Wednesday, April 24, 2024

मां और मुल्क बदले नहीं जाते

यह शीर्षक हमारा नहीं है। यह सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले एक युवा की भावनाएं हैं। पूरे देश में सीएए और एनआरसी का विरोध हो रहा है। इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। हर कोई विरोध में अपनी तरह से अपनी बात कह रहा है। एक बात समझने की है। इन सर्दी भरे दिन और रातों को कोई यूं ही शौक में खुले आसमान के नीचे अपना विरोध दर्ज कराने के लिए नहीं खड़ा हुआ है। आजादी के बाद पहली बार है जब सभी जाति-धर्म के युवा सड़कों पर हैं। महिलाएं प्रदर्शन करने के लिए रात को घरों से निकल रही हैं और मासूम बच्चे भी अपनी बात रखने को घरों से बाहर निकल पड़े हैं। प्रदर्शनकारियों की सैकड़ों तस्वीरों में से जनचौक ने दस तस्वीरें आपके लिए चुनी हैं। कुछ तस्वीरें आपकी भी आंखें नम कर देंगी, मगर ‘सत्ता के खुदाओं’ की आंख का पानी मर चुका है!


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पुस्तक समीक्षा: निष्‍ठुर समय से टकराती औरतों की संघर्षगाथा दर्शाता कहानी संग्रह

शोभा सिंह का कहानी संग्रह, 'चाकू समय में हथेलियां', विविध समाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री संघर्ष। भारतीय समाज के विभिन्न तबकों से उठाए गए पात्र महिला अस्तित्व और स्वाभिमान की कहानियां बयान करते हैं। इस संग्रह में अन्याय और संघर्ष को दर्शाने वाली चौदह कहानियां सम्मिलित हैं।

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