(चंदू यानी चंद्रशेखर का नाम एकबारगी सामने आते ही जेहन में सिहरन सी उठ जाती है। और फिर न जाने कितने काश….दिल और दिमाग में उमड़ने घुमड़ने लगते हैं। अनायास नहीं भगत सिंह और चेग्वेरा की कतार में अगर किसी तीसरे को हम आजादी के बाद के हिंदुस्तान में पाते हैं तो वह चंद्रशेखर हैं। चंद्रशेखर की यह बलिदानी शख्सियत एकाएक नहीं बनी थी। बचपन से ही उसके बीज पड़ने शुरू हो गए थे। समाज के प्रति अपने कर्तव्य और जरूरी बदलावों के प्रति आकर्षण छोटे से ही उनकी जेहनियत के हिस्से बनते जा रहे थे। मां को लिखे गए उनके पत्रों में यह बात खुल कर सामने आती है। चंद्रशेखर अपनी मां से अगाध प्रेम करते थे। पिता जी के जल्दी गुजर जाने के बाद मां ही थीं जो पिता और मां दोनों की भूमिका में थीं। शायद इसी वजह से वह अपने मन की कोई भी बात मां से नहीं छुपाते थे। चंद्रशेखर की शख्सियत को पूरा जानने और उसके विकासक्रम को समझने के लिहाज से मां को लिखे गए उनके पत्र बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। इस लिहाज उनकी शहादत के मौके पर पेश है चंद्रशेखर के वो कुछ पत्र जिसे उन्होंने अपनी मां कौशल्या देवी को लिखे थे। ये सारे पत्र जनमत से साभार लिए गए हैं: संपादक)
Create an account
Welcome! Register for an account
A password will be e-mailed to you.
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.
जनचौक से जुड़े
Subscribe
Login
0 Comments