सेना में मध्य स्तर के अधिकारियों की भारी कमी, सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति पर चल रहा विचार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से प्रतिवर्ष 2 करोड़ रोजगार सृजन का वादा किया था। लेकिन सरकार में आने के बाद से मोदी सरकार रोजगार के अवसरों का सृजन की बजाए पहले से सृजित पदों पर भी नियुक्ति करने पर रोक लगा दी है। यह सिर्फ विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अस्पतालों और रेलवे तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश की रक्षा करने वाली सेना में भी नियुक्ति पर रोक लगा दी है। जिसके कारण सेना में अधिकारियों की कमी हो गई है। भर्ती पर रोक की वजह से सेना के कई महत्वपूर्ण पदों पर योग्य सैन्य अधिकारियों का अभाव हो गया है। सेना इस कमी को पूरा करने के लिए सेना मुख्यालय से अधिकारियों का तबादला कर फील्ड में भेजने का निर्णय किया है।

अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, “मेजर और कैप्टन स्तर पर अधिकारियों की भारी कमी का सामना कर रही भारतीय सेना, इकाइयों में अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न मुख्यालयों में स्टाफ अधिकारियों की नियुक्ति को कम करने की योजना बना रही है”। एक बात जो जगजाहिर है कि देश की सुरक्षा हरेक सरकार के लिए प्राथमिक मुद्दा होता है और सेना में किसी की प्रकार कमी का मतलब है देश की सुरक्षा में कमी जो कि देश को ना काबिले-बर्दाश्त है।

सेना ने हाल ही में प्रस्तावित कदम की संभाव्यता पर विभिन्न कमांडों से जानकारी मांगी है। वर्तमान में, मेजर रैंक के मध्य स्तर के अधिकारियों को लगभग छह साल की सेवा पूरी होने पर दूसरे कोर, कमांड और डिवीजन के मुख्यालयों में स्टाफ नियुक्ति के रूप में पहला अनुभव प्रदान किया जाता है। 

एक कर्मचारी नियुक्ति का मतलब है एक मुख्यालय में नियुक्त होना जहां अधिकारी विभिन्न विषयों की नीति और समन्वय को संभालता है, जबकि एक इकाई के नियुक्ति के विपरीत जहां अधिकारी मुख्य रूप से संचालन और जमीनी कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। 

इस वक्त सेना में आर्मी मेडिकल कोर और आर्मी डेंटल कोर में 8,129 अधिकारियों की कमी है। नौसेना और भारतीय वायु सेना में क्रमश 1,653 और 721 अधिकारियों की कमी है।

अधिकारियों की इस कमी को ध्यान में रखते हुए, सेना ने पहले जहां तक संभव हो सका, कुछ कर्मचारियों की नियुक्तियों में 461 गैर-सूचीबद्ध अधिकारियों को तैनात किया था। वर्तमान प्रस्ताव में मुख्यालय में इन कर्मचारियों में से कुछ नियुक्तियों में अस्थायी रूप से कटौती करना भी शामिल है जब तक कि सेना में चल रही अधिकारियों की कमी पूरी न हो जाए।

इस दिशा में प्रस्ताव यह है कि जूनियर और मध्य स्तर के अधिकारी, जो वर्तमान में विभिन्न मुख्यालयों में तैनात हैं, 24 महीने का अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें बिना किसी समय गंवाये मुख्यालय से बाहर तैनात कर दिया जाएगा।

सेना में चल रही अधिकारी रैंक के अफसर की कमी युवाओं के लिए अच्छे मौके की तरह है। लेकिन सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार देश में बरोजगारी को कम करना चाहती है या फिर युवाओं के साथ इसी तरह से खेलती रहेगी। हालांकि, अधिकारियों की कमी सेना विभाग में है और ऐसे में सरकार के लिए जरूरी भी हो जाता है कि वह देश की सुरक्षा में किसी प्रकार की कोताही ना बरते। 

सेना के अधिकारियों के मुताबिक, सेना इस कमी को पूरा करने के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों की तैनाती पर विचार कर रही है। पुनः नियोजित अधिकारी वह होते हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद दो से चार साल तक सेना में सेवा करते हैं और ब्रिगेडियर और कर्नल के पद पर होते हैं।

एक अधिकारी ने कहा, सेना में इस समय लगभग 600 पुनर्नियुक्त अधिकारी हैं। सेना में पुनः नियुक्ति स्वैच्छिक है। पुनर्नियुक्त अधिकारी मौजूदा स्टाफ अधिकारियों से काफी वरिष्ठ हैं और उनमें से कुछ ने 20-25 साल पहले ही ऐसी नियुक्तियां हासिल कर ली होंगी।” इस प्रकार, उन्हें केवल चुनिंदा नियुक्तियों में ही तैनात करना संभव होगा।”

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