Friday, April 19, 2024

शिक्षक दिवस पर सभी विद्यार्थियों के नाम एक शिक्षक का पत्र

प्यारे विद्यार्थियों,
कल 5 सितंबर यानी शिक्षक दिवस है। इस अवसर पर तुम सबसे कुछ कहने का मन है। सोचता हूं कहां से शुरू करूं! तुम्हें लगता होगा कि क्लास में हम शिक्षक ही तुम्हें पढ़ाते-सिखाते हैं। पर यकीन मानो अनुभव में तुम सब से ज्यादा होते हुए भी हम शिक्षक भी रोज कुछ नया सीखते हैं। तुम्हारी बातें, जीवन के अनुभव, चंचलता, कभी-कभी हैरान कर देने वाले काम और सबसे बढ़कर बहुत कुछ जानने की जिज्ञासा, यह सब बातें हम शिक्षकों को नया सीखते रहने को प्रेरित करती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये आदतें कुछ कम हो जाती हैं। पर तुम सबमें तो भरपूर होती हैं।

वैसे सीखना अधिकतर मामलों में सामूहिक रूप से ही होता है और इस मामले में हम सब एक ही टीम हैं। क्लास के अंदर अपने दोस्तों और अध्यापकों के साथ सीखने, मजे करने का जो अनुभव होता है, वह ताउम्र याद रहता है। मुझे तो यह इतना याद रहा कि मैंने पूरी जिंदगी स्कूल में रहना ही चुना और शिक्षक बना। शिक्षकीय पेशे में होना हम शिक्षकों के लिए महज आठ घंटे की नौकरी नहीं बल्कि पूरा जीवन होता है।

शिक्षक अक्सर आप लोगों को विषयों को पढ़ने, याद करने, अभ्यास कार्य लिखने और दुहराने को कहते ही रहते हैं। पर मैं आपसे एक बात और कहना चाहता हूं। हमारे जीवन में पढ़ाई-लिखाई और किताबें बेशक बहुत उपयोगी हैं, लेकिन जिंदगी किताब नहीं है। किताबें तो बस उसे समझने में मददगार होती हैं। कुछ भी करते हुए हम सीखते रहते हैं। इस करने में खेलना, महसूस करना, काम में हाथ बंटाना, घूमना, दोस्तों के साथ मस्ती करना, जानवरों और पक्षियों को देखकर खुश होना, प्रकृति को निहारना सभी कुछ शामिल है। इसीलिए यह सब खूब मन लगाकर करो। हां, जीवन में अनुशासित होना भी जरूरी है। हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए और सभी कामों में सामंजस्य बनाना चाहिए। अपने विषयों और दूसरी अच्छी किताबों को मन लगाकर पढ़ना बहुत जरूरी है।

प्यारे बच्चों, लिखना भी एक मजेदार गतिविधि है। अपने अनुभवों को कहानी, संस्मरण, कविता, चित्र आदि के रूप में दर्ज करने से हमारी रचनात्मकता तो बढ़ती ही है, हमारे स्वयं के सोचने-समझने के कई सिरे भी खुलते हैं। प्रकृति सबसे बड़ी शिक्षिका है। खिलते हुए फूल, उड़ती हुई चिड़िया, आसमान में तैरते हुए बादल, बहती हुई नदी सब कितने अच्छे लगते हैं, है ना! ऐसी बहुत सी बातों ने मनुष्यों को खोजने और अविष्कार करने को सदा प्रेरित किया है। जरा सोचो! उड़ती चिड़िया को देखकर ही तो इंसान के मन में उड़ने की इच्छा ने जन्म लिया होगा और वह हवाई जहाज बनाने को प्रेरित हुआ होगा।

एक बात और। गलती, भूल, सुधार सब सीखने के हिस्से हैं। सफलताएं हमें और बेहतरी की ओर जाने को प्रेरित करती हैं तो असफलताएं भी बहुत कुछ सिखाती हैं। बल्ब का अविष्कार करने वाले थॉमस अल्वा एडीसन का नाम आपने जरूर सुना होगा। बहुत बार असफल होने के बाद भी उन्होनें हार नहीं मानी थी। वे कहते थे कि मैं हर बार असफल होकर भी यह सीखता हूं कि यह काम इस तरीके से नहीं होगा। अंत में उन्हें सफलता मिली और पूरी दुनिया रोशन हुई। बिना जगमग बल्बों के क्या आप आज की दुनिया की कल्पना कर सकते हैं? इसलिए बिना सफलता-असफलता की ज्यादा परवाह किए बस नई-नई चीजें सीखने का आनंद लेना चाहिए। और हां, सीखना पूरी उम्र चलता रहता है। आपके सभी शिक्षक, माता-पिता आदि भी कुछ न कुछ सीख ही रहे होते हैं।

शिक्षा जीवन को गहराई से समझने, व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक और इंसान बनाने में मददगार होती है। वह हममें सोच-समझ कर फैसले लेने, परिस्थितियों का सामना करने, किसी भी बात को गहराई से समझने और अच्छा व्यवहार अपनाने की क्षमता पैदा करती है। अपने आस-पास के परिवेश और देश से प्रेम एक सहज मानवीय भाव है। जहां हमें अपने देश के गौरवशाली अतीत, स्वतंत्रता के साझे संघर्षों और संविधान में पिरोए गए मूल्यों पर गर्व करते हुए उनका सम्मान करना चाहिए, वहीं ऐसे प्रयास भी करने चाहिए कि हम अपने देश और समाज को निरंतर बेहतर बना पाएं। कोई भी देश या समाज परफेक्ट या पूरी तरह से दोषरहित नहीं होते। कमियों, समस्याओं और चुनौतियों की पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है।

एक बात और, हमारा देश जहां विविधता से परिपूर्ण है, वहीं बहुत सारी असमानताएं भी हैं। हमें सभी पहचानों के प्रति समानता और सम्मान दर्शाते हुए और एक-दूसरे के अधिकारों और गरिमा को बनाए रखते हुए शोषण, गैर बराबरी और अन्यायों के विरोध में आवाज उठानी चाहिए। किसी भी व्यक्ति से महज इस कारण नफरत करना या उसके प्रति अलग सोच रखना क्योंकि वह आपकी पहचान से अलग पहचानों से जुड़ा है, गलत है।

शिक्षा हमें ऐसे पूर्वाग्रहों और बुरी धारणाओं से बचा कर बेहतर इंसान बनने की ओर भी ले जाती है। बच्चों, तुमने गांधी जी का विश्व प्रसिद्ध जंतर पढ़ा ही होगा, जिसमें कुछ भी करने से पहले वह यह सोचने को कहते हैं कि इस काम को करने से समाज के सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति को क्या फायदा या नुकसान होगा। यदि हम जीवन में इसे अपना पाएं तो यह जीवन जीने का अमूल्य मंत्र साबित होगा। ऐसा करके हम अपने देश और समाज को बेहतर बनाने का ही काम करते हैं। कोई भी देश वहां के लोगों से ही बनता है। लोगों की बेहतरी और सम्मान के लिए काम करना दरअसल देश के लिए काम करना है। यही सच्चा देशप्रेम और सच्ची देश भक्ति है। पढ़ाई-लिखाई हमारी इस समझ को भी तराशती है।

प्यारे बच्चो, सीखने के लिए जिज्ञासा का होना और सवाल पूछना जरूरी है। हर बात को बेहतर ढंग से और अलग-अलग दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करो। शिक्षकों और बड़ों का सम्मान करो और जहां उचित लगे सवाल भी उठाओ। अपनी रुचियों और क्षमताओं को पहचान कर पूरे जी-जान से उसमें जुटो। कुछ भी करने से पहले सोचो कि इस काम से किसी का नुकसान या अपमान तो नहीं होगा, खासकर उनका जो समाज में गरीब, कमजोर या हमसे अलग पहचान वाले लोग हैं। तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी। आपके माता-पिता, अभिभावक, स्कूल, शिक्षक सब आपके साथ हैं। उम्मीद है आप भी इन लोगों को समझने का खूब प्रयास करेंगे और जहां जरूरी हो सहयोग भी करेंगे। आखिर हम सब मिलकर जितना अच्छा कर सकते हैं उतना अकेले नहीं। मैंने पहले भी बताया है न कि हम सब एक ही टीम में हैं।

अंत में कहूंगा कि शिक्षक दिवस पर विद्यार्थियों की शुभकामनाएं हम शिक्षकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। वैसे हमें असली खुशी अपने विद्यार्थियों की सफलता, उनकी अच्छाइयों और गुणों को देखकर मिलती है। याद रखना, तुम सब अनोखे हो, सब में बहुत कुछ अच्छा करने की क्षमता है। बस अपनी मजबूती को पहचानो और आगे बढ़ो। सब अच्छा होगा। जो अच्छा नहीं होगा उसे हम मिलकर अच्छा कर लेंगे।

शिक्षक दिवस की हम सबको बधाई। जय हिंद।

आलोक कुमार मिश्रा
(आपका दोस्त शिक्षक)

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