श्रीनगर। रात के 1.15 बजे, जब पुलिस वाले उनके घर के आंगन में घुसने लगे, तो कुत्तों के भौंकने की आवाज़ से असिफ़ा मुबीन की नींद टूटी।
उनके पति मुबीन शाह जो एक अमीर कश्मीरी व्यापारी हैं, रात के अंधेरे में अपने बेडरूम की बालकनी से बाहर निकल आए। अधिकारियों ने चिल्लाकर कहा कि वह उनकी गिरफ़्तारी करने के लिए आये हैं। आसिफा ने बताया कि जब मुबीन शाह ने वारंट की मांग की तो अधिकारियों ने वारंट होने की बात से इंकार कर दिया।
अधिकारियों ने कहा कि “यह अलग मामला है” । “हमारे पास आदेश हैं।”
यह भारत द्वारा कई दशकों में किए गए नागरिक नेताओं की सबसे बड़ी सामूहिक गिरफ्तारियों में से एक की शुरुआत थी।
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 2,000 कश्मीरियों – जिनमें बिज़नेसमैन, नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, चुने हुए प्रतिनिधि, शिक्षक और 14 वर्ष से कम उम्र के छात्र शामिल थे- को सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के विशेषाधिकार निरस्त किए जाने के ठीक पहले और बाद के दिनों में सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिया गया था।
हिरासत में लिए गए लोग अपने परिवार के साथ संवाद या वकीलों तक से नहीं मिल पा रहे थे। उनके ठिकाने अभी भी अज्ञात हैं। गवाहों ने बताया कि अधिकांश लोगों की गिरफ्तारी रात में हुई थी।
मानवाधिकार वकील वृंदा ग्रोवर कहतीं हैं, “कश्मीर एक कब्रिस्तान की तरह शांत है।” सरकार ने यह बताने से इंकार कर दिया है कि हिरासत में लिए गए लोगों पर क्या आरोप हैं या उन्हें कब तक रखा जाएगा। ख़बर है कि उनमें से कुछ को लखनऊ, वाराणसी और आगरा की जेलों में भेज दिया गया है।
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि कश्मीर को लेकर वह “गंभीर रूप से चिंतित” है।
दशकों से, कश्मीर मिलिटेंसी, उत्पीड़न और अशांति से जूझ रहा है। लेकिन कश्मीरी लोग अब अपने आप को और भी अधिक वंचित और प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। डर यह है कि यह पूरा क्षेत्र जलने वाला है, क्योंकि फोन लाइनों के बाधित होने, नेताओं के जेल में बंद होने और हर सड़क पर सैनिक तैनात होने के बावजूद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इनमें से कुछ शांतिपूर्ण हैं, तो अन्य में पथराव और टकराव हो रहे हैं। लेकिन रोष तो हमेशा ही रहा है।
“इसका अब बस एक ही समाधान! बंदूक समाधान ! बंदूक समाधान!”, प्रर्दशनकारियों में गूंज रहा एक नारा है। गृह मंत्रालय इन सामूहिक गिरफ्तारियों के बारे में किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर राज्य को बहुत लंबे समय से नुकसान उठाना पड़ा है और अब बदलाव की ज़रुरत है। उन्होंने वादा किया कि नई व्यवस्था से शासन में सुधार होगा, शांति आएगी और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिस पर कई कश्मीरी सवाल उठा रहे हैं, ख़ास कर अब जब उनके बिज़नेस नेताओं को जेल में डाल दिया गया है।
एक प्रमुख कश्मीरी व्यापारी फारूक कठवारी पूछते हैं, “कौन निवेश करेगा वहां?” उन्होंने कहा कि सुरक्षा अधिकारियों ने जिस तरह से इस स्थिति को नियंत्रित किया है उससे “लोगों की गरिमा को ठेस पहुंची है। उन्होंने एक क्रोध पैदा किया है, और यह क्रोध उनसे कुछ भी करवा सकता है।”
हिरासत में लिए गए लोगों में शामिल हैं मियां कयूम, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष; मोहम्मद यासीन खान, ‘कश्मीर आर्थिक गठबंधन’ के अध्यक्ष; राजा मुजफ्फर भट्ट, एक भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यकर्ता; फ़याज़ अहमद मीर, एक ट्रैक्टर चालक और अरबी भाषा के विद्वान; और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती।
बैग की जांच करवा चुके, हाथ में बोर्डिंग पास लिए, हार्वर्ड में फेलोशिप के लिए रवाना हो रहे एक अन्य कश्मीरी राजनेता शाह फैसल को नई दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई-अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। राज्य के कई प्रमुख राजनेताओं को नज़रबंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें ” किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा ना लेने” के आदेश दिए गए हैं।
63 वर्षीय धनी व्यापारी मुबीन शाह के मामले में, उनकी पत्नी अपने पति की गिरफ्तारी को लेकर अभी भी सदमे में हैं। उन्होंने कहा, “वह तो बस बिज़नेस करने वाले एक व्यक्ति थे”, जो कश्मीरी कलाकृतियों और कालीनों का व्यापार करते थे और कश्मीर में नए बिजली संयंत्र बनाने के लिए विदेशी निवेशकों को लुभाने की कोशिश कर रहे थे – बिल्कुल वही जो मोदी सरकार कहती है कि वह लोगों से चाहती है।
जिस समय दर्जनों सुरक्षाकर्मियों ने मुबीन शाह को घेर रखा था तो अन्य सैनिक दल घाटी में घर-घर जाकर कुछ ख़ास लोगों को तलाश रहे थे। कम से कम 20 सैनिक भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यकर्ता भट्ट के घर में घुसे थे, उनके परिवार के सदस्यों ने बताया।
भट्ट के परिवार ने कहा कि उन्हें पहले कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था, “एक घंटे के लिए भी नहीं”।
जब उनकी पत्नी फौज़िया कौसर ने पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है, तो कश्मीरी पुलिस ने कहा कि उन्हें पता नहीं है। जवाब फिर से वही था: आदेश ।
मुबीन शाह की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, उनके बड़े भाई नियाज़ ने उन्हें श्रीनगर की एक जेल में ढूंढ निकाला।
मुबीन शाह ने जेल के गार्ड से पूछा कि क्या वह अपने भाई को गले लगा सकते हैं। गार्ड ने इजाज़त दे दी।
अगली सुबह, नियाज़ शाह कुछ कपड़े लेकर वापस जेल गए। लेकिन गार्ड ने उन्हें बताया कि उनके भाई जा चुके हैं, उनको एक सैन्य विमान से आगरा ले जाया जा चुका था।
( जेफ्री जेंटलमेन, काई शुल्ट्ज़, समीर यासिर और सुहासिनी राज की ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ में 23 अगस्त 2019 को छपी रिपोर्ट पर आधारित। अनुवाद बिदिशा द्वारा किया गया है।)
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