उनके संघर्षों पर केंद्रित...

प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना और प्रेमचंद

9 अप्रैल, प्रगतिशील लेखक संघ का स्थापना दिवस है। साल 1936 में इसी तारीख को लखनऊ के मशहूर ‘रिफ़ाह-ए-आम’ क्लब में प्रगतिशील लेखक संघ का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ था। जिसमें बाक़ायदा संगठन की स्थापना की गई। अधिवेशन...

आजादी के पहले का भारत समझना है तो प्रेमचंद, आजादी के बाद का भारत समझना है तो परसाई को पढ़ें

इंदौर। आजादी के पहले का हिंदुस्तान समझने के लिए प्रेमचंद को पढ़ना जरूरी है। अंग्रेजों और उनसे पहले मुगलों ने भी भारत को समझने के लिए तत्कालीन साहित्य का अध्ययन किया था। प्रेमचंद ने कहा था कि "हमें हुस्न...

भक्ति आंदोलन में जो जगह कबीर की है, वही प्रेमचंद की भारतीय नवजगारण में है

जिस ऐतिहासिक कार्यसूची के इर्द गिर्द 19वीं 20वीं सदी के भारतीय नवजागरण का नक्शा उभर कर सामने आया था, शायद उसमें मध्यकालीन सरंचनाओं से बंधे एक परम्परागत समाज की अपनी जातीयता और आधुनिकता की खोज के लक्ष्य सबसे केन्द्रीय...

हिंदी पट्टी के सवर्ण राष्ट्रवाद के चश्में से दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और दक्षिण भारत को न देखें

क्या देश में हिंदुत्व नव-राष्ट्रवाद समग्र भारत का ‘स्थायी भाव व चरित्र’ बन चुका है? क्या हिंदी भारत में राजनैतिक हिंदुत्व उफान को शेष देश का भी हिंदुत्व उफान माना जाना चाहिए? क्या सांप्रदायिकता के सांचे में देश का बहुसंख्यक समाज ढल चुका है? और क्या भारतीय राज्य की परिवर्तित राजनैतिक...

प्रेमचंद: किसान-मजदूर और पिछड़े-दलितों के प्रतिनिधि रचनाकार 

आज महान कथा सम्राट और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का 143वां जन्मदिन है। महज 56 वर्ष की उम्र में 15 उपन्यास, 300 के लगभग कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के समसामयिक आलेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका,...

पुन्नी सिंह का साहित्य प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाता है- वीरेन्द्र यादव

शिकोहाबाद। उत्तर प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की शिकोहाबाद इकाई ने वरिष्ठ कथाकार पुन्नी सिंह के नये उपन्यास 'साज कलाई का, राग ज़िंदगी का' के लोकार्पण और इस पर केन्द्रित एक परिचर्चा का आयोजन रखा। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि...

प्रगतिशील लेखक संघ और उसकी विरासत

साल 1936 में लखनऊ में अज़ीम उपन्यासकार प्रेमचंद की सदारत में एक बड़े जलसे के साथ 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना हुई। उसके बाद पूरे मुल्क में इसकी इकाईयों का विस्तार हुआ। बंबई में भी 'अंजुमन तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन' की...

जयंती पर विशेष: वर्तमान में नहीं रही प्रेमचंद युग की पत्रकारिता

वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के...

‘जुर्माना’ कहानी की समीक्षा के बहाने: पसमांदा समाज के महान कथाकार थे मुंशी प्रेमचंद

कथाकार प्रेमचंद की कहानी ‘ज़ुर्माना’ अशराफ बनाम पसमांदा के बीच अंर्तद्वन्द्व को समझने के लिए बेहतरीन कहानी है। इस कहानी को सस्ता साहित्य मंडल ने ‘प्रेमचंद की संपूर्ण दलित कहानियां’ में जगह दी है। यह कहानी इसलिए भी महत्वपूर्ण...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...