फ़ादर स्टैन स्वामी की पहली पुण्यतिथि पर ‘झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी’ पुस्तक का लोकार्पण

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रांची। आज 05 जुलाई 2022 को झारखंड की राजधानी रांची के मनरेसा हाउस में विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन, झारखंड इकाई द्वारा झारखण्डी जनता के चहेते व मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर स्मृति सभा का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर झारखण्ड एवं भारत के संघर्षशील मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों का महाजुटान हुआ।

आयोजित स्मृति सभा में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध उपन्यासकार, बुद्धिजीवी एवं ट्राइबल रिसर्च सेण्टर के डायरेक्टर डॉ. रणेन्द्र की मौजूदगी में “विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन” के संस्थापक सदस्य स्टैन स्वामी पर आधारित “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” पुस्तक का लोकार्पण हुआ। 

साथ ही ट्राइबल एडवाइजरी समिति के पूर्व सदस्य रतन तिर्की, हॉफमन लॉ के डायरेक्टर अधिवक्ता महेंद्र तिग्गा, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन ( तेलंगाना) के बीएस राजू, बगइचा के डायरेक्टर फादर टोनी, डॉ. प्रभा लकड़ा, एआईपीएफ के नदीम खान, स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह, झारखण्ड जनाधिकार महासभा के सिराज दत्ता, एलीना होरो एवं अलोका कुजूर स्मृति सभा एवं पुस्तक लोकार्पण में शामिल हुए।

एक मिनट के मौन और शहीद साथी के माल्यार्पण के बाद सभा की शुरुआत विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के अरुण ज्योति के द्वारा की गयी। अरुण ज्योति ने फादर स्टैन स्वामी पर आधारित पुस्तक “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” के विषय-वस्तु से सबको अवगत करवाया। पुस्तक दो भागों में फादर स्टैन के मित्रों और सहयोगियों द्वारा लिखे आलेख और खुद फादर द्वारा लिखे गए लेखों का हिंदी संकलन है। सभा में सीडीआरओ (कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गेनाईजेशन) द्वारा प्रकाशित बुकलेट “फादर स्टैन स्वामी की शहादत” का भी झारखण्ड में विमोचन किया गया।

स्मृति सभा के मुख्य अतिथि डॉ. रणेन्द्र ने फादर स्टैन स्वामी की मार्क्सवादी चेतना से लोगों को अवगत कराया और यह भी बताया कि आज के दौर में अस्मिता से जुड़ी राजनीति से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है, मार्क्स के राजनीतिक चिंतन को आधार बना के जन आंदोलन को आगे बढ़ाना। फ़ादर स्टैन के करीबी सहयोगी डॉ प्रभा लकड़ा ने फादर के चिंतन को कार्यशैली में बदलने की बात कही। झारखण्ड जनाधिकार महासभा के अलोका कुजूर ने फादर स्टैन के ऊपर हुए राजनीतिक दमन को झारखण्ड में व्याप्त कॉर्पोरेट द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट से जोड़ कर दिखाया।

अलोका कुजूर, रतन तिर्की, बीएस राजू तथा अन्य वक्ताओं ने जाहिर किया कि फ़ादर स्टैन की संस्थागत हत्या से भारत के लोकतंत्र, संविधान और कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग चुका है और हम आज भी न्याय के इंतज़ार में हैं।

स्वतंत्र पत्रकार रुपेश सिंह ने झारखण्ड के राज्य सरकार पर सवाल किये जो आदिवासी हितों की रक्षा के वादे के साथ सत्ता में आयी और आज ढाई साल पूरे होने पर भी समस्याएं जो की त्यों बनी हुयी हैं। 

झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक बच्चा सिंह ने बताया कि किस तरह फादर स्टैन किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत रहे।

हॉफमन लॉ के डायरेक्टर अधिवक्ता महेंद्र तिग्गा ने समस्त झारखंडियों की ओर से फादर स्टैन को श्रद्धांजलि दी।

किसानों, मजदूरों और मानवाधिकारों से जुड़े कई संगठन के सदस्य मसलन तेनुघाट विस्थापित बेरोजगार संघर्ष समिति के दिनेश, भारतीय आदिम जनजाति परिषद के उमा शंकर बैगा व्यास, भारतीय भुइयां परिषद के नरेश भुइयां, मजदूर संगठन समिति के रघुवर सिंह, झारखण्ड जन अधिकार महासभा के एलीना होरो और ए. आई. पी. एफ  के नदीम ने सभा को सम्बोधित किया।

सभा का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के दामोदर तुरी ने किया और आयोजन में ऋषित, निषाद, विश्वनाथ और प्रताप ने भूमिका निभाई। सभा में इलिक प्रिय और विश्वनाथ ने क्रान्तिकारी गीतों के साथ सभा में सबका उत्साह बढ़ाया।

(रांची से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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