‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त; हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’

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श्रीनगर। यह डल लेक है। सामने जो दृश्य दिख रहा है वह पीर पंजाल रेंज है। शायद ऐसा ही दृश्य देखकर जहांगीर ने फारसी में कहा था, ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है। लॉकडाउन के चलते श्रीनगर से यह नजारा दिख रहा है।

जिसमें हजरतबल दरगाह, उसके पीछे हरि पर्वत किला और उसके पीछे पीर पंजाल की रेंज दिखाई दे रही है। पीर पंजाल रेंज हिमालय का भीतरी हिस्सा है। डल लेक अमूमन प्रदूषित हो चुकी थी। कई बार सफाई भी हुई। यही हाल वितस्ता यानी झेलम का भी था। हब्बा कदल की तरफ निकल जाइए तो झेलम का पानी काला नजर आता था। हवा भी कम प्रदूषित नहीं थी। शंकराचार्य मंदिर से नीचे देखने पर धुंध ज्यादा दिखती। इसी तरह दूर हिमालय की चोटियां भी ऐसी तो कभी नहीं दिखी थीं।  

डल के किनारे-किनारे जाती सड़क जो हजरत बल दरगाह और कश्मीर विश्वविद्यालय के सामने से गुजरती उससे कभी ऐसा नजारा तो नहीं दिखा। हरि पर्वत किला के पीछे हिमालय तो हमेशा दिखता था पर ऐसा तो कभी नहीं दिखता। यह फर्क आया है। हवा और पानी के साफ़ होने से। पानी की सफाई अभी भी कहां उतनी हुई है जितनी हवा साफ़ हुई है।

दरअसल लंबे समय से ट्रैफिक बंद होने का यह असर है जो अब खुल कर दिखने लगा है। वर्ना डल से हजरत बल तक जाती सड़क झील के बाद भीड़ से भर जाती थी। ऐसा दृश्य तो पहले कम ही दिखा। अब श्रीनगर की घाटी से हिमालय खुल कर दिखा है। यह दृश्य सभी को लुभा रहा है। प्रकृति के साथ लोगों ने कितनी ज्यादती की है इससे यह भी पता चलता है।

(एम जहांगीर की इस टिप्पणी को शुक्रवार से लिया गया है। फ़ोटो वसीम अंद्राबी ने खींची है।)

3Comments

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  1. 3
    S N Roy

    जहांगीर जिस वक्त ऐसा कह रहा था उस वक्त अमीर खुसरो जी ढोलक बजा रहे थे????

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