राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के आसार अब तक के पांच चुनाव-पूर्व सर्वे में से किसी में भी नज़र नहीं आये हैं। तो इसके तो ठोस कारण होंगे। राजस्थान में, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के साथ ही विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ये चुनाव, अगले बरस निर्धारित लोकसभा चुनाव की दशा- दिशा तय करने में अहम हो सकते हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना 12 नवम्बर को जारी होगी और उसी दिन से उम्मीदवारों की नामजदगी के पर्चे दाखिल होने शुरू हो जाएंगे। वोटिंग सात दिसंबर को होगी। इन सभी राज्यों की विधान सभा और कर्नाटक में लोकसभा की तीन सीटों पर भी उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती एकसाथ 11 दिसंबर को होगी। मतदान और मतगणना भी इलेकट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि ईवीएम से ही करायी जाएगी।
चुनाव पूर्व सर्वे
पोलस्टरों में से सीवोटर-एबीपी एबीपी न्यूज़ ने कांग्रेस के 130 और भाजपा के 57 सीटें जीतने का अनुमान लगाया है। न्यूज़ नेशन को अपने सर्वे में कांग्रेस के 115 और भाजपा के 73 सीटें जीतने का अनुमान है। टाइम्स नाउ-वाररूम स्ट्रेटजीस के सर्वे में कांग्रेस के 115 और भाजपा के 75 सीटें जीतने का अनुमान है। एबीपी न्यूज़ के एक अन्य सर्वे तथा सभी ‘ सर्वे के सर्वे ‘ के औसत में भी भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत की संभावना व्यक्त की गई है।
माहौल
राजस्थान की 200 सीटों की मौजूदा विधान सभा का कार्यकाल 20 जनवरी 2019 को समाप्त होगा। राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है जिसकी सीमाएं पाकिस्तान से भी लगती हैं। पूर्ववर्ती रियासतों, पूर्व राजाओं का गढ़ रहे और अनेक पुराने किले , महलों के इस राज्य में भाजपा ने 2013 के चुनाव में 163 ,कांग्रेस ने 21 और बसपा ने 3 सीटें जीती थी। भाजपा के जनाधार में गिरावट का एक साक्ष्य इसी वर्ष फरवरी में मिला था। तब लोकसभा की अजमेर और अलवर तथा विधानसभा की मंडलगढ़ सीट पर उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की करारी हार हुई थी। राज्य की सत्ता में लम्बे समय से होने से भाजपा को सरकार-विरोधी रूझान का भी सामना करना पड़ रहा रहा है। किसानों में व्याप्त गहरा असंतोष , वामपंथी अखिल भारतीयकिसान सभा के कामरेड अमराराम और अन्य के नेतृत्व में अर्से से चलाये जा रहे आन्दोलनों में मुखर हो चुका है।
चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण गूजर समुदाय , राजकीय सेवाओं में सरकार द्वारा आरक्षण की व्यवस्था किये जाने की अपनी पुरानी मांग को लेकर आंदोलित है। नोटबंदी और गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी ) के प्रतिकूल परिणामों के कारण वाणिज्यिक हल्कों में विक्षोभ है। बेरोजगारी की समस्या से त्रस्त छात्र -युवा भी सरकार से असंतुष्ट हैं। िवंगत भैरों सिंह शेखावत के तीन बार के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य में भाजपा के जनाधार में वृद्धि हुई थी। पहले बनिया और ब्राह्मण जातीय समुदाय तक सीमित भाजपा को राजपूत , गूजर , जाट और दलितों का भी समर्थन मिलने लगा। लेकिन पिछले पांच वर्ष में विभिन्न कारणों से भाजपा से दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के जातीय समुदायों का ही नहीं ब्राह्मण , बनिया जातियों के भी छिटकाव के संकेत मिले हैं। अल्पसंख्यक पहले से भाजपा के खिलाफ रहे हैं और वे हाल में राज्य में गौ -रक्षा के बहाने अलवर आदि अनेक स्थानों पर मॉब लिंचिंग की वारदात के कारण और भी खिलाफ हो गए हैं। अलवर वह जगह है जहां वसुंधरा राजे सरकार ने देश का पहला ‘ गौ रक्षा पुलिस थाना ‘ खोला है।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में ‘180 प्लस ’ सीटों पर जीत का लक्ष्य साधा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव की तैयारियों के तहत अगस्त माह से पूरे प्रदेश में ‘ सुराज गौरव यात्रा ‘ सपन्न कर चुकी हैं। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी और अन्य नेता भी इस यात्रा में शामिल रहे। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस यात्रा के समापन कार्यक्रम में भाग लिया। राजस्थान समेत पांच राज्यों की विधान सभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए निर्वाचन आयोग की शनिवार 6 अक्टूबर को पूर्वाह्न साढ़े बारह बजे बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस का समय बदल कर साढ़े तीन बजे कर दिया। हम यूं ही नहीं कहते कि मोदी जी के चुनाव प्रचार और चुनावी घोषणाओं को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन -सा है। उसी दिन, अपराह्न एक बजे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को राजस्थान के अजमेर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पिछले अगस्त माह शुरू की गई चुनावी ‘ गौरव यात्रा ‘ की समाप्ति के मौके पर आयोजित जनसभा में भाषण देना था , जो उन्होंने दिया। मोदी जी ने जयपुर में ‘ प्रधान मंत्री लाभार्थी जन संवाद’ के बैनर तले एक जनसभा को भी सम्बोधित किया , जिसमें राज्यपाल कल्याण सिंह और मुख्यमंत्री राजे भी उपस्थित रहे। मोदी जी ने इसी जनसभा में अजमेर , बीकानेर , माउंट आबू , गंगानगर आदि स्थानों पर करोड़ों – अरबों
रूपये लागत की आवास , मेट्रो , सड़क ,जल , रसोई गैस , स्वास्थ्य आदि की अनेक नई योजनाओं की शिलान्यास पट्टिकाओं का अनावरण किया। सभा में राज्य के सभी जिलों से केंद्र सरकार की दर्जनों योजनाओं के लाभार्थियों की भारी भीड़ बुलाई गई थी। उन्होंने उसी शाम नई दिल्ली लौटने से पहले राजस्थान के ही पुष्कर में ब्रम्हा मंदिर जाकर अर्चन -पूजन किया और बीच बीच में कई ट्वीट भी किये। मोदी जी की सुविधा के लिए और उनकी पार्टी के चुनावी फायदे के वास्ते चुनाव कार्यक्रम की घोषणा का समय बदलने के निर्वाचन आयोग के कदम की आम तौर पर कटु आलोचना की गई है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही सम्बद्ध राज्यों में आदर्श चुनावी आचार संहिता अनिवार्य रूप से लागू हो जाती है। इस संहिता के तहत वोटरों को लुभाने की सरकारी घोषणा करने आदि पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबन्ध लग जाता है। निर्वाचन आयोग ने प्रेस कांफ्रेस का समय बदलने का कोई ठोस कारण नहीं बताया । उसका यह रूख पूरी तरह से गैर -कानूनी न भी हो , अनैतिक तो माना ही जा रहा है। आयोग की यह संवैधानिक जिम्मेवारी है कि वह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाए। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा में आयोग की संवैधानिक स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता नहीं नज़र आई।
घनश्याम तिवाड़ी
मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे घनश्याम तिवाड़ी की भाजपा नेतृत्व द्वारा कथित उपेक्षा से ब्राह्मण समुदाय के छिटकने की सम्पुष्ट खबर है। छह बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने हाल में भाजपा छोड़ कर ‘ भारत वाहिनी पार्टी ‘ की कमान संभाल ली। उन्होंने पिछले चार साल से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के ख़िलाफ़ बग़ावत का स्वर उठा रखा था। उन्हीं के पुत्र अखिलेश तिवाड़ी ने इस पार्टी की स्थापना की थी जिसे निर्वाचन आयोग ने इसी बरस 20 जून को पंजीकृत कर लिया है। घनश्याम तिवाड़ी ने घोषणा की है कि वह ख़ुद अपनी पुरानी सीट सांगानेर से चुनाव लड़ेंगे।
घोषणा यह भी है कि उनकी नई पार्टी , प्रदेश की सभी 200 विधान सभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ी करेगी। तिवाड़ी , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार घनश्याम तिवाड़ी का अलग पार्टी से चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए लाभकारी भी हो सकता है। खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी के संपर्क में बताये जाते हैं. राज्य के चार करोड़ से कुछ अधिक मतदाताओं में ब्राह्मण समुदाय का हिस्सा करीब छह प्रतिशत माना जाता है।
वसुन्धरा राजे
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हाल में जयपुर में पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए दावा किया कि राजस्थान में एक बार फिर भाजपा की ही सरकार बनेगी। उन्होंने संकेत दिए कि मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वसुन्धरा राजे सरकार ने बहुत काम किया है। भामाशाह योजना , मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान और गौरव पथ जैसी कई योजनाओं को देशभर में यश मिला है। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों में पिछली बार से भी अधिक सीटें जीतेगी। उनका यह भी कहना था , ” हम लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटें जीतकर फिर नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे “। राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष एवं भाजपा नेता सुमन शर्मा के अनुसार ने अमित
शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव , वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जायेगा और वही फिर मुख्यमंत्री बनेंगी। मुम्बई में 1953 में पैदा वसुंधरा राजे पूर्ववर्ती ग्वालियर रियासत के दिवंगत पूर्व महाराज जिवाजी राव सिंधिया एवं भाजपा की राष्ट्रीय विजया राजे सिंधिया की पुत्री हैं। उनका ब्याह 1971 में धौलपुर रियासत के राजा हेमंत सिंह से हुआ था। अगले ही बरस दोनों अलग हो गए। उनके पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से सांसद हैं। वसुंधरा राजे , कांग्रेस के मध्य प्रदेश से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और उनके दिवंगत पिता माधव राव सिंधिया की बहन हैं। उनकी बहन यशोधरा राजे मध्य प्रदेश में अभी भाजपा की सरकार में उद्योग मंत्री हैं। वसुंधरा राजे इसके पहले भी 2003 से 2008 तक मुख्यमंत्री रही थीं। वह झालरापाटन से तीसरी बार विधायक हैं।
कांग्रेस
कांग्रेस के प्रस्तावित महागठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टियों समेत किसी भी अन्य दल की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भागीदारी को लेकर कोई स्पष्ट रूख नहीं उभरा । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी , पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करने के हिमायती बताये जाते हैं। सचिन पायलट , कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट के पुत्र हैं और उनका ब्याह जम्मू -काश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री फारूख अब्दुला की पुत्री , सारा से हुआ है। वैसे , इस पद के लिए प्रदेश के 10 बरस तक मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने भी हाल में उदयपुर में खुद की दावेदारी व्यक्त कर दी है। उनके शब्द थे , ” राजस्थान के लोग एक चेहरे से परिचित हैं, जो 10 वर्षो तक मुख्यमंत्री रह चुका है “।
वयोवृद्ध कांग्रेस नेता लालचंद कटारिया ने भी कहा कि गहलोत का नाम पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए। बाद में गहलोत ने मुख्यमंत्री की दावेदारी को लेकर चुप्पी साध ली। राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को पार्टी के केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी सौंप दी है। पार्टी महासचिव और राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय ने पार्टी नेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले ‘ गैर-जरूरी ‘ बयान ना देने की हिदायत दी है। कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची तैयार बताई जाती है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री एवं पार्टी की राजस्थान स्क्रीनिंग कमेटी की प्रमुख सुश्री शैलजा के अनुसार पहली सूची अब कभी भी जारी की जा सकती है। प्रदेश में शेखावाटी (सीकर, चुरू और झुंझुंनू) जिलों में हमेशा सत्ता -विरोधी माहौल रहा है। इसे ध्यान में रख गुरुवार को सीकर में राहुल गांधी की जनसभा आयोजित की गई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गृह निर्वाचन क्षेत्र झालवाड़ में चुनावी रैली की। उन्होंने रैली के बाद झालावाड़ से कोटा तक 85 किलोमीटर का ‘रोड शो’ किया। राहुल गांधी का पिछले ढाई महीने में राजस्थान का चौथा दौरा था। नौ अक्टूबर को राहुल ने धौलपुर से दौसा के महुआ तक 150 किलोमीटर का रोड शो किया था।
बसपा
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) से चुनावी गठबंधन अथवा तालमेल करने की संभावना व्यक्त व्यक्त की जा रही थी। लेकिन मायावती जी ने दो टूक घोषणा कर दी है कि बसपा राजस्थान में अपने बूते सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगीं।
आम आदमी पार्टी
राजस्थान में आम आदमी पार्टी (आप) के चुनाव जीतने के लिए अहमदाबाद से संचालित ‘ वार रूम ‘ ने विजय एप तैयार किया है, जिसके जरिए वे गांव और शहर के कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। एप से 50 परिवार को जोड़ने वाले को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ डिनर करने का मौका मिलेगा। आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हाल में जयपुर में हुई बैठक में राजस्थान विधान चुनाव लड़ने की घोषणा की गई।
कम्युनिस्ट
विधान सभा चुनाव के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ( माकपा ) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( भाकपा ) ने विभिन्न पार्टियों के साथ मिल ‘ ाजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चा ‘ ( रालोमो ) का गठन किया है , माकपा ने पने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही जारी कर दी थी। इनमें दांतारामगढ से जुझारू किसान नेता एवं पूर्व िधायक कामरेड अमराराम प्रमुख हैं। दूसरी सूची में जवाहरलाल नेहरू िश्वविद्यालय के छात्र रहे और अभी अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा भी हैं जो पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र से म्मीदवार होंगे। माकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य रविन्द्र शुक्ला ने ताया कि पार्टी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है।
माकपा नेताओं ने भाजपा से अलग होने वाले भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के साथ बातचीत की है। खबर है कि माकपा नेता एवं पूर्व विधायक अमराराम ने तिवाड़ी, बेनीवाल के अलावा समाजवादी पार्टी , जनता दल -सेक्यूलर समेत अन्य गैर -भाजपा , गैर -कांग्रेस दलों के नेताओं से भी लोकतांत्रिक मोर्चे के बैनर तले चुनाव लड़ने को लेकर बातचीत की है।
गुजर समुदाय
भाजपा सरकार ने गुजर समुदाय की मांग पर वर्ष 2015 में एक अधिनियम के तहत उन्हें और चार अन्य जातीय समुदायों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण देने के आदेश जारी किये थे । लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने इस आधार पर वह अधिनियम निरस्त कर दिया कि इससे कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। राज्य सरकार , बाद में जुलाई 2017 में गूजर और उन चार जातीय समुदाय को एक -एक प्रतिशत आरक्षण की ही सुविधा दे सकी। गूजर समुदाय राज्य में अन्य पिछड़े वर्गों को प्राप्त आरक्षण में बंटवारे के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग की तर्ज़ पर संविधान संशोधन के लिए आयोग बनाने की मांग कर रहा है। गूजर समुदाय के कांग्रेस नेता सचिन पायलट को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की संभावना से भी भाजपा को गूजर समुदाय को रिझाने में मुश्किल हो रही है।
(चंद्र प्रकाश झा वरिष्ठ पत्रकार हैं और यूएनआई एजेंसी में काम कर चुके हैं। चुनाव संबंधित विश्लेषण के लिए उनके यूट्यूब चैनल पर इस लिंक के जरिये जाया जा सकता है। https://youtu.be/NV4LS82N7p0 )
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