Friday, April 19, 2024

ज़ाहिद खान

स्मृति शेष : जन कलाकार बलराज साहनी

अपनी लाजवाब अदाकारी और समाजी—सियासी सरोकारों के लिए जाने—पहचाने जाने वाले बलराज साहनी सांस्कृतिक कार्यों के ज़रिए ही देश की आजादी में अपना योगदान देना चाहते थे। देश में नवजागरण के लिए एक अंग बनना चाहते थे। यही वजह...

प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना और प्रेमचंद

9 अप्रैल, प्रगतिशील लेखक संघ का स्थापना दिवस है। साल 1936 में इसी तारीख को लखनऊ के मशहूर ‘रिफ़ाह-ए-आम’ क्लब में प्रगतिशील लेखक संघ का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ था। जिसमें बाक़ायदा संगठन की स्थापना की गई। अधिवेशन...

जिगर मुरादाबादी का जन्मदिवस: कहां से बढ़ के पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी

उर्दू अदब में शायर जिगर मुरादाबादी का एक अहम मुक़ाम है। अदब दोस्त उन्हें कल भी ग़ज़ल का शहंशाह क़रार देते थे, तो आज भी उनके बारे में यही नज़रिया आम है। फ़िराक़ गोरखपुरी, जिगर के समकालीन शायर थे। जिन्हें जोश...

उर्दू अदब में होली: बसंत खेलें इश्क की आ पियारा

मुल्क में मनाए जाने वाले तमाम त्यौहारों में होली एक ऐसा त्यौहार है, जो मुख़्तलिफ़ मज़हब के लोगों को आपस में जोड़ने का काम करता है। होली, दिलों के फ़ासलों को दूर करने का एक ज़रिया बन जाती है।...

प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन और मुम्बई

बीसवीं सदी में हमारे देश में प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन का आग़ाज़ हुआ। इस आंदोलन ने  भारतीय साहित्य, कला, रंगमंच और सिनेमा पर निर्णायक असर डाला। जैसा कि हम सब जानते हैं प्रगतिशील लेखक संघ की नींव लंदन में पड़ी।...

जोश व फ़िराक़ की चंद यादें: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की दाग़बेल डाली जा रही थी। जब तक लखनऊ वालों के कान में हमारी शायरी की भनक नहीं पड़ी थी...

जन्मदिन विशेष: वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यासों में इतिहास और कल्पना का अद्भुत समन्वय

हिंदी साहित्य में वृंदावनलाल वर्मा की पहचान ऐतिहासिक उपन्यासकार की है। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में उनका कृतित्त्व विशेष महत्त्व रखता है। उनसे पूर्व हिंदी साहित्य में ऐसा कोई उपन्यासकार नहीं हुआ, जिसने इतने अलग-अलग विषयों पर अपनी क़लम...

शहादत दिवस: सफदर हाशमी ने नुक्कड़ नाटक के जरिए गरीबों-मेहनतकशों के हक की लड़ाई लड़ी

रंगकर्मी सफ़दर हाशमी नुक्कड़ नाट्य विधा के पहले आइडियोलॉजिस्ट थे। उस ज़माने में जब देश में प्रोसेनियम थियेटर का बोलबाला था, सफ़दर ने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए नुक्कड़ नाटक को बख़ूबी अपनाया। सफ़दर हाशमी की कविताओं और जनगीत का...

जन्मदिन पर विशेष: रेडियो की आवाज अमीन सयानी

आज़ादी के बाद जिन लोगों ने रेडियो को आम आदमी तक पहुंचाया, उसकी लोकप्रियता बढ़ाई, उनमें सबसे अव्वल नंबर पर अमीन सयानी का नाम है। एक दौर था, जब अमीन सयानी रेडियो की आवाज़ थे। उसकी पहचान थे। रेडियो...

बिस्मिल, रोशन और अशफ़ाक़ का शहादत दिवस: सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..

19 दिसम्बर पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफ़ाक़उल्लाह ख़ां जैसे वतनपरस्त इंक़लाबियों का शहादत दिवस है। मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी जान क़ुर्बान कर दी। इन तीनों क्रांतिकारियों का क्रांतिकारी जीवन का...

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AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।