Thursday, April 25, 2024

धजवा पहाड़ मामले में आंदोलनकारियों को बड़ी सफलता, एनजीटी ने खनन को अवैध ठहराते हुए नुकसान के आकलन का दिया निर्देश

रांची। धजवा पहाड़ बचाने की मुहिम में शामिल आंदोलनकारियों को बड़ी जीत मिली है। आंदोलन के 139 वें दिन कोर्ट से न केवल पक्ष में फैसला आया है बल्कि संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार मिली है। धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति द्वारा एनजीटी में दायर याचिका की तीसरी सुनवाई 5 अप्रैल को हुई। पलामू उपायुक्त की जांच रिपोर्ट एवं अधिवक्ता अनूप अग्रवाल द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर एनजीटी ने धजवा पहाड़ मामले की सुनवाई करते हुए समिति के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। एनजीटी ने अपने फैसले में पहाड़ के खनन को अवैध मानते हुए कंपनी को अवैध खनन के लिए दोषी करार दिया। साथ ही एनजीटी कोर्ट ने झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया कि धजवा पहाड़ के अवैध खनन से पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन कर 2 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करे, ताकि दोषी कंपनी के ऊपर जुर्माना लगाते हुए कार्रवाई की जा सके। 

फैसला सुनाने के दौरान कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले को देखने से स्पष्ट होता है कि पलामू जिला प्रशासन अवैध खनन करने वाली कंपनी के पक्ष में काम कर रही है। अंचलाधिकारी सहित जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी 2 महीने पहले से यह पता था की पहाड़ का अवैध खनन चल रहा है फिर भी अवैध खनन करने वाली कंपनी के ऊपर उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करना यह साबित करता है कि अवैध खनन के इस गैरकानूनी कार्य में जिला प्रशासन के संबंधित अधिकारी भी शामिल हैं। 

पिछले साढ़े 4 महीने से झारखंड के पलामू जिले के पांडू प्रखंड में निरंतर धजवा पहाड़ बचाने के लिए पहाड़ की तलहटी में बैठे आंदोलनकारियों के आंदोलन ने अंततः रंग लाया। 

बता दें कि 5 अप्रैल को धजवा पहाड़ पर हुए अवैध पत्थर खनन मामले में एनजीटी कोर्ट (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अर्थात ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण) में सुनवाई हुई। पलामू उपायुक्त द्वारा एनजीटी में सौंपी गयी जांच रिपोर्ट और अधिवक्ता अनूप अग्रवाल द्वारा रखे गए सबूतों के आधार पर एनजीटी कोर्ट ने धजवा पहाड़ पर हुए माईनिंग को अवैध करार दिया और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ये आदेश दिया कि अवैध माईनिंग से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा है? इसका आकलन कर, दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करे।

इससे पूर्व माइनिंग कंपनी के अधिवक्ता, संदीप प्रसाद साव ने कंपनी का पक्ष रखते हुए कहा कि जिस प्लॉट नं 1048 पर विवाद है, वो अप्रोच रोड है और वहां पहले से ही गड्ढा है। इस पर माननीय न्यायाधीश आक्रोशित होते हुए कहे कि, मेरे बाल यूं ही सफेद नहीं हुए हैं। माईनिंग लीज जब प्लाट नं 1046 में दिया गया है, तो प्लाट नं 1048 पर 4 जगहों पर 6 से 10 फीट का गड्ढा क्यों खोदा गया? ये पूरा मामला अवैध माईनिंग का है। पूरे मामले को देख कर स्पष्ट होता है कि, पलामू जिला प्रशासन माईनिंग कंपनी के पक्ष में काम कर रहा है। प्रखंड के अंचलाधिकारी और अमीन को सब पता है कि, प्लॉट नं 1048 पर अवैध माईनिंग हो रहा है, फिर भी माईनिंग कंपनी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं करना ये साबित करता है, कि ये सभी अधिकारी पैसा खा कर कंपनी के पक्ष में काम करते हुए कंपनी के अवैध कार्य को वैध करने की जुगत में लगे हुए हैं।

एनजीटी कोर्ट ने इस मामले में कंपनी को अवैध माईनिंग का दोषी करार दिया और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया कि अवैध माईनिंग स्थल (धजवा पहाड़, पांडू प्रखंड) जा कर ये आकलन करे कि, पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया गया है और कंपनी पर कितना जुर्माना लगाया जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आकलन कर दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपे। मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। 

बताते चलें कि धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति द्वारा एनजीटी में दायर याचिका की दूसरी सुनवाई 11 मार्च को हुई थी। एनजीटी ने धजवा पहाड़ मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को जमकर फटकार लगाई एवं दो हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगा था। पहली सुनवाई में उपायुक्त को स्वयं जाकर जांच करने को मिली नोटिस के बाद जिला प्रशासन ने एनजीटी को शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि प्रथम दृष्ट्या ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहाड़ का अवैध खनन हो रहा है एवं तत्काल खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है। साथ ही उपायुक्त की तरफ से यह भी बताया गया था कि मामले में हाई लेवल कमेटी का गठन कर दिया गया है जो पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। इस पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने कहा था कि जब अवैध खनन की बात स्वीकारी जा रही है तो कमेटी बनाकर किसका इंतजार किया जा रहा है। बल्कि सीधे तौर पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही एवं एनजीटी ने कमेटी को 2 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा था।

आंदोलन स्थल पर मौजूद लोग

इसके अलावा एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस मामले में एक पार्टी बनाते हुए बोर्ड को यह निर्देश दिया था कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड यह आकलन करे जिसमें पर्यावरण को होने वाला नुकसान, नुकसान की भरपाई में लगने वाला खर्च, जिस व्यक्ति ने यह नुकसान किया उससे कितनी राशि जुर्माना के तौर पर वसूली जा सकती है। एनजीटी के आदेश के बाद पलामू उपायुक्त ने एक हाई लेबल जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने जांचोपरांत पाया कि प्लॉट नः 1048 में 4 जगहों पर अवैध माईनिंग की गयी है। यहां 4 जगहों पर 6 से 10 फीट का गड्ढा पाया गया है।

बीते वर्ष 2021 के नवंबर माह से स्थानीय ग्रामीण और जन संगठन के लोग धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति का गठन करके एक बड़ा आंदोलन पत्थर माफिया के खिलाफ शुरू किए थे। संघर्ष समिति का साथ जन संग्राम मोर्चा, सीपीआई माले-रेड स्टार के साथ अन्य कई संगठनों ने दिया और पांडू प्रखंड के कुटमू पंचायत से शुरु हुआ ये आंदोलन देखते ही देखते एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया। 18 नवंबर 2021 से यहां धजवा पहाड़ की तलहटी पर स्थानीय ग्रामीण और जनसंगठन के लोगों द्वारा धरना-प्रदर्शन शुरु किया गया, फिर धरना प्रदर्शऩ को क्रमिक अनशन में बदलते हुए आंदोलन अब तक जारी है।

 इस बीच धजवा पहाड़ बचाओं संघर्ष समिति के आंदोलन को कुचलने के लिए स्थानीय पुलिस ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कंपनी के पक्ष में काम करते हुए पांडू थाना के थाना प्रभारी ने अवैध माईनिंग कर रहे कंपनी के लोगों के साथ मिलकर धरने पर बैठे लोगों, यहां तक की बुजुर्ग आंदोलनकारियों को भी नहीं छोड़ा। आंदोलनकारियों को अपशब्द कहा और उनके साथ धक्का-मुक्की की। जिस टेंट के नीचे ये लोग आंदोलन कर रहे थे, उस टेंट को भी उखाड़ फेंका था। कंपनी के इशारे पर थाना प्रभारी ने संघर्ष समिति से जुड़े दर्जनों लोगों पर माईनिंग कंपनी में जा कर तोड़-फोड़ और लूटपाट करने का झूठा मुकदमा दर्ज किया। आंदोलनकारी इस पुलिसिया बर्बरता से नही डरे और आंदोलन अब भी जारी रखे हुए हैं।

एनजीटी के इस आदेश के बाद धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति एवं धजवा पहाड़ के आंदोलन से जुड़े सभी लोगों में काफी खुशी देखी जा रही है। आन्दोलनकारियों ने उन तमाम मीडिया के लोगों का जिन्होंने उनके आन्दोलन को कवरेज दिया एवं आन्दोलन में नैतिक समर्थन दिया, का आभार व्यक्त किया है। 

आन्दोलनकारियों ने कहा है कि इन तमाम लोगों की वजह से ही धजवा पहाड़ का अस्तित्व अब मिटने से बच गया। उन्होंने कहा है कि बिना इनके सहयोग के धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के लिए यह जीत एक कल्पना मात्र थी।

बताना जरूरी होगा कि एनजीटी कोर्ट के इस फैसले से समिति एवं सहयोगी संगठनों सहित आसपास के सभी गांवों के ग्रामीणों में हर्षोल्लास का माहौल है। धजवा पहाड़ को बचा लेने की खुशी हर एक आंदोलनकारी के चेहरे पर साफ-साफ देखी जा सकती है। इस आंदोलन का मार्गदर्शन कर रहे जन संग्राम मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष युगल किशोर पाल ने कहा कि हम माननीय एनजीटी के इस फैसले का स्वागत करते हैं एवं इस आंदोलन से जुड़े सभी लोगों को उनकी पहली जीत के लिए बधाई देते हैं। आगे उन्होंने कहा कि झारखंड की अस्मिता जल-जंगल-पहाड़ एवं शुद्ध पर्यावरण को भविष्य की खातिर संरक्षित करने के लिए हम तो कटिबद्ध हैं ही परंतु हमारे युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। जब भी किसी माफिया द्वारा झारखंड के पर्यावरण से छेड़छाड़ की जाएगी तो हम मजबूती से उसके खिलाफ संवैधानिक तरीके से लड़ेंगे। वहीं सीपीआईएमएल के बगोदर विधानसभा के विधायक विनोद सिंह ने इस जीत को आम जनता की जीत बताते हुए सभी लोगों को बधाई दी है।

ज्ञातव्य हो कि शुरुआत से ही धजवा पहाड़ बचाने के आंदोलन में सीपीआईएमएल के विधायक विनोद सिंह सहित पलामू गढ़वा के नेताओं ने अहम भागीदारी निभाई है। बीते 21 दिसंबर को विधानसभा घेराव कार्यक्रम में विनोद सिंह स्वयं शामिल हुए थे एवं विधानसभा में धजवा पहाड़ के मुद्दे को उठाया भी था। उसके बाद 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर वे स्वयं चलकर धरना स्थल पर पहुंचे एवं एक विशाल जन सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि वे आंदोलनकारियों के साथ जल जंगल पहाड़ एवं पर्यावरण बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एनजीटी में मिली जीत के बाद विनोद सिंह ने एक बार फिर से झारखंड के जंगल पहाड़ एवं पर्यावरण को बचाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही लोगों से वादा भी किया है कि वह हर कदम पर आगे भी उनका साथ देंगे। 

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि इस फैसले के बाद हम काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और इस आंदोलन से जुड़े हमारे सभी सहयोगी संगठन एवं सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं। पदाधिकारियों ने कहा की इस जीत का पूरा का पूरा श्रेय हमारे सहयोगी संगठनों, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार बंधुओं, अधिवक्ता गण, जनप्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवी समाजसेवियों को जाता है। जिनकी वजह से यह आंदोलन अपने सफल मुकाम तक पहुंचा है। 

इस आंदोलन को सफल बनाने में जन संग्राम मोर्चा के केंद्रीय सचिव राजेंद्र पासवान, गढ़वा जिला प्रभारी अशोक पाल, पलामू जिला अध्यक्ष बृजनंदन मेहता, मूलनिवासी संघ के विनय पाल सीपीआईएमएल (भाकपा माले) के सचिव आरएन सिंह, वरिष्ठ नेता बीएन सिंह, सरफराज आलम, रविंद्र भुईयां, सीपीआईएमएल (रेड स्टार) के वशिष्ठ तिवारी, फूलन देवी विचार मंच के शैलेश चंद्रवंशी, एसटी एससी ओबीसी माइनॉरिटी एकता मंच के रवि पाल, झारखंड क्रांति मंच के शत्रुघन कुमार शत्रु, पीपीआई के संतोष पाल, ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के दिव्या भगत, गौतम दांगी, दानिश आलम, युवा पाल महासंघ गढ़वा के सुमित पाल, सर्वहारा जन संघर्ष मोर्चा के राम लखन पासवान व पुष्पा भोक्ता, हुल झारखंड क्रांति दल के चंद्रधन महतो, अखिल भारतीय पाल महासभा के धर्मेंद्र कुमार पाल, पीयूसीएल के अरविंद अविनाश, पांडू जिला परिषद सदस्य अनिल चंद्रवंशी, पांडू प्रमुख सरोजा देवी, करकट्टा पंचायत के पूर्व मुखिया उपेंद्र कुशवाहा, कुटमु पंचायत के युवा समाजसेवी रामबचन राम एवं कई अन्य जन सहयोगी संगठनों एवं बुद्धिजीवियों ने अपनी अहम भागीदारी निभाई है।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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