प्रतिनिधि फोटो।

केंद्र के नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब में बड़े आंदोलनों की तैयारी

 केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंडीकरण की बाबत जारी नए अध्यादेशों के खिलाफ कृषि प्रधान सूबे पंजाब में बड़े पैमाने पर राजनैतिक पार्टियां और किसान संगठन जन-आंदोलन शुरु करने जा रहे हैं। राज्य में इन दिनों केंद्र और भाजपा की किसान विरोधी नीतियों का जबरदस्त विरोध किया जा रहा है।        

कांग्रेस ने व्यापक जिला स्तरीय आंदोलन की रणनीति बनाई है। प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के मंत्रियों, कांग्रेस सांसदों और विधायकों तथा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी बैठक करके इसका खाका तैयार किया। बैठक के बाद जाखड़ ने बताया कि केंद्र के ताजा अध्यादेश कृषि को समूचे तौर पर ‘लॉकडाउन’ की तरफ धकेल देंगे। किसानी इनसे पूरी तरह तबाह हो जाएगी। कांग्रेस नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ गांव-गांव जाकर किसानों को लामबंद करेगी। ग्रामीण प्रधान जिले फतेहगढ़ साहिब से 19 जून को केंद्र के खिलाफ बड़े आंदोलन का आगाज किया जा रहा है।

सुनील कुमार जाखड़ के मुताबिक, “पंजाब के कांग्रेसी विधायक दिल्ली के पंजाब भवन से प्रधानमंत्री निवास तक रोष मार्च करेंगे। 19 जून को हम फतेहगढ़ साहिब में आंदोलन का बिगुल बजाएंगे। इसके बाद हर जिले में लघु समागम होंगे। इनमें जिले के विधायक, जिला पार्टी पदाधिकारी, जिला परिषद और ब्लॉक समिति सदस्य तथा गांवों के सरपंच शमूलियत करेंगे। कोविड-19 के मद्देनजर भीड़ नहीं इकट्ठा की जाएगी। विधायक और सरपंच गांव-दर-गांव जाकर किसानों को नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि अध्यादेशों की विसंगतियों की बाबत बताएंगे। शर्मनाक है कि शिरोमणि अकाली दल इस मुद्दे पर खुलकर कोई स्टैंड नहीं ले रहा। केंद्र के ये अध्यादेश आढ़तियों, मजदूरों और ट्रांसपोर्टरों की भी कमर तोड़ देंगे।”         

पंजाब के तमाम किसान संगठनों ने भी केंद्र के नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ एकजुट होकर बड़ा आंदोलन करने का फैसला किया है। विभिन्न किसान संगठनों में बेशक आपसी मतभेद हैं लेकिन इस मुद्दे पर वे एकमत हैं। किसान संघर्ष कमेटी एक हफ्ते से धरना-प्रदर्शन कर रही है। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं, “धान की रोपाई खत्म होने के बाद पंजाब के किसान समूचे राज्य में सड़कों पर ट्रैक्टर उतार कर केंद्र के नए कृषि अध्यादेशों का मुखर विरोध करेंगे।” प्रमुख किसान यूनियन-एकता उगराहा के प्रधान जोगिंदर सिंह के अनुसार इस बार का किसान आंदोलन बेमिसाल होगा और किसान अपने हितों के लिए दिल्ली दरबार तक पुरजोर दस्तक देंगे। अन्य आठ किसान संगठनों ने राज्य भर में आंदोलन शुरु करने की घोषणा की है।                                                   

प्रमुख वामपंथी पार्टियों सीपीआई और सीपीएम ने भी ऑर्डिनेंस के खिलाफ प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरु करने की बात कही है।                              

इनके अतिरिक्त तेज-तर्रार विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की अगुवाई वाली लोक इंसाफ पार्टी 22 जून से साइकिल यात्रा के जरिए रोष मार्च शुरु करेगी। कृषि अध्यादेशों के खिलाफ यह साइकिल मार्च अमृतसर से शुरु होगा तथा विभिन्न पड़ावों से होता हुआ चंडीगढ़ तक जाएगा। बैंस कहते हैं कि केंद्र का कृषि अध्यादेश-2020 किसान विरोधी तो है ही, संविधान प्रदत्त राज्यों के मूल अधिकारों का कातिल भी है। उधर, भाजपा के शासन वाले उत्तर प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा सिख किसानों के विस्थापन का मुद्दा लगातार गरमा रहा है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वह इस प्रकरण पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी से बात करेंगे। कैप्टन ने तीन पीढ़ियों से उत्तर प्रदेश में रह रहे सिख परिवारों को विस्थापित करने की मीडिया रिपोर्टों पर गहरी चिंता जताई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कोई भी कार्रवाई देश के संघीय ढांचे और संविधान के खिलाफ है, जिसमें हर भारतीय को देश के किसी भी हिस्से में रहने की आजादी मिली हुई है। 1980 में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से रामपुर, बिजनौर और  लखीमीपुर रह रहे सिख किसानों को स्वामित्व के अधिकार दिए गए थे। कैप्टन ने कहा कि वह पूरे मामले की तह में जाएंगे।                                    

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने भी एक प्रस्ताव पारित कर के योगी सरकार द्वारा पंजाबी किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल करने की तीखी आलोचना की है। सीपीआई के राज्य सचिव बंत सिंह बराड़ कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश में सिख किसानों पर सरासर जुल्म ढा रही है। कानून ने उन्हें वहां बसाया था और फासीवादी सोच वाली राज्य व्यवस्था उन्हें उजाड़ने पर लग गयी है।

(अमरीक सिंह पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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