Friday, April 19, 2024

बिहारवासियों, आप के पास भारत के ट्रम्प भक्तों की नफ़रती सियासत की ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का है मौका!

बिहारवासी बहनों-भाइयों,

दुनिया से नफ़रत के सौदागरों की विदाई शुरू हो चुकी है। महान अमेरिकी जनता ने महाठग ट्रम्प को White House से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, अब बस औपचारिक घोषणा बाकी है, इसमें चाहे जितना समय लगे।

अफसोस, ट्रम्प को जिताने के लिए, यहां तक कि अमेरिका में चल रही counting रुकवाने के लिए, यहां भारत में भक्तों का कोई यज्ञ-हवन काम न आया। यकीन मानिए, अमेरिका की धरती पर जाकर “अब की बार ट्रम्प सरकार” का नारा लगाने वालों और कोरोना के खतरे के बीच उसे यहां बुलाकर “नमस्ते ट्रम्प” करने वालों के दिन भी पूरे होने वाले हैं। 

और उनके अंत की शुरुआत ( Beginning of the End) का श्रेय आपको मिलने जा रहा है। इतिहास ने यह आपके हिस्से में रखा है। Bihar shows the way ! यह भारत के ट्रम्प भक्तों की नफ़रती सियासत की ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का मौका है। इसे हाथ से मत जाने दीजिये। 

मौके की नजाकत समझ मोदी जी के “वर्तमान व भावी मुख्यमंत्री ” पहले ही सन्यास का एलान कर चुके हैं। महामारी के बावजूद पहले चरण में आपने 20 साल का रिकार्ड मतदान (55.69 %) करके अपने इरादे जाहिर कर दिए, और दूसरे चरण में उससे भी अधिक 55.70 %।

चुनाव के इस आखिरी चरण में आज आपकी फाइनल परीक्षा है। पहले और दूसरे चरण में जिस दिशा में आपने मजबूत कदम उठाये हैं, उस पर आज आखिरी मुहर लगाइए, उसे आज निर्णायक जनादेश की ओर बढ़ाइए। 

दिखाइए उन्हें बाहर का रास्ता, जिन्होंने आपके प्यारे राज्य को, हमारे भारत के सिरमौर बिहार को विकास के सभी सूचकांकों के आधार पर देश का सबसे फिसड्डी राज्य बना दिया, सबसे ज्यादा बेरोजगारों, असहाय पलायन करने वालों-रोजी, रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य सब के लिए, सबसे ज्यादा कुपोषितों, बाढ़-सुखाड़ में मरने वाले लाचारों का राज्य बन दिया।

संकट की इस घड़ी में, दिखाइए एक बार फिर इस देश को रास्ता, हिंदुस्तान सांसें रोक कर आपके फैसले का इंतज़ार कर रहा है। बनाइये नया बिहार, जनता के नए भारत के लिए।

हराइये भाजपा, नीतीश और उनके सम्भावित सहयोगियों को ताकि फासीवादी अश्वमेध के घोड़े को लगाम लगे।

भाकपा (माले), वामपंथ और महागठबंधन को जिताइये।

ताकि रोजगार, समग्र कृषि विकास और उसकी अर्थनीति राष्ट्रीय राजनीतिक प्रश्न बने।

ताकि देश में छात्र-युवा, किसान, मेहनतकश आंदोलनों को नया आवेग मिले।

ताकि निर्णायक हिंदी-उर्दू पट्टी में वामपंथ व जनपक्षीय ताकतों को पुनर्जीवन मिले।

ताकि बिहार लोकतांत्रिक सुधार, आर्थिक पुनर्जीवन तथा सांस्कृतिक जागरण की नई यात्रा की ओर कदम बढ़ाए।

बिहार की महान जनता के शौर्यपूर्ण संघर्षों की गौरवशाली विरासत ज़िंदाबाद।

बिहार की जनता को नए, सम्भावनामय उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामना।

(लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं।)

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

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