ज़रा सोचिए... , , बुधवार , 19-04-2017
जनचौक ब्यूरो
गुवाहाटी। आठ महीने पहले ओडीसा में आदिवासी दाना माझी के अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर ले जाने की घटना के बाद इसी तरह का एक और मामला सामने आया है। जिसमें एक शख्स को अपने 18 साल के छोटे भाई का शव साइकिल पर रख कर ले जाना पड़ा है। खास बात ये है कि घटना असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनवाल के विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी हुई है। हालांकि स्थानीय चैनलों पर दृश्य के दिखाए जाने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री सोनवाल ने मामले का संज्ञान लिया और उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को घटना स्थल पर जाने का निर्देश दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं।
क्या है पूरा मामला
बताया जाता है कि मरीज लखीमपुर जिले के बालीजान गांव का रहने वाला था जो मुख्यालय से 8 किमी दूर है। इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आयी खबर में मजूली के डिप्टी कमिश्नर पी जी झा ने बताया कि “मरीज एक ऐसे गांव से संबंध रखता है जो लखीमपुर जिले में आता है। लेकिन उसके परिवार के सदस्यों ने उसे गारामुर के सिविल अस्पताल में ले जाने का फैसला लिया जो उनके नजदीक था। उनका गांव अभी ऐसी रोड से नहीं जुड़ सका है जिससे होकर मोटर जा सके। साथ ही गारामुर जाने वाले मुख्य रास्ते को पकड़ने के लिए उन्हें एक अस्थाई बांस के पुल से भी होकर गुजरना पड़ता है।”
डॉक्टरों का पक्ष
झा ने बताया कि मरीज डिंपल दास को सोमवार की सुबह 3.30 मिनट पर छह लोग जिले के मुख्यालय में स्थिति अस्पताल लेकर आये। लेकिन अभी डाक्टर मरीज की जांच करते उससे पहले ही उसकी मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि “वो मरीज को एक साइकिल पर ले आए थे। श्वांस संबंधी समस्या के चलते हुई मौत के बाद वो लोग उसके शव को साइकिल में ही बांध कर लेते गए। ऐसा अस्पताल के पास शववाहन उपलब्ध होने के बाद भी हुआ।”
दूसरी तरफ सिविल अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट मानिक मिली का कहना है कि दास को गंभीर श्वास संबंधी बीमारी थी और उसे बहुत गंभीर अवस्था में अस्पताल में ले आया गया था। मिली ने कहा कि “ ड्यूटी पर मौजूद डाक्टरों ने जांच में मरीज में गंभीर श्वांस संबंधी बीमारी पाया। लेकिन अभी उसे आक्सीजन सिलेंडर लगाया जाता उसके पहले ही उसकी मौत हो गयी। डाक्टर ने शव को ले जाने के लिए शववाहन बुलाया लेकिन परिजन गाड़ी के ड्राइवर का इंतजार किए बगैर ही शव को लेकर गए।”
सीएम ने लिया संज्ञान
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनवाल ने घटना पर गंभीर चिंता जाहिर की है। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक को मजूली जाकर घटना की जांच करने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि पिछली अगस्त में इसी तरह की एक घटना असम के कालाहाड़ी में सामने आयी थी जिसमें दाना माझी नाम के एक आदिवासी को अपनी पत्नी के शव को 12 किमी तक कंधे पर रखकर ले जाना पड़ा था। उसे ऐसा इसलिए करना पड़ा था क्योंकि उसके पास शववाहन को देने के लिए पैसे नहीं थे।