Friday, March 29, 2024

‘अवतारी पुरुष’ के निर्माण के बाद अब ताली-थाली के लायक ही बचे हैं युवा

सुनने में आ रहा है कि बेरोजगार युवा अपने हक की बात अर्थात नौकरी और नियुक्ति की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए कल यानी 5 सितंबर की शाम ठीक पांच बजे पांच मिनट के ताली-थाली बजाएंगे! किसी भी समाज या देश की युवा पीढ़ी क्रांति की बुनियाद होते हैं। जब युवा पीढ़ी ही अपने ढोंगी राजा के ढोंग में रंगकर उसी हथियार से क्रांति करने की राह पर आ जाएं तो समझा जाना चाहिए कि उसी रंग में रंग चुके हैं, अर्थात मानसिक स्तर बराबर का हो चुका है।

जो लोग युवाओं के हकों अर्थात हर साल दो करोड़ रोजगार के वादे को लेकर सरकार से सवाल कर रहे थे, उनको गालियां ये युवा ही दे रहे थे कि पहले वालों ने क्या कर दिया? देश मजबूत किया जा रहा है तो तुम लोग देशद्रोह का कार्य कर रहे हो! जब किसानों की समस्याओं को लेकर लिखा जा रहा था तब कह रहे थे कि 70 साल के गड्ढे भरने में समय तो लगेगा ही! तुम वामपंथी-पाकपरस्त लोगों को जलन हो रही है! जब गरीब भात-भात करके भूख से मर रहे थे, लोग सवाल खड़ा कर रहे थे, तो कहा जा रहा था कि देश को बदनाम किया जा रहा है।

असल बात यह है कि जब कैग, सीवीसी, सीबीआई, ईडी आदि को हड़पा जा रहा था तब युवा समझ रहे थे कि समस्याओं की जड़ यही हैं और इनके खत्म होने में ही भलाई है! जब सरकारी संस्थानों, ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदले जा रहे थे तब युवाओं को लग रहा था कि अति  प्राचीन महान सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है और ऐसा रामराज्य स्थापित होगा कि डीजल-पेट्रोल की महंगाई से भय मुक्त होकर बंदरों की तरह हम खुद ही उड़ लेंगे!

जब मी लार्ड लाया बने तो लगा कि न्यायपालिका का भ्रष्टाचार मिटाया जा रहा है! जब रंजन गोगोई राज्यसभा के रंग में रंगे तो लगा कि दुग्गल साहब ने कहा कि राज्य सभा में हमारा बहुमत नहीं है, शायद बहुमत का जुगाड़ करके हमारी समस्याओं का समाधान किया जाएगा!

संसद के वित्तीय पावर को जीएसटी काउंसिल को ट्रांसफर किया गया तो युवाओं को लगा कि संसद में देश द्रोही विपक्ष सरकार को काम करने नहीं देते इसलिए कोई रास्ता खोजा जा रहा है! विपक्ष को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के इन्हीं होनहार युवाओं ने निपटाया है और आज हालात यह हैं कि सत्ता कह रही है संसद में विपक्ष सवाल पूछकर क्या करेंगे! वो फोटो याद है न जब साहब ने संसद की सीढ़ियों को चूम कर ही संसद में प्रवेश किया था, मगर वो बात भूल गए कि गोडसे ने गांधी को खत्म करने के लिए भी दंडवत प्रणाम किया था!

जो पिछले तीन दशक से वैज्ञानिक सोच को मात देने के लिए चमत्कारिक, ढोंगी, अलादीन के चिराग पैदा हुए उनको बड़ा बनाने में भारत के युवाओं ने महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है, जितने में सत्ताधारी लोग हैं उनकी सोच को देखते हुए लग रहा है कि युवाओं ने देश की सत्ता चलाने के नौकर नियुक्त नहीं किए बल्कि अवतारी पुरुष पैदा किए हैं। साहब को सुनकर लगता था कि पढ़ा-लिखा होना जरूरी है, मगर लाल जिल्द वाली पोटली लिए मैडम को देखा कि पढ़ने का क्या फायदा!

मोदी का स्केच।

बेरोजगार युवाओं से कहना चाहता हूं कि जब स्वतंत्र निकाय को हड़पा जा रहा था तब आप खुश थे, पुलिस-सेना से लेकर न्यायपालिका तक का रंगरोगन किया जा रहा था तब आप खुश थे, जब सरकारी उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा था तब आप चुप थे, जब सरकारी कर्मचारियों को कामचोर, भ्रष्ट, बेईमान कहकर निकाला जा रहा था तब आप मौन समर्थक थे! अमेठी के युवा ने पकौड़े का ठेला लगाने के लिए लोन मांगा था तो बैंक ने कहा कि तुम्हारे पास कोई एसेट नहीं है इसलिए लोन नहीं मिलेगा! एसेट तो युवाओं की सोच थी, जो चाचा नसीब वाले को भेंट कर दी थी अब रोजगार किससे व किस तरह का मांग रहे हो!

5 सितंबर को ताली-थाली बजा लेना और अगले पड़ाव पर शंख जरूर बजाइए! अमिताभ बच्चन भी शंख बजाने से चूक गए थे, इसलिए कोरोना पॉजिटिव हो गए थे! जिनसे ताली-थाली बजाकर रोजगार मांगने जा रहे हो वो इस वीडियो में देखें! इस धंधे के ये माहिर खिलाड़ी हैं। युवाओं का मानसिक स्तर अपने हिसाब से सेट कर चुके हैं। अब युवा विरोध, आंदोलन, क्रांति नहीं करने वाले, क्योंकि व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी ने इनकी सोच का दायरा सीमित कर दिया है। अब ये ताली-थाली बजाने लायक ही बचे हैं!

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles