ख़बर का असर: पलामू में हुई मनरेगा में लूट का प्रशासन ने लिया संज्ञान, संबंधित कर्मियों से रिकवरी के आदेश

पिछली 3 फरवरी को जनचौक ने झारखंड में मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में एक सोशल ऑडिट के हवाले से बताया गया कि पिछले वर्ष 1,118 पंचायतों में क्रियान्वित मनरेगा की 29,059 योजनाओं में 36 योजनायें JCB से कराये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। कुल 1,59,608 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गए थे, उसमें सिर्फ 40,629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाए गए। शेष सारे फर्जी नाम के मस्टर रोल थे। 1,787 मजदूर ऐसे मिले जिनके नाम मस्टर रोल में थे ही नहीं। 85 योजनायें ऐसी मिलीं जिनमें कोई मस्टर रोल सृजित नहीं किया गया था, परन्तु काम शुरू कर दिया गया था। 376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं था।

पूर्व के वर्षों में भी सोशल ऑडिट के माध्यम से करीब 94 हजार विभिन्न तरह की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें करीब 54 करोड़ राशि गबन की पुष्टि हो चुकी है। राज्य में मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं में यदि मनरेगा के MIS के आंकड़ों को देखे तो स्पष्ट है कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 18-19 और 19-20 में कुल मिलाकर एक बार ही सामजिक अंकेक्षण हो पाया, इससे यह स्पष्ट है कि यदि तीन सालों में हर वर्ष सभी पंचायतों का सामाजिक अंकेक्षण किया गया होता तो यह राशि तीन गुना यानी कि 150 करोड़ की होती, साथ ही यह भी दिखाई देता है कि 13% योजनाओं का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसकी वजह से ऐसी योजनाओं का अंकेक्षण नहीं हो पाया।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के आंकड़े पूरी तरह अपलोड नहीं हैं। पर यदि समवर्ती सामजिक अंकेक्षण की रिपोर्ट जो जारी हुई है, उस पर ध्यान दिया जाय तो सिर्फ 25% मजदूर कार्यस्थल पर काम करते मिले। जिसका अर्थ है कि 75% राशि का विचलन सिर्फ मजदूरी भुगतान में हुआ है, जो प्रति वर्ष करीब 1500 -1600 करोड़ के करीब होता है। अतः यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि यदि पिछले दो सालों में हर वर्ष प्रत्येक पंचायत का एक बार नियमित सामाजिक अंकेक्षण होता तो यह वित्तीय हेराफेरी इन दो सालों में ही शायद करोड़ों में सामने आती। मनरेगा में मशीन का प्रयोग और ठेकेदारी व्यवस्था जो कानूनन वर्जित है, आज झारखण्ड की जमीनी हकीकत बन गई है।

प्रशासन द्वारा जारी हुसैनाबाद से जुड़ा आदेश।

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद प्रशासन ने उसका संज्ञान लिया है और मामले की जांच में न केवल उसको अनियमितता मिली है बल्कि उसने संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर उनसे धन की वसूली का आदेश दिया है।

इस मामले में शासन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि पलामू के हुसैनाबाद प्रखंड के विकास अधिकारी ने उप विकास आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर 1 जून, 2020 से 17 जुलाई, 2020 के बीच चलायी गयी मनरेगा योजना में अनियमितता की पुष्टि की है। इसके आधार पर उन्होंने संबंधित लोगों से 21,02,885 रुपये वसूली का आदेश दिया है। सामाजिक अंकेक्षण के आधार पर बनी इस रिपोर्ट में संबंधित अवधि के दौरान कुल 18,63290 रुपये की अनियमितता पाई गयी है। इसमें शासन ने 12 फीसदी के ब्याज को जोड़ते हुए 20,86,290 रुपये वसूली का आदेश दिया है। इसके अलावा 16 योजनाओं में मशीन के उपयोग की पुष्टि हो जाने के बाद 1000-1000रुपये की फाइन प्रति योजना के हिसाब से लगाया गया है। यह कुल 16000 रुपये की राशि हो जाती है। इस तरह से कुल वसूली जाने वाली राशि 21,02,885 रुपये बनती है।  

जिन लोगों से जितनी राशि की वसूली की जानी है शासन ने उनके नाम और राशि की मात्रा भी जारी की है। हालांकि क्रमवार दिए गए नाम में पहले कर्मी का नाम नहीं है लेकिन उसका पद जरूर दिया गया है वह मेठ है। और उससे 4,20,577 रुपये की राशि वसूली जानी है। दूसरे नंबर पर सत्यम कुमार हैं जो सेवक पद पर कार्यरत हैं उनसे भी उतनी ही राशि यानि 420577 रुपये वसूली जानी है। विवेक कुमार कनीय अभियंता से भी इतनी ही राशि की वसूली की जानी है। मुखिया अखिलेश को भी 420577 रुपये देने हैं। कुल मिलाकर 21,02,885 रुपये की वसूली है, जिसमें अभी तक किसी ने कोई पैसा नहीं जमा किया है।

9 फरवरी, 2022 का प्रशासन का आदेश।

जबकि प्रखंड विकास पदाधिकारी हुसैनाबाद द्वारा 9 फरवरी, 2022 को निर्गत किए गए पत्र में संबंधित रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, कनीय अभियंता, मुखिया को साफ कहा गया है कि “सूचनार्थ एवं अनुपालनार्थ प्रेषित निर्देश दिया जाता है कि आपके द्वारा चयनित संबंधित सभी मेठों से राशि की वसूली करते हुए कार्यालय में जमा करना सुनिश्चित करें। राशि जमा नहीं होने की स्थिति में मेठों की सम्पूर्ण राशि आप सभी के बीच विभाजित कर आप सभी से वसूलने की कार्रवाई की जायेगी”।

पत्र में आगे कहा गया है कि “पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के अन्दर दर्शायी गई राशि को कार्यालय में जमा करना सुनिश्चित करें, अन्यथा राशि जमा नहीं होने की स्थिति में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी”।

बता दें कि मेठ की भूमिका एक ऐसे मजदूर की होती है जो मनरेगा में कार्यरत मजदूरों का नाम हाजिरी पुस्तिका में दर्ज करता है एवं मजदूरों द्वारा किए जा रहे काम पर नजर रखता है। इसके साथ ही वह इस बात का भी ध्यान रखता है कि किस मजदूर को कितनी मजदूरी दी गयी। मेठ प्रायः महिला होती है, विकल्प के रूप में पुरुष मजदूर को मेठ का पदभार दिया जाता है।

प्रखंड कार्यालय द्वारा एक और पत्र जारी किए जाने की बात सामने आ रही है।  जिसके मुताबिक सामाजिक अंकेक्षण दलों द्वारा प्रखंड हुसैनाबाद के पंचायत डंडीला में मनरेगा के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में कार्यान्वित योजनाओं का फेज-2 के अन्तर्गत विशेष अंकेक्षण किया गया, तो इस अंकेक्षण के दौरान संबंधित पंचायत में जारी मनरेगा योजनाओं में अनियमितता देखी गयी। उक्त मामलों में ज्यूरी सदस्यों के द्वारा संबंधितों से निकासी की गई राशि की वापसी कराने एवं पुनः पुनरावृत्ति न हो, इस हेतु संबंधित दोषी कर्मियों को आर्थिक दण्ड लगाने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके अनुसार राशि को बांटते हुए अविलंब वसूली करने का निर्देश दिया गया है।

इस आदेश के आलोक में ग्राम पंचायत डंडीला में विशेष अंकेक्षण ईकाई पलामू द्वारा निर्धारित वसूली की जाने वाली कुल राशि ग्यारह लाख पचपन हजार एक सौ चौबीस रुपये (11,55,124 रू) है जिसकी संबंधित लोगों से वसूली के आदेश दिए गए हैं। मामले से जुड़े लोगों पर जिला कार्यालय द्वारा विशेष अंकेक्षण अभियान चलाकर लंबित मामले को 24 घंटे के अन्दर पूरे करने के आदेश दिए गए हैं।

इस मामले में पहले नंबर पर नाम नहीं है लेकिन पद का नाम मेठ है उससे 3,46,537 रुपये की वसूली होनी है। शम्मू तिवारी, रोजगार सेवक से 25,000 रुपये के वसूली के आदेश हैं। सत्यम कुमार, रोजगार सेवक पर 1,48,269 रुपये का जुर्माना है। राम भजन राम, पंचायत सेवक को 2,31,025 रुपये देने हैं।  विवेक कुमार कुमार, कनीय अभियंता से 1,73,269 रुपये वसूले जाने हैं। तथा अखिलेश  मुखिया से 2,31,025 रुपये की वसूली की जानी है। इस तरह से कुल 11,55,124 रुपये की वसूली है जिसमें अभी तक किसी ने कोई राशि जमा नहीं की है।

प्रशासन का एक और आदेश।

मनरेगा योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार के आलोक में उप विकास आयुक्त, पलामू ने 13 जनवरी, 2021 के दौरान मनरेगा योजना के सामाजिक अंकेक्षण में पायी गयी अनियमतिता की पुष्टि की है। और इस आधार पर उन्होंने ग्राम पंचायत जमआ के निम्न कर्मियों से कुल 1214838 रुपये की वसूली करने का आदेश दिया है।

इसमें विक्रम पासवान, मेठ से 1,39,280 रुपये की वसूली का आदेश दिया गया है जिसमें उसने अभी तक केवल 10,000 रुपये जमा किए हैं। इस तरह से उसके ऊपर अभी 1,29,280 रुपये का बकाया है।

वहीं राजेश यादव मेठ से 2,25,170 रुपये की वसूली की जानी है। उसने भी 10,000 ही जमा किए हैं। उस पर अभी 2,15,170 रुपये का बकाया है।

विनोद कुमार, रोजगार सेवक से 1,82,225 रुपये की वसूली होनी थी और उसने अपनी पूरी राशि जमा कर दी है। नरेश प्रसाद पंचायत सेवक से 1,82,225 रुपये की वसूली होनी थी। अभी तक उसने 95,000 रुपये जमा किए। उस पर कुल बकाया 87,225 रुपये है। वहीं रजा अंसारी, कनीय अभियंता ने 3,03,709 रुपये की वसूली में 50,000 रुपये जमा की और उस पर 2,53,709 रुपये का बकाया है।

अनिता देवी मुखिया ने 1,82,225 की वसूली सब जमा कर दी।

मतलब वसूली के 12,14,838 में जमा हुई राशि 5,29,450 रुपये है। इस तरह से अभी कुल 6,85,388 रुपये का बकाया है जिसकी वसूली की जानी है।

इस बाबत राज्य के कई सामाजिक संगठन के लोगों ने जहां जनचौक का आभार व्यक्त किया है वहीं पलामू के उप विकास आयुक्त के कदम की सराहना की है।

नरेगा वॉच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज कहते हैं कि “आखिर इतना बेखौफ होकर ठेकेदार और सिस्टम में बैठे लोग सरकारी धन के दोहन में कैसे मशगूल हैं? ऐसे काले कारनामे वगैर नीचे के मजदूरों और ऊपरी स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं होगा। सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही समय की मांग है”।

वो आगे कहते हैं, “सामाजिक अंकेक्षण जो एक कानूनी हथियार है, इसके व्यापक इस्तेमाल से काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। साथ ही नागरिकों को अपने नागरिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए जन निगरानी रखनी होगी। हम सरकार की ऐसी त्वरित कार्रवाई का सम्मान करते हैं जिन्होंने समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण प्रतिवेदन पर संज्ञान लिया और साथ ही जनचौक का आभार भी व्यक्त करते हैं जिसने बेखौफ तरीके से सोशल ऑडिट को वृहद स्तर पर सामने रखा”।

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर काशीनाथ चटर्जी ने मनरेगा में किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि पलामू उप विकास आयुक्त के द्वारा मनरेगा में किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक अंकेक्षण दल की रिपोर्ट पर जो रिकवरी का आदेश दिया गया है वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सामाजिक अंकेक्षण दल निरंतर इस तरह के खामियों को उठाता रहा है। हम उसकी सराहना करते हैं साथ ही प्रगतिशील व जनपक्षधर मीडिया का भी शुक्रगुजार हैं जिसने जोरदार ढंग से इस तरह के भ्रष्टाचार को उठाया और अंततः उप विकास आयुक्त पलामू ने तत्काल कार्रवाई की। हम यह मांग करते हैं कि पूरे झारखंड में इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और प्रगतिशील पत्रकार भी एक सजग प्रहरी के रूप में इस काम में सामाजिक अंकेक्षण समूह और सिविल सोसायटी के लोगों की मदद करें।

युवा जुमुर पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा कार्यक्रम संयोजक, मानकी तुबिद मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कहते हैं कि आज पूरे झारखंड में यही स्थिति है, लेकिन ऐसी समस्याओं को कहीं अखबारों में या टीवी चैनलों द्वारा कवर नहीं किया जाता है, जिसके कारण संबंधित अधिकारी ऐसी समस्याओं पर कोई संज्ञान नहीं लेते हैं और न ही सकारात्मक करवाई नहीं करते हैं। हमारे समाज व देश में आज भी कुछ ही ऐसे पत्रकार हैं, जो सच्चाई को सामने लाते हैं और आज लोगों तक पहुंचाने के बाद ऐसी समस्याओं पर कार्रवाई हुई है। बहुत ही सराहनीय कार्रवाई हुई। एक तरफ जहां हम इसके लिए जनचौक का आभार व्यक्त करते हैं वहीं यह अपील करते हैं कि इससे अन्य पदाधिकारियों को भी सीख लेनी चाहिए। अगर मनरेगा के इस फर्जीवाड़े पर ऐसी ही कार्रवाई होती रहे तो काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकती है।

राज्य कार्रवाई अनुपालन समीक्षा समिति के सदस्य विश्वनाथ सिंह कहते है जब सत्ता की पकड़ प्रशासन पर कमजोर पड़ती है तो बेलगाम होकर खुद सरकार के सिस्टम को चलाने वाले लोग ही सरकारी धन को लूटने में उसका दुरुपयोग करने में लग जाते हैं। सामाजिक अंकेक्षण जैसी प्रक्रिया का प्रावधान होने के बावजूद भी सरकार इसे प्राथमिकता में जब नहीं लेती है ऐसे समय में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के द्वारा जब बात को सर्वजन के समक्ष लाया जाता है, तो अपनी निंदा से बचने के लिए और अपने शरीर में लगे दाग को छुड़ाने के लिए शासन और प्रशासन को बाध्य होकर ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं। ऐसे कदम उठाने में मीडिया का जो योगदान है, वह देश के हित में देश को समर्थ बनाने में और निस्वार्थ रूप से सामाजिक कार्य में लगे कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने में काफी बड़ा अस्त्र है।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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