बॉलीवुड की कंगना के बेतुके बोल

भाजपा की चहेती अभिनेत्री कंगना रनौत को पद्म श्री देकर के गत दिनों क्या सरकार ने कोई गलती की है। यह सवाल बार – बार सोशल मीडिया पर तो उठाया ही जा रहा था और लोग कंगना की दीवानी सरकार को सलाह दे रहे थे कि यह कंगना के उच्च कद को देखते हुए बहुत छोटा सम्मान है। वह तो भारत रत्न की पात्रता रखती हैं। जबकि कुछ पद्मश्री से सम्मानित लोग इसे अब अपना अपमान मान रहे हैं। बात कुछ ऐसी ही है, क्योंकि कंगना का जो स्वरूप अब तक जनमानस ने देखा वह भाजपाई मानसिकता से तो मेल खाता है लेकिन आम जन को  स्वीकार्य नहीं। एक पहाड़ी हिमांचली लड़की से जो उम्मीद जागती है वो उनके पास कतई नज़र नहीं आती। पहाड़ी मेहनतकश  अपना ज़मीर रखते हैं, किंतु यह तो स्मृति ईरानी से भी ज्यादा महान है। इनके ये व्यापारिक रिश्ते कईयों से बिगड़ते देखें गए हैं। जाने कितनी बार अपना परिवार बसाने की बात कर रिश्ते कायम कर तोड़ना इनकी नियति है। मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं।

कुछ समय से ये राजनीति में ज़ोर आजमाईश करने में लगी है और सरकार के पक्ष में ऐसे बयान देती हैं जैसे ये बचपन से भगवा रंग में रंगी हों जबकि ऐसा नहीं है। भाजपा की इस आईकान को इसी वजह से पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए। कंगना जी भी इस सम्मान के बाद हद दर्जे की चापलूसी पर उतर आई और अब वे इस बयान से इतनी चर्चित हो चुकी हैं कि भविष्य में वे कहीं की मुख्यमंत्री बना दी जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि- “1947 में जो आज़ादी हमें  मिली वह भीख थी, असली आज़ादी तो 2014 में मिली। तारीख नहीं बता पाईं शायद उन्हें अपने आका की शपथ तिथि याद नहीं थी।”

लगता तो ऐसा है कि आज़ाद भारत का नया इतिहास लेखन कार्य चल रहा है उसमें यह सब आने वाला है जिसकी पोल कंगना ने खोल के रख दी है। सोशल मीडिया पर किसी ने कंगना को जवाब देते हुए ये लिखा है–भीख में आज़ादी नहीं मिली थी …

भीख में पदमश्री मिला है …

भौंकने के लिए …

सच है विघटनकारी मानसिकता से ग्रस्त होने के कारण एक ही झटके में कंगना ने मंगल पांडेय से लेकर भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल तक के स्वाधीनता आंदोलन के सारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सर्वस्व न्योछावर करने वाले बलिदान की धज्जियाँ उड़ा दीं।

लाखों देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति देकर जो आजादी ली, उसे कंगना भीख बता रही हैं और उनकी इस बात पर बेशर्म लोग तालियां भी बजा रहे हैं।

ऐसे लोगों को पद्मश्री दिलाने वाले मोदी जी जवाब दे,

क्या हम कुर्बानियों में मिली ‘आजादी’ के 75वे वर्ष का जश्न मना रहे हैं, या आपके भक्तों के अनुसार ‘भीख में मिली’ आजादी का ? लकड़ी के घोड़े पर प्लास्टिक की तलवार लेकर वीरांगना बनने वाली सरकारी चाटुकार आजादी के सिपाहियों का अपमान कर रही है।

भाजपा नेता वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा कि कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान किया जाता है, और कभी उनके हत्यारों को महिमा मंडित किया जाता है। कंगना के बयान की तरफ इशारा करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि अब शहीद मंगल पांडे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘इसे पागलपन कहा जाए या देशद्रोह ?’ इस पर पलटवार करते हुए

वरुण गांधी को कंगना रनौत का जवाब था “जा और रो अब”

ये भाषा है पद्मश्री प्राप्त कंगना रनौत की। ये ज्ञान है उनका। जबकि हिन्दी फिल्मों की वे एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। 2014 में आई फिल्म क्वीन में अपने जबरदस्त अभिनय के कारण कंगना को बॉलीवुड की क्वीन भी कहा जाता है। 2019 के लिए 67वे फ़िल्म पुरुस्कार हेतु मणिकर्णिका और पंगा फ़िल्म के लिए कंगना राणावत को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरुस्कार दिया गया। याद कीजिए योगी आदित्यनाथ ने जब फिल्म सिटी नोएडा ले जाने की मुंबई में बैठक की थी उसमें अनुपम खेर और कंगना की महत्वपूर्ण उपस्थिति थी।

इस घटना पर सरकार की चुप्पी अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती प्रतीत हो रही है। कंगना की खनक बरकरार है वे जिस तरह सांसद वरुण गांधी से कह रही है ‘जा और रो अब’। ये ना सनक है ना पागलपन। यह सीधे – सीधे चापलूसी की पराकाष्ठा है जो अहम से भरपूर है। यह घोर निंदनीय है और राष्ट्र द्रोह की परिधि में आती है। भाजपा ने ऐसे लोगों को सिर पर बिठा रखा है। आज प्रजातंत्र रो रहा है। तानाशाही मुस्करा रही है।

(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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