आप सभी को ईद मिलादुन नबी बहुत मुबारक हालाँकि मैं खुद 17 रबी उल अव्वल को पैगंबर साहब का जन्मदिन मनाता हूँ। ख़ैर यह कोई मसला नहीं है, जिसका जब दिल करे मनाये।
यह पहली ऐसी मिलादुन नबी है जब आप उदास हैं। हालाँकि आपकी ख़ामोशी ने उन धार्मिक आतंकियों को हरा दिया है, जिनके मंसूबे कुछ और थे। क्या कोई अदालती फ़ैसला आपका मुस्तकबिल (भविष्य) बदल देगा…
ज़रा अपने हंगामाखेज और गौरवशाली अतीत पर नज़र डालिए…याद कीजिए…
क्या आप भूल गए…जब आपके पास न हवाई जहाज थे, न मिसाइलें थी, ऐसे वक्त में आप अपने घोड़े दौड़ाते हुए रेगिस्तान, पहाड़, नदियों को रौंदते हुए आए और भारत वर्ष पर छा गए। उस वक्त आपके पास गोला बारूद था। आपने धनुष बाण वालों को गोला बारूद का फॉरमूला दिया और बताया कि युद्ध कैसे जीते जाते हैं। आपने ख़ैरात, ज़कात, खुम्स से दूसरों की ग़ुरबत को मिटा दिया। आपने खाने-पीने, जिंदगी जीने का नया हुनर दिया जो तब तक इन मामलों में पिछड़े हुए थे।
आपने यहां की धरती को अपना लिया। ख़ून पसीने से सींचने लगे। महल तैयार कर दिये। लाल क़िला खड़ा कर दिया, ताजमहल खड़ा कर दिया, नदियों पर पुल बना डाले, पेशावर तक शेरशाह सूरी मार्ग बना डाला जिसे आज हम गर्व से नैशनल हाईवे के फलाने ढिमाके नंबरों से जानते हैं।
आप अल्लामा इक़बाल के अशार की उन लाइनों को भूल गए – दश्त तो दश्त हैं दरिया भी न छोड़े हमने, बहरे जुल्मात पर दौड़ा दिये घोड़े हमने..
आप देवी प्रसाद मिश्र की उस प्रसिद्ध कविता (वो मुसलमान थे) को भी भूल गये।….आपने अशफाकुल्लाह खान और वीर अब्दुल हमीद जैसे अनगिनत सपूत दिये। आपने दो-दो कलाम और ए आर रहमान दिया…
आप भूल गये कि आपने अंग्रेज़ों के खिलाफ इस देश की ख़ातिर युद्ध किया और आपके पुरखों को यहाँ दफ़न करने को दो गज़ ज़मीन भी न मिली…और वो रंगून (म्यांमार) में दफ़न हुए…
…आप के किसी पुरखे ने अंडमान की जेल (कालापानी) से न तो अंग्रेज़ों को माफ़ी वाला ख़त भेजा और न राय बहादुर की पदवी माँगी और न ही किसी ‘गांधी’ नाम को क़त्ल किया। आप भूल गये आपके पुरखों ने यहाँ तक्षशिला के बाद सबसे पहली बड़ी यूनिवर्सिटी (एएमयू) क़ायम की और उसके बाद उसी की तर्ज़ पर हमें बीएचयू भी नसीब हुई। आप मिसाल बन गये- आप बेमिसाल हो गये।
फिर आपकी उदासी का सबब जायज़ नहीं है।
भाजपा के मंदिर राग और कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व के खेल के बावजूद अगर आप लोग शांत (मुतमइन) हैं तो आप लोगों को इस धैर्य को न खोने देने वाले जज़्बे को कई लाख सलाम…
वोट के लिेए मची जंग का सबसे घिनौना चेहरा अभी आना बाकी है…। वह सब होने वाला है, जिसकी आपने कल्पना नहीं की होगी।…
उनके पास हर तरह की ताक़त है। अब तो अदालत पर भी जज ही सवाल उठा रहे हैं। हर नया दिन साजिशों से शुरू हो रहा है। लेकिन अगर आप लोग किसी उकसावे में नहीं आए तो यक़ीन मानिए बाकी ताक़तें अपने मकसद में नाकाम हो जाएंगी।
अभी आपको शिया-सुन्नी …अशरफ़-पसमांदा…बरेलवी-देवबंदी-कादियानी-इस्माइली-खोजा-बोहरा, सैयद-पठान जैसे फ़िरक़ों या बिरादरी में बाँटने की हरचंद कोशिशें होंगी।
लेकिन रसूल का पैग़ाम क्या आपको याद है- मैंने अल्लाह की जो किताब तुम लोगों तक पहुँचाई उसमें सिर्फ सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय (Social Equality and Social Justice) की बात लिखी गई है। अल्लाह के लिए न कोई अव्वल है न अफ़ज़ल। सब बराबर हैं। आप सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के रसूल की उम्मत समझकर एकजुट रहना है।
अभी जब अयोध्या पर फ़ैसला आया तो देश विरोधी, एकतरफ़ा राष्ट्रवाद को पोषित करने वाली उग्रवादी ताक़तों को उम्मीद थी कि आप लोगों की तरफ से जबरदस्त प्रतिक्रिया होगी और पूरा माहौल बदल जाएगा। लेकिन आप लोगों की प्रतिक्रियाविहीन खामोशी ने उनका ब्लडप्रेशर बढ़ा दिया है । उनकी पूरी रणनीति पर पानी फिर गया। उन्हें आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी।…वो बेचैन हैं और एक बिफरा हुआ इंसान सौ गलतियां करता है। आप बस खामोशी से इस तमाशे को देखिए।
इससे सामने वाले पर इतना फर्क पड़ने वाला है कि उसकी कई पीढ़ियां याद रखेंगी। यही वजह है कि सामने वालों में बहुत बड़ी तादाद में समझदार लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है। आपको हर हाल में खामोश रहना है। यहां तक कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनके साथ भी शामिल नहीं होना है। …आपको घेरने की हर कोशिश नाकाम हो जाएगी…अगर यह खामोशी बरकरार रही। …यह उस तरफ के समझदार लोगों को सोचने दीजिए कि वो इन ताकतों का मुकाबला कैसे करेंगे।
…दरअसल, वो लोग जातियों में बंटे हुए हैं और उसी हिसाब से वे अपनी रणनीति बनाते हैं। उनकी जातियों के मसले आपके फिरकों से बहुत ज्यादा टेढ़े हैं। उनमें जो दबे कुचले लोग हैं, वो ढुलमुल यकीन हैं। कभी इस तरफ होते हैं तो कभी उस तरफ होते हैं।
आपकी तरक्की का राज कुरानशरीफ में छिपा है।…इल्म हासिल कीजिए। पढ़ा लिखा इंसान बड़ी से बड़ी दुनियावी ताकत को हरा सकता है। मुझे मालूम है कि आपको नौकरियां नहीं मिल रही हैं। लेकिन अगर आपके पास इल्म है और कोई रोजगार करना चाहते हैं तो बाकी लोगों के मुकाबले आप उस रोजगार बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
पैगंबर के नाम पर आज से पूरी दुनिया में अगले एक हफ़्ते तक पैगंबर दिवस मनाया जा रहा है। इस दौरान मैं आप लोगों को सुझाव दे रहा हूं कि आप लोग सारी राजनीति से किनारा करते हुए इस दौरान इन चीजों पर अमल करें।…
-पेड़ पौधे लगाएं और लोगों में बांटें
-जिन पेड़ों को पानी न मिल रहा हो, उन्हें पानी से सींचें
-अपने आसपास की सड़कों और नालियों को साफ करें
-इस पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करें
-सबील लगाएं और साधन संपन्न लोग गरीबों को जूस पिलाएं
-अपने आसपास रहने वाले गरीबों और जरूरतमंदों की किसी भी रुप में मदद करें
-किसी यतीमखाने (अनाथालय) और ओल्ड ऐज होम (वृद्ध आश्रम) में जाएं
-अस्पताल और जेलों में जाएं
-वहां गरीबों के बीच खाना, कपड़ा, कंबल बांटें
-अगर हैसियत वाले हैं तो व्हीलचेयर, छड़ी या उनके काम आने वाला सामान बांटें
-स्कूलों में शांति मार्च आयोजित करें
-मुफ्त मेडिकल चेकअप कैंप लगाएं…यह पूरी तरह नॉन कमर्शल हो
-रक्तदान शिविर आयोजित करें
-लोगों को सेहत और सफाई के बारे में जागरूक करें
-सरकारी स्कूलों और स्पेशल बच्चों (मूक बधिर) के स्कूलों में जाएं और वहां स्टेशनरी बांटें
-जिनसे संभव हो सके वो स्कॉलरशिप बांटे…यानी कुछ पैसे गरीबों के बच्चों को दें
-पैगंबर की जिंदगी के बारे में स्कूल के बच्चों को बताएं, उनसे सवाल पूछें
-बच्चों को पढ़ाई और उनके करियर के बारे में जागरूक करें
-पैगंबर के कोट्स या चुनिंदा कही बातों का वितरण करें
-ऑटो, रिक्शा, ईरिक्शा, कैब में बैठी सवारियों को कलम बांटें
-पोस्टर चिपकाएं, बैनर चिपकाएं
-शहर में कॉन्फ्रेंस और वर्कशॉप आयोजित करें
-इस पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करें
वसीयत….
मैं फिर से ईद-ए-मोबाहिला में कही गई रसूल अल्लाह की वसीयत दोहरा रहा हूं जिसे आप लोग भूलते जा रहे हैं…
-अगर कुरान और मेरे अहलेबैत का दामन थामे रहे तो किसी भी दुनिया में तुम लोगों को शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा…तुम लोग जिंदा कौम की एक बेहतरीन मिसाल हो…अपनी ताकत को पहचानो।…
(यूसुफ किरमानी पत्रकार हैं यह लेख उनकी फेसबुक वाल से ली गयी है।)