रंगमंच और फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े पुत्र राज कपूर का जन्म आज के ही दिन 14 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनकी स्मृति में इस विशेष आलेख में यह याद किया जाना जरूरी है कि शोमैन राज कपूर का आरके स्टूडियो बिकने से क्यों रोका नहीं जा सका।
यह प्रश्न कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के नेशनल सेक्रेटरी और अखिल भारतीय किसान सभा के नेता रहे दिवंगत कामरेड अतुल कुमार अनजान ने फ़ेसबुक पर अपने पोस्ट में किया था।
हिन्दुस्तानी फिल्मों के सबसे बड़े शोमैन, बेहतरीन अदाकार और प्रगतिशील विचारों पर कई फिल्मों के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर राज कपूर के जन्मदिन पर मुझे उनकी बहुत-सी बेमिसाल बातें याद आती हैं।
राज कपूर और नरगिस की जोड़ी ने लगभग 15 फिल्में में अभिनय किया जिनमें दस सुपरहिट थीं। दोनों ने अपनी फिल्मों को प्रमोट करने दुनिया में एकसाथ सफर किया था।
राज कपूर की कई फिल्में दुनिया भर में मशहूर हुईं और सामाजिक सरोकारों से भरे उनके गीत दिलों को अभी भी छू जाते हैं। मेरा जूता है जापानी गीत आज भी पूरी दुनिया में गाया और वाद्य यंत्रों पर बजाया जाता है। राज कपूर के बैनर आरके फिल्म के तहत बनाई फिल्मों ने शोहरत हासिल की।
राज कपूर के निर्देशन में और आरके फिल्म्स के बैनर तले 1955 से 1985 के बीच बनी फिल्मों में से कुछ को भारत सरकार से सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय अवार्ड मिला। उनकी बनाई फिल्म बॉबी और राम तेरी गंगा मैली उनके जीवन के आखरी दो दशक की मशहूर फिल्में हैं।
राज कपूर ने स्वयं की बनाई बरसात फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर सफलता के बाद मुंबई के चेंबूर इलाके में 1948 में आरके स्टूडियो की स्थापना की थी। दो एकड़ में फैले इस स्टूडियो में कपूर परिवार की उपलब्धियों का इतिहास था। कुछ वर्ष पहले उसमें आग लग जाने से भारी क्षति हुई।
राज कपूर के परिवार के सभी सदस्य फिल्मी दुनिया में बड़ी हस्तियां थी और अभी भी हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को स्वयं के अविवाहित होने का असत्य बोल उसके प्रचारक बने नरेंद्र मोदी के साथ राज कपूर के जन्म की शतवार्षिकी पर ग्रुप फ़ोटो क्लिक कराने यह फिल्मी कपूर खानदान लालायित नहीं होता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह ग्रुप फ़ोटो क्लिक करवा कर नई दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग पर अपने राजकीय निवास चले गए। लेकिन यह आम लोगों की समझ के बाहर है कि अरबों-खरबों रुपए के मालिक, बड़े-बड़े स्टार का यह परिवार उनके द्वारा स्थापित इस स्टूडियो को बिकने से क्यों नहीं बचा सका।
जब वह बिक गया तब आम लोगों को बहुत बुरा लगा। उनके परिवार के लोगों को बताना चाहिए कि वे सब इस धरोहर को क्यों नहीं बचा सके।
पाकिस्तान की मिसाल
राज कपूर का जब दो जून 1988 को निधन हुआ तो उसके दो दिनों बाद भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक खबर मिली। खबर थी कि पाकिस्तान के खैबर पख्तून प्रांत की सरकार ने राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घर को वहां का नेशनल म्यूजियम बनाने के लिए खरीद कर पाकिस्तानी कल्चर मिनिस्ट्री के अधीन कर दिया।
पृथ्वीराज कपूर और राज कपूर के खानदान की लगभग 22 सौ स्क्वायर फीट जमीन पर बने पुश्तैनी घर को उसके मालिकों से पाकिस्तान के खैबर पख्तून प्रांत की सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपए में और दिलीप कुमार के 1600 स्क्वायर फीट के पुश्तैनी घर को उसके मालिकों से 80 लाख रुपए में खरीद की थी।
यह खबर निश्चित ही सभी हिंदुस्तानियों के दिलों को छू गई। लेकिन पृथ्वीराज कपूर और राज कपूर के खानदान को इस पर खुश होने या जश्न मनाने का कारण नहीं होना चाहिए था, क्योंकि वे राज कपूर की विरासत आरके स्टूडियो को नहीं संभाल सके।
(चंद्र प्रकाश झा स्वतंत्र पत्रकार हैं)
+ There are no comments
Add yours