अडानी ग्रुप पर कर्ज का बढ़ता बोझ, पिछले एक साल में 21 प्रतिशत कर्ज और बढ़ा

अडानी ग्रुप पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। ब्लूमबर्ग न्यूज के मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह का कर्ज पिछले एक साल में लगभग 21 प्रतिशत बढ़ गया है। इस कर्ज का करीब 33 प्रतिशत विदेशी बैंकों का है।

अडानी ग्रुप ने यह कर्ज गिरवी शेयरों, बांडों और ऋृण चुकाने के लिए लिया है। शार्ट-सेलर्स हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी के शेयरों में तेजी से गिरावट आई थी। जिसके बाद निवेशकों और ऋृणदाताओं का विश्वास अडानी समूह पर कमजोर पड़ने लगा। अपने निवेशकों और ऋृणदाताओं का विश्वास जीतने के लिए अपने बड़े निवेशकों और ऋृण देने वालों के साथ अडानी समूह ने रोड़ शो किया था।

मिंट ने अपनी एक अलग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया कि वित्तीय वर्ष मार्च तक अडानी ग्रुप ने घरेलू म्यूचुअल फंडों और बांड़ों को कम से कम 3 बिलियन डॉलर का भुगतान किया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अडानी समूह ने कम से कम 445.31 मिलियन डॉलर कॉमर्शियल पेपर्स का भी चुकाया। अडानी समूह ने इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

24 जनवरी को यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी की कंपनियां 85 फीसदी ‘ओवर-वैल्यूड’ हैं। साथ ही ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर का भी आरोप लगाया गया था।

अपनी कंपनियों के मार्केट कैप में जबरदस्त गिरावट के बाद अब अडानी ग्रुप (Adani Group) विदेश से कर्ज लेने की कोशिशों में  लगा हुआ था। इस ग्रुप ने 400 मिलियन डॉलर (33.15 अरब रुपये) जुटाने के लिए ‘ग्लोबल क्रेडिट फंड्स’ के साथ चर्चा शुरू की थी। अडानी ग्रुप एक प्रमुख कोयला बंदरगाह के एसेट्स पर यह कर्ज जुटाना चाहता था। यह बंदरगाह विवादास्पद करमाइकल खदान से ग्रुप के ठोस जीवाश्म ईंधन के ऑस्ट्रेलियाई एक्सपोर्ट में एक बड़ा हिस्सा रखता है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने इकॉनामिक टाइम्स को यह जानकारी दी थी।

अडानी ग्रुप ने कई बड़े ‘हाई यील्ड ग्लोबल क्रेडिट फंड्स’ के साथ बातचीत शुरू की थी। साथ ही ग्रुप को अब तक संभावित कर्जदाताओं से दो ‘इंडिकेटिव टर्म शीट्स’ भी मिली हैं। एक सूत्र ने कहा, अडानी ग्रुप ‘NQXT’ के कैश फ्लो पर फंड जुटाना चाहता है। इसका उद्देश्य दूसरे पेमेंट्स के लिए फंड अपस्ट्रीम करना है।’ अडानी ग्रुप के साथ जुड़े उधारदाताओं में ‘हेज फंड Farallon Capital’ सहित की दूसरे शामिल हैं।

अडानी ग्रुप किसी भी तरह अपने संकट को टालना चाहता है। निवेशकों और कर्जदाताओं का विश्वास फिर से जीतना चाहता है। जो विश्वास हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद डिग गया है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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