पुलिस ने कहा जंतर-मंतर पर धरना नहीं देने देंगे, महिला पहलवानों ने कहा हम वहीं धरना देंगे

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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरना स्थल को खाली करा दिया है। दिल्ली पुलिस ने रविवार को धरना स्थल से टेंट, गद्दे, चटाइयां, कूलर और स्पीकर को टेम्पो और ट्रकों में भरकर उठा ले गई। इससे पहले, पुलिस ने पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया को हिरासत में लिया था, क्योंकि वे प्रदर्शनकारियों के साथ नए संसद भवन की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे थे। नए संसद भवन के पास महिला महापंचायत होनी थी।

पुलिस के मुताबिक रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में छात्रों, कार्यकर्ताओं, किसानों और श्रमिक संघ के नेताओं सहित 700 लोगों को हिरासत में लिया गया था। जंतर मंतर पर तीन पहलवानों सहित 109 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था। देर शाम महिला बंदियों को रिहा कर दिया गया।

दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने कहा अब पहलवानों को धरना देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहलवानों ने जो किया वह बेहद गैर जिम्मेदाराना था। हम उन्हें अब धरना प्रदर्शन नहीं करने देंगे। हमने उनसे धरना स्थल से नहीं हटने को कहा था लेकिन उन्होंने नहीं सुना। 8-9 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने कानून तोड़ा और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे। हमने क्षेत्र को साफ कर दिया है… पहलवानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और कहा है कि अगर वे वापस लौटे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

साक्षी मलिक ने सोमवार को ट्वीट किया-“हम लड़ेंगे और हम जीतेंगे… ये जो दिन है ये भी बीतेंगे!”

https://twitter.com/SakshiMalik/status/1663063523612831744

रविवार को दोपहर में दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से बहुत ज्यादती की। धरना स्थल को चारों तरफ से घेर दिया था तो दिल्ली की सीमाओं को सील कर पहलवानों के समर्थकों और किसानों को आने से रोका गया।

दिल्ली पुलिस के बयान के बाद पहलवानों ने ट्वीट किया है कि वे फिर से जंतर-मंतर पर धरना शुरू करेंगे।

रविवार शाम को मलिक ने ट्वीट किया कि विरोध खत्म नहीं हुआ है। “पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद, हम जंतर-मंतर पर फिर से अपना सत्याग्रह शुरू करेंगे। अब महिला पहलवानों का सत्याग्रह होगा…तानाशाही नहीं।”

पहलवानों ने कहा कि वे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे। एक अन्य पहलवान ने कहा, “हम हार नहीं मानेंगे। पुनिया और अन्य अभी भी हिरासत में हैं। उनके रिहा होने के बाद हम वापस जाएंगे और अपना विरोध शुरू करेंगे। वे हमारा सामान हटा सकते हैं, हमें नहीं।”

दिल्ली पुलिस ने रविवार को नई दिल्ली के डीसीपी प्रणव तयाल के नेतृत्व में 500 से अधिक महिला पुलिसकर्मियों और 1,400 पुरुष कर्मियों को तैनात किया था। इसके साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स के जवान अलग थे। कुल मिलाकर जंतर-मंतर को छावनी में बदल दिया गया था।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को कालकाजी, मयूर विहार, मालवीय नगर, बुराड़ी और नजफगढ़ में हिरासत में लिया गया था, इसलिए वे रिहा होने के बाद नई दिल्ली क्षेत्र में इकट्ठा नहीं हो सके।

पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना आंदोलन फिर से शुरू कर दिया था, जिसमें एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई थी।

विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने बार-बार अनुरोध और चेतावनियों को नजरअंदाज किया और उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले पुलिस कर्मियों के साथ “कुश्ती” की।

पहलवानों पर आईपीसी की धारा 188, 186 के तहत एफआईआर

दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पहलवानों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। एफआईआर के मुताबिक, “जंतर मंतर पर हुई हाथापाई में पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और संगीता फोगाट, विरोध-प्रदर्शन के आयोजकों और अन्य लोगों के खिलाफ नई दिल्ली जिले के संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है।”

पुलिस के मुताबिक पहलवानों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 332 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य से डराने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दर्ज की गई है।

आईपीसी की धारा 352 (गंभीर उकसावे के अलावा हमला या आपराधिक बल), 147 (दंगे) और 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 (सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत) भी की गई है।

ट्विटर पर विनेश फोगाट ने कहा कि दिल्ली पुलिस को डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में सात दिन लग गए, जबकि “शांतिपूर्ण तरीके से” विरोध करने वालों को बुक करने में सात घंटे भी नहीं लगे।

धरना स्थल को खाली कराने के बाद पुलिस कर्मी

नए संसद भवन के पास, जंतर मंतर के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और पहलवानों के विरोध में शामिल होने की योजना बना रहे कई किसान समूहों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोक दिया गया था।

भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने दावा किया कि हरियाणा में कई किसान नेताओं को कुछ घंटों के लिए हिरासत में लिया गया। बीकेयू नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में एक समूह ने गाजीपुर सीमा पर धरना दिया, इसलिए सीमा को बंद कर दिया गया था क्योंकि वे आंदोलनकारी पहलवानों द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।

पहलवानों पर पुलिसिया कार्रवाई की विपक्ष ने की आलोचना

दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ POCSOअधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। कई विपक्षी दलों ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं करने के लिए पुलिस अधिकारियों की आलोचना की है और विरोध करने वाले पहलवानों का समर्थन किया है।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और वामपंथी नेताओं ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ किए गए व्यवहार की निंदा की।

ममता बनर्जी ने कहा, “यह शर्मनाक है कि हमारे चैंपियन के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है। लोकतंत्र सहिष्णुता में निहित है, लेकिन निरंकुश ताकतें असहिष्णुता और असंतोष को दबाने पर पनपती हैं। मैं मांग करती हूं कि उन्हें पुलिस द्वारा तुरंत रिहा किया जाए। मैं अपने पहलवानों के साथ खड़ी हूं।”

खिलाड़ियों ने की पुलिस बर्बरता की निंदा

पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की कुछ खिलाड़ियों ने निंदा की। सुनील छेत्री ने कहा कि पहलवानों को घसीटा जा रहा है, दृश्य देखकर बहुत दुख होता है।

भाला फेंक में मौजूदा ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने ट्विटर पर साक्षी द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो के जवाब में लिखा, “मुझे यह देखकर दुख हुआ है। इससे निपटने के लिए एक बेहतर तरीका होना चाहिए।” वीडियो में विनेश और संगीता को पुलिस अधिकारी जमीन पर धसीटते दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हमारे पहलवानों को बिना सोचे समझे घसीटे जाने की क्या जरूरत है? यह किसी के साथ व्यवहार करने का तरीका नहीं है। मैं वास्तव में आशा करता हूं कि इस पूरी स्थिति का आकलन उसी तरह से किया जाना चाहिए जैसा कि होना चाहिए।”

भारत के पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने पीड़ा व्यक्त की और लिखा “मैं अपने एथलीटों के साथ हो रहे इन दृश्यों को देखकर बहुत दुखी हूं कृपया इसे जल्द से जल्द हल करें।”

रविवार को जंतर-मंतर पर पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान बदसलूकी करते, उनको गिरफ्तार किया गया। लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उल्टे बीजेपी आईटी सेल के लोग हिरासत में ली गयी खिलाड़ियों की तस्वीरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से एडिट करके मुस्कराते हुए चेहरे वाली तस्वीरें पोस्ट करके अफवाह फैलाने में लगे थे।

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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