Saturday, March 25, 2023

‘द लिस्ट : मीडिया ब्लडबाथ इन कोविड टाइम्स’ यानी पत्रकारों पर कोरोना कहर की जिंदा दास्तान

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

ऐसा माना जाता है कि पत्रकारिता एवं फिल्में समाज का आईना होती हैं। समाज में जो कुछ हो रहा होता है उसे मुकम्मल तौर पर समाज के सामने लाने की जिम्मेदारी पत्रकारिता की ही होती है। फिल्मों को कुछ हद तक क्या काफी हद तक इस अपराध से माफ किया जा सकता है कि वह समाज का आईना क्यों नहीं बन पाई ! फिल्मों की अपनी एक सीमा होती है। सामाजिक जिम्मेदारी निर्वाह करने के साथ-साथ मार्केट नाम की एक चीज होती है जिस के बोझ तले वह दबा होता है… बावजूद इसके कुछ फिल्में इस तरह से बनाई जाती हैं जो पत्रकारिता के मूल सिद्धांत और फिल्मों के उदार (सिनेमैटिक लिबर्टी ) सिद्धांत पर खरी उतरती है उनमें से एक है महेश राजपूत की शार्ट फिल्म ‘द लिस्ट : मीडिया ब्लडबाथ इन कोविड टाइम्स’।

film3

 यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि  खुद को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ  के रूप में महिमामंडित किए जाने पर खुश होने वाला मीडिया खुद के अपने कत्लेआम पर ‘सब ठीक है’ का चश्मा लगा कर, करोना काल के पहले चरण और अब दूसरे चरण में भी खामोश है।

यह फिल्म है एक मीडिया संस्थान की जहां पर कोरोना के चलते मीडिया हाउस के नुकसान की भरपाई उस मीडिया हाउस के  कर्मचारियों की छंटनी कर करने की कोशिश की जा रही है। वह भी इस  तरीके से कि कोई पत्रकार (रिपोर्टर से लेकर रेज़िडेंट एडिटर तक) तक किसी प्रकार की चूं चां नहीं कर सकता!  दरअसल फिल्म में भले ही यह एक काल्पनिक मीडिया पब्लिकेशन विसलब्लोअर के दफ्तर की कहानी है लेकिन यह कहानी हिंदुस्तान के साथ-साथ विश्व के कई मीडिया संस्थानों के दफ्तर की कहानी है जहां पर कोरोना काल में लोगों को निर्दयता पूर्वक हटा दिया गया वजह बताई गई बिजनेस में आ रही मंदी!

film new

 यह मास्टरपीस नहीं है, लेकिन ये रियल सी मूवी है। फिल्म के कुछ एक्टर जनरलिज्म से ही जुड़े हुए हैं। कहानी out of the box है। दर्शक पात्रों के साथ गहन जुड़ाव रखते हैं। सभी कुछ ऐसा करते हैं जो शायद सबसे महत्वपूर्ण चीज है जो एक फिल्म कर सकती है। वे हमें समय और स्थान के हमारे व्यक्तिगत बॉक्स से बाहर ले जाते हैं, और हमें उनके साथ सहानुभूति रखने के लिए आमंत्रित करते हैं। सहानुभूति सभ्यता का सबसे आवश्यक गुण है। यह निर्देशक की कामयाबी मानी जाएगी।

(यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म एबीसी टाकीज़ पर देखी जा सकती है।)

(मनमोहन नौला की समीक्षा।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

क्या है रिश्ता अडानी-नरेंद्र मोदी के बीच, यह पूछना ही  सबसे बड़ा ‘गुनाह’ बना: राहुल गांधी 

संसद की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने और भी ज्यादा आक्रामक तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र...

सम्बंधित ख़बरें