Friday, June 2, 2023

सीएए विरोधी आंदोलन का जिंदा दस्तावेज है भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’

नई दिल्ली। दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में बृहस्पतिवार को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’ का विमोचन हुआ। इस मौके पर मशहूर शायर और वैज्ञानिक गौहर रजा ने शेर के साथ अपनी बात शुरुआत करते हुए कहा कि ‘जब सब ये कहें खामोश रहो, जब सब ये कहें कुछ भी न कहो, तब सहमी-सहमी रूहों को, ये बात बताना लाजिम है, आवाज उठाना लाजिम है’। आगे उन्होंने कहा कि इस किताब के द्वारा लेखिका ने उस आवाम को जगाने की कोशिश की है, जो सहमी-सहमी दुनिया में हमारे चारों तरफ दिखायी देते हैं।

bhasha3

यह किताब शाहीन बाग को भुला देने वालों के साथ टक्कर लेती है। और अपने अल्फाज अभी तक जिंदा हैं, का भी सबूत देती है। बात के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि “मुझे याद नहीं कि कभी भारत के मुसलमान सेकुलर मुद्दों पर कभी सड़कों पर आए हों। पहली बार नागरिकता के मुद्दे पर ऐसा प्रोटेस्ट मैंने देखा। जिसकी मिसाल और कहीं नहीं मिलती”। बाद में किसान आंदोलन ने उससे प्रेरणा ली और वह सफल रहा। उन्होंने भाषा सिंह को इन दोनों के बीच के रिश्तों पर आगे काम करने की सलाह भी दी।

इस अवसर के मुख्य वक्ताओं में एक द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि किसी भी आंदोलन का दस्तावेजीकरण करना बहुत जरूरी है। इस कड़ी में भाषा जी की यह किताब शाहीन बाग का एक ऐसा दस्तावेज है जिसे पढ़ना और पढ़ाया जाना चाहिए। शाहीन बाग की औरतों ने सरकार की तमाम विभाजनकारी षड्यंत्रों को फेल करते हुए उन्हें एक्सपोज किया। यह भी इस आंदोलन की एक बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा उन्होंने शाहीन बाग आंदोलन के जरिये देश के फासीवादी निजाम को मिलने वाली शिकस्त पर भी प्रकाश डाला।

lokarpan new2

योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉक्टर सईदा हमीद ने कहा कि शाहीन बाग की औरतों ने पहली बार कहा कि हम कागज नहीं दिखाएंगे। यह लोकतंत्र की नई करवट थी। इस किताब में औरतों की नानी-दादी की बच्चों की लड़ाई की जिंदा तस्वीरें हैं। यह किताब इस अजीम संघर्ष को और शाहीन बाग की औरतों को हमेशा के लिए जिंदा रखेगी। सरकार की ओर से शाहीन बाग को बदनाम करने और खत्म करने की जो कोशिशें हुईं वह भी इस किताब में दर्ज है। 

वरिष्ठ पत्रकार और कवि अजय सिंह ने कहा कि शाहीन बाग हमारी चेतना में हमारी लड़ाई के हिस्से के तौर पर और आने वाले समय के लिए हमेशा जिंदा रहेगा। यह किताब नये हिंदुस्तान को तलाशने की जद्दोजहद है। इस आंदोलन ने भारत की पूरी आत्मा को न केवल झकझोर दिया है बल्कि उसे सोती हुई अवस्था से जागृत करने वाली अवस्था तक ले गया है। इस तरह से यह आंदोलन एक आधुनिक भावभूमि पर खड़ा नवजागरण था जिसमें पितृसत्ता और फासीवाद को चुनौती दी गयी। और इसने महिलाओं की अग्रगामी भूमिका को भी सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा कि यह पूरे भारत को बचाने और संविधान की प्रस्तावना के आधार पर नये भारत के निर्माण का आंदोलन था।

bhasha2

शाहीन बाग में सालों से प्रैक्टिस कर रही डॉ. जरीन ने कहा कि मैंने पहली बार बुर्के में रहने वाली औरतों को आंदोलन का नेतृत्व करते हुए देखा। जिन्होंने सरकारी जुल्मों को सहते हुए जबर्दस्त तरीके से इस आंदोलन को आगे बढ़ाया। जिसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। इस मौके पर उन्होंने लेखिका भाषा के साथ बने अपने निजी संबंधों का भी जिक्र किया। और आखिर में उन्होंने इन अल्फाजों के जरिये अपने वक्तव्य का समापन किया। जिसमें उन्होंने कहा कि ‘तू सबसे अलग, तू सबसे जुदा, एक आग है तू, जज्बात है तू, नाजुक भी तू, फौलाद भी तू, इंसाफ की इक आवाज है तू।’

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में लेखिका भाषा सिंह ने किताब से जुड़े अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि हम सब ने शाहीन बाग को जिया है पर मेरे लिए शाहीन बाग को लिखना अपने वतन और ज़म्हूरियत को महसूस करना था। उन्होंने कहा कि मैंने वहां संविधान का प्रिएंबल लिखा देखा।वहां गांधी अंबेडकर सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख की तस्वीरों को देखा। वहां नानियों, दादियों और बच्चियों की ताकत को महसूस किया। नागरिक होने का क्या मतलब है, अपने अधिकारों के लिए कैसे लड़ा जाता है। यह शाहीन बाग ने हमें सिखाया।

bhasha

इस मौके पर मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय, सीपीआई महासचिव डी राजा, एनएफआईडब्ल्यू की महासचिव ऐनी राजा, राज्य सभा सदस्य मनोज कुमार झा, सफाई कर्मचारी आंदोलन के संयोजक बेजवाड़ा विल्सन, वरिष्ठ पत्रकार लेखक देवाशीष मुखर्जी, अर्थशास्त्री और एक्टिविस्ट नवशरण और शाहीन बाग मंच संचालन से जुड़ी ऋतु कौशिक मौजूद थीं। इसके अलावा बड़ी तादाद में प्रतिष्ठित पत्रकार और सामाजिक संगठनों के लोग मौजूद थे।

shekhar new

(जनचौक संवाददाता आजाद शेखर की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

बाबागिरी को बेनकाब करता अकेला बंदा

‘ये दिलाये फतह, लॉ है इसका धंधा, ये है रब का बंदा’। जब ‘सिर्फ...