कठिन है शहरों और स्थानों के नामों में बदलाव की डगर

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जनचौक ब्यूरो

नई दिल्ली। केंद्र और बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने शहरों और नगरों के नाम बदलने का जैसे अभियान छेड़ दिया है। पिछले एक साल में तकरीबन 25 शहरों और गांवों के नामों में तब्दीली की केंद्र से संस्तुति मिली है। हालांकि इसके लिए जरूरी औपचारिक प्रक्रियाएं इतनी बड़ी और टेढ़ी हैं कि कई बार नामों में बदलाव के लिए सालों-साल तक इंतजार करना पड़ जाता है। और कई बार तो नाम खारिज भी हो जाते हैं।

सबसे हाल का वाकया इलाहाबाद और फैजाबाद का है जिसको क्रमश: प्रयागराज और अयोध्या किया गया है। इसके बदलाव का प्रस्ताव अभी यूपी सरकार से आया ही नहीं है। इसी तरह एक प्रस्ताव पश्चिमी बंगाल को बंग्ला करने का है। बताया जा रहा है कि इसको बदलने के लिए ढेर सारे मंत्रालयों और विभागों की संस्तुति लेनी पड़ती है। जिससे पूरी प्रक्रिया बहुत भारी हो जाती है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इलाहाबाद का प्रयागराज करने और फैजाबाद का अयोध्या करने का अभी यूपी सरकार से प्रस्ताव ही नहीं आया। बहुत सारे ऐसे नाम हैं जिनके प्रस्ताव पर मुहर लग गयी है लेकिन उनको लागू ही नहीं किया जा सका है। इनमें आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले में राजामुंदरी को राजामहेंद्रवरम करने का एक मामला शामिल है। इसी तरह से ओडीशा के भद्रक जिले में स्थापित एक एपीजे अब्दुल कलाम प्रायद्वीप है। और हरियाणा के जींद जिले में पिंडारी को पांडु-पिंडारा किए जाने का प्रस्ताव इसी फेहरिस्त का हिस्सा है।

इसके अलावा महाराष्ट्र के सांगली जिले में लंड्गेवाड़ी के नरसिंहगांव और हरियाणा के रोहतक जिले के गढ़ी सांपला को चौधरी सर छोटू राम नगर करने और राजस्थान के नागौर जिले में खाटू कला गांव को बारी खाटू करने के मामले अभी भी लंबित हैं।

हालांकि बहुत सारे प्रस्ताव खारिज भी कर दिए गए हैं। जिसमें नगालैंड के दीमापुर जिले में कचारीगांव को फेविमा किए जाने का एक प्रस्ताव इसी तरह का है। गृहमंत्रालय द्वारा मौजूदा एजेंसियों से संपर्क किया जाता है। गृहमंत्रालय रलवे मंत्रालय और डिपार्टमेंट आफ पोस्ट एंड सर्वे आफ इंडिया से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने के बाद अपनी सहमति देता है।

एक बार दोनों मंत्रालयों से एनओसी हासिल हो जाने के बाद ही गृहमंत्रालय किसी स्थान का नाम बदलने की सहमति देता है। इन दोनों मंत्रालयों को इस बात की पुष्टि करनी होती है कि उसके या फिर उसके जैसे नाम पर कोई दूसरा गांव या शहर प्रस्तावित नहीं है।

गुरुवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने अहमदाबाद का नाम कर्णावती करने पर विचार करने की बात कही थी। इसको आगामी चुनाव में चुनावी लाभ हासिल करने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है। हाल के पश्चिमी बंगाल के बंग्ला करने के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय के पास भेज दिया गया था क्योंकि इसका उच्चारण बिल्कुल पड़ोसी देश बांग्लादेश जैसा है।

हैदराबाद का भाग्यनगर नाम करने का प्रस्ताव भी रडार पर हो सकता है। जैसाकि बीजेपी के एक एमएलए राजा सिंह ने कहा कि अगर उनकी पार्टी मौजूदा तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीतती है तो उस पर विचार किया जाएगा। 

पूर्व में 2014 में बंग्लोर का नाम बेंगलुरू, 2016 में गुड़गांव का गुरुग्राम, 2001 में कलकत्ता का कोलकाता और मद्रास का 1996 में चेन्नई तथा 1995 में बांबे का मुंबई किया गया था।

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