20 किसान नेताओं को लुकआउट नोटिस, गाजीपुर बॉर्डर खाली करने के निर्देश

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पुलिस ने 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। तीन दिन में इसका जवाब दें। जिन नेताओं को नोटिस दिए गए हैं, उनमें राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलदेव सिंह सिरसा, बलबीर सिंह राजेवाल और जगतार सिंह बाजवा प्रमुख हैं। पुलिस ने इन सबको जो नोटिस दिया है, उसमें यह भी कहा है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले में तोड़फोड़ करना एक देश विरोधी हरकत है। उधर, 30 जनवरी को किसान प्रायश्चित उपवास रखें।

राकेश टिकैत को नोटिस देने पुलिसकर्मी दोपहर गुरुवार दोपहर 12.30 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे, लेकिन टिकैत नोटिस लेने के लिए सामने नहीं आए तो पुलिस ने उनके टेंट पर नोटिस चिपका दिया। जगतार सिंह बाजवा ने भी मीटिंग में होने की बात कह कर नोटिस नहीं लिया। ऐसे में पुलिस उनके टेंट पर नोटिस चिपकाकर लौट गई।

नोटिस में यूनियन नेताओं से दिल्ली के पुलिस उपायुक्त चिन्मय बिस्वाल ने यह स्पष्ट करने को कहा है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान समझौता तोड़ने को लेकर क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही नोटिस में किसान नेता से ई-मेल या फैक्स के जरिये तीन दिन में जवाब मांगा गया है। इसके अलावा संगठन के उन लोगों के नाम भी मांगे हैं जो हिंसक गतिविधियों में लिप्त थे।

20 किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी
बता दें कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। इसका मतलब है कि ये किसान नेता बिना इजाजत विदेश नहीं जा सकेंगे, उनके पासपोर्ट जब्त किए जाएंगे। वहीं, एक घंटे बाद खबर आई कि लाल किले में हिंसा करने वालों पर पुलिस ने राजद्रोह का केस दर्ज किया है। लुकआउट नोटिस के मामले में सूत्रों का कहना है कि जिन 37 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने बुधवार को FIR दर्ज की थी, उनमें से 20 के खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं।

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बंद की गई बिजली-पानी की आपूर्ति
गाजीपुर में कल रात से बिजली काटने के बाद आज सुबह से पानी की सप्लाई रोक दी गई है। रसद लाने वाले वाहन भी पहुंचने नहीं दिए गए। अब पुलिस ने पांच बजे तक सड़क खाली करने की चेतावनी दी है और इससे वहां तनाव है। इसके अलावा वहां सुरक्षा बैरिकेड्स जो लगाए गए थे वो हटा लिए गए हैं, जिससे गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई है। ये किसान आंदोलनकारियों पर दबाव बनाने की प्रशासन की रणनीति है।

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, जोकि उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन के अधीन आता है वहां कल रात से ही योगी आदित्यानाथ सरकार ने किसान आंदोलन के खिलाफ़ दमनकारी नीति अपनाई है। कल रात आठ से नौ बजे के बीच ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बिजली काट दी गई है। इसके अलावा पानी की सप्लाई भी काट दी गई है, जिससे किसानों को लंगर के लिए पानी बाहर से ढो ढोकर लाना पड़ रहा है। इसके अलावा आंदोलन स्थल से मोबाइल टॉयलेट की संख्या भी कम कर दी गई है, जिससे बॉर्डर पर किसानों को बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

कल दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर UP के बागपत जिले के बड़ौत में धरने पर बैठे किसानों पर हमला करके यूपी पुलिस ने लाठीचार्ज करके किसानों को वहां से धकेल दिया। बता दें कि बागपत में पिछले 40 दिन से किसान धरने पर बैठे थे। लाठीचार्ज के बाद बागपत में किसान आंदोलन की कमान संभाल रहे बृजपाल सिंह की गिरफ्तारी की भी ख़बर है।

30 जनवरी को किसान रखेंगे प्रायश्चित उपवास
कल रात प्रेस कान्फ्रेंस करके संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 30 जनवरी को प्रायश्चित उपवास की घोषणा की गई है। बता दें कि 30 जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शहादत दिवस भी है, जिनकी 70 साल पहले नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

वहीं किसान नेता युद्धवीर सिंह ने हिंसा की घटनाओं पर माफी मांगते हुए कहा है, “गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ वो शर्मनाक है। मैं गाजीपुर बॉर्डर के पास था। जो उपद्रवी वहां घुसे उनमें हमारे लोग शामिल नहीं थे। फिर भी मैं शर्मिंदा हूं और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।”

वहीं ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार रात बिजली-पानी की आपूर्ति हटाने और यूपी सरकार और प्रशासन के दमनकारी कदम की संभावनांओं के बीच कहा है, “सरकार दहशत फैलाने का काम कर रही है। इस तरह की कोई भी हरकत पुलिस-प्रशासन न करे। किसान गांवों में हैं, जो लोकल के थाने हैं, किसान वहां पर जाएंगे। ये सरकार पूरी तरह ध्यान रख ले। इस तरह की कोई भी हरकत वहां होगी तो पूरी जिम्मेदारी सरकारों की होगी।”

वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने कहा है, “किसान आंदोलन को पहले दिन से ही बदनाम करना शुरू किया गया। 70 करोड़ किसान जो मेहनत कर देश को अन्न देता है वह देशद्रोही है, इस तरह देशद्रोही बोलने की हिम्मत किसकी होती है, जो देशद्रोही होता है, वही किसानों को देशद्रोही बोलते हैं।”

उधर दिल्ली की दूसरी सीमा पर हरियाणा की भाजपा सरकार ने 2000 किसानों के खिलाफ कई संगीन धाराओं में केस दर्ज करके उनकी धर-पकड़ में लगी हुई है। इसके अलावा 28 जनवरी शाम पांच बजे तक सोनीपत, पलवल, और झज्जर जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं निलंबित रहेंगी।

वहीं कल रात प्रेस कान्फ्रेंस में दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने चार किसान नेताओं (सतनाम सिंह पुन्नू, दर्शन पाल सिंह, बूटा सिंह और राकेश टिकैत) का नाम लेते हुए उन्हें हिंसा भड़काने का दोषी बताया था, जबकि उन्होंने लाल किले पर किसान संगठन और निशान साहिब का झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू का नाम तक नहीं लिया। कुल मिलाकर दिल्ली पुलिस किसान नेताओं को अपराधी बताकर आंदोलन खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

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