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संस्कृति-समाज
24 अक्टूबर, अफ़साना निगार इस्मत चुग़ताई की याद का दिन
समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्मत चुग़ताई का नाम किसी तआरुफ़ का मोहताज नहीं। वे जितनी हिंदोस्तान में मशहूर हैं, उतनी ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी। उनके चाहने वाले यहां भी हैं और वहां भी। आज भी उर्दू और...
संस्कृति-समाज
जुबान और भाषा किसी मजहब की बपौती नहीं- जावेद अख्तर
अमरीक -
मशहूर तरक्कीपसंद अदीब और नगमाकार जावेद अख्तर को इस बात पर गहरा अफसोस है कि उर्दू को सिर्फ मुसलमानों की जुबान मान लिया गया है। पाकिस्तान दौरे के बाद चंडीगढ़ आए जावेद अख्तर ने कहा कि अगर उर्दू महज...
संस्कृति-समाज
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो ये कर लें: निदा फ़ाज़ली स्मृति दिवस
निदा फ़ाज़ली उर्दू और हिन्दी ज़बान के जाने-पहचाने अदीब, शायर, नग़मा निगार, डायलॉग राइटर थे। निदा फ़ाज़ली ने कुछ अरसे तक पत्रकारिता भी की, लेकिन उनकी अहम शिनाख़्त एक ऐसे शायर की है, जिन्होंने अपनी शायरी में मुल्क की...
संस्कृति-समाज
जब बेदी और मंटो में ख़तो-किताबत बंद हो गई
अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का दौर वह हसीन दौर था, जब उर्दू अदब में सआदत हसन मंटो, कृश्न चंदर, इस्मत चुग़ताई और ख़्वाजा अहमद अब्बास जैसे महारथी एक साथ अपने अफ़सानों से पूरे मुल्क में धूम मचाए हुए...
ज़रूरी ख़बर
खालिद जावेद और शारिक कैफ़ी को उर्दू अकादमी सम्मान
Janchowk -
उर्दू अदब में बरेली ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस साल उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने उर्दू के जिन दो रचनाकारों को सम्मानित किया है, दोनों का वास्ता बरेली शहर से है। इस बार यह पुरस्कार उर्दू...
बीच बहस
हताश बीजेपी सांप्रदायिकता के नये-नये पैंतरों की तलाश में
भाजपा के मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आज एक नीतिगत बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि उर्दू और फारसी के वे शब्द जो हिंदी भाषा में आ गए हैं उन्हें पाठ्यक्रमों से बाहर निकाल...
संस्कृति-समाज
मजाज़ जन्मदिन विशेष: एक शायर जिसका गम से था ख़ास रिश्ता
कहने की जरूरत नहीं कि आज मजाज दुनिया पे छाए हुए हैं। लेकिन, हिंदी हो या उर्दू अदब, मजाज का मूल्यांकन ठीक से आज तक नहीं किया गया। एक तरक्कीपसंद शायर, जिसने कभी नरगिस को देखकर कहा था- तेरे...
बीच बहस
1857 की क्रांति, उर्दू पत्रकारिता और भारतीय पत्रकारिता का पहला शहीद
उर्मिलेश -
सबसे पहले तो इस किताब के शीर्षक में ‘क्रांति’ शब्द पर ध्यान जाता है। अपने देश में सन् 1857 के ब्रिटिश हुकूमत-विरोधी जन-विद्रोह को तरह-तरह की संज्ञाओं और विशेषणों से नवाजा जाता है। तब भारत में ब्रिटिश कंपनी-ईस्ट इंडिया...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: फ़ारूक़ी में हिंदुस्तानी तहज़ीब और अदबी रिवायत की थी गहरी समझ
समूचे दक्षिण एशिया की उर्दू-हिंदी अदबी दुनिया में शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का नाम किसी तआरुफ़ का मोहताज़ नहीं। उनका नाम बड़े ही इज़्ज़त-ओ-एहतराम के साथ लिया जाता है। आधुनिक उर्दू आलोचना में किया गया फ़ारूक़ी का काम संगे मील है।...
संस्कृति-समाज
कृश्न चंदर की पुण्यतिथि: कड़वी हकीकत का सच्चा अफसानानिगार
उर्दू अदब, खास तौर से उर्दू अफसाने को जितना कृश्न चंदर ने दिया, उतना शायद ही किसी दूसरे अदीब ने दिया हो। इस मामले में सआदत हसन मंटो ही उनसे अव्वल हैं, वरना सभी उनसे काफी पीछे। उन्होंने बेशुमार लिखा, हिंदी और उर्दू...
Latest News
ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना
आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...
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