Friday, March 29, 2024

तीसरी लहर आने से पहले गायत्री मंत्र और गौमूत्र से कोरोना का इलाज मुमकिन कर देगी मोदी सरकार

20 मार्च 2021 को 24 घंटे में कोरोना के 40,953 मामले दर्ज़ किये गये और 188 लोगों की मौत हुयी। यानि 112 दिन बाद ये आँकड़ा फिर से दर्ज़ किया गया जबकि इससे पहले 28 नवंबर 2020 को एक दिन में 41,810 केस दर्ज़ किये गये थे। कोविड-19 की पहली लहर के सितंबर 2020 में पीक पर पहुँचने के बाद 01 फरवरी 2021 को 24 घंटे में 8,635 नये केस न्यूनतम केस के तौर पर दर्ज़ किये गये थे। उपरोक्त आँकड़े ये बताते हैं कि 01 फरवरी से 20 मार्च तक आते-आते कोरोना के मामलों में पांच गुना वृद्धि हो गई थी। और ये वृद्धि कोरोना के दूसरे और सबसे ख़तरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रहे थे। लेकिन इस समय देश के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार व तमाम मंत्रालय क्या कर रहे थे, कोरोना से निपटने के लिये।

ना ही वो ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे थे, न ही वो वेंटीलेटर या ऑक्सीजन कंसंट्रेशन मशीन का उत्पादन कर रहे थे। न वे रेमडेसविर का उत्पादन बढ़ा रहे थे। न ही वो नये अस्पतालों की व्यवस्था कर रहे थे। दरअसल देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तो 26 मार्च से शुरु होने वाले पांच राज्यों के चुनावी अभियान में जुट गये थे। जबकि सरकार का विज्ञान और तकनीक विभाग ने कोरोना संक्रमण के इलाज में गायत्री मंत्र के जाप और प्राणायाम के प्रभावों के क्लीनिकल परीक्षण के लिए फंड दे रही थी। औपचारिक तौर पर यह परीक्षण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री (मानव परीक्षणों के लिए अनिवार्य) के साथ पंजीकृत है।

एक ऐसे समय जब दुनिया भर में परेशानी का सबब बन चुके कोरोना महामारी को मात देने के लिए अनेक तरह के शोध और अध्ययनों का दौर चल रहा था। दुनिया भर के देश जहाँ वैक्सीनेशन के जरिए कोरोना वायरस को कमजोर करने की कोशिश में लगे हुये थे वहीं भारत देश में वैक्सीन और दवाइयों के इतर कोरोना सहित अन्य लाइलाज बीमारियों पर मंत्र और योग के प्रभाव का आकलन किया जा रहा था। इस आशय में एम्स (ऋषिकेश) के विशेषज्ञों को कथित शोध में भिड़ाया गया। और हँसने वाली बात ये है कि इस शोध को भारत सरकार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) प्रायोजित कर रहा था। 

गायत्री मंत्र से कोरोना के इलाज के पायलट प्रोजेक्ट में ऋषिकेश में हो रहे इस शोध में 20 मरीजों को शामिल किये जाने की योजना थी। 14 दिन तक चलने वाले इस कथित शोधकार्य में परीक्षण के दौरान विशेषज्ञ मरीजों के शरीर में होने वाले बदलावों की जांच होती। 20 मरीजों को दो समूहों में बांटा गया। पहले समूह के लोगों से सामान्य उपचार के साथ दिन में दो वक्त प्राणायाम और गायत्री मंत्र का जाप कराया गया। वहीं, दूसरे समूह के लोगों को कोरोना का सामान्य उपचार दिया जाना था। निर्धारित अवधि के बाद दोनों समूह के लोगों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद दोनों समूह के मरीजों के स्वास्थ्य में होने वाले अंतर की तुलना की जाएगी। जिससे यह पता लगाया जाएगा कि जिन मरीजों ने सामान्य उपचार के साथ गायत्री मंत्र का जाप और प्राणायाम किया और जिन लोगों को केवल सामान्य उपचार दिया गया उनकी स्थिति में क्या अंतर है। 

ये सब तब किया जा रहा था जब साल 2021 के 19 मार्च को  39,726 नये कोरोना केस,  18 मार्च को  35,871 नये कोरोना केस 17 मार्च को 28,903 नये कोरोना केस, 16 मार्च को  24,492 नये कोरोना केस, 15 मार्च को 26,624 नये कोरोना केस, 14 मार्च को 25,320 नये कोरोना मामले, 13 मार्च को  24,882 नये केस, 12 मार्च को 23,285 नये कोरोना मामले, 11 मार्च को 22,854 नये कोरोना मामले, 10 मार्च को 17,921 नये कोरोना मामले 09 मार्च को 15,388 नये कोरोना मामले,  08 मार्च को 18,599 नये कोरोना मामले, 07 मार्च को 18,711 नये कोरोना मामले, 06 मार्च को 18,327 नये कोरोना मामले, 05 मार्च को 16,838 नये कोरोना मामले, 04 मार्च को 17,407 नये कोरोना मामले, 03 मार्च को 14,989 नये केस, 02 मार्च को 12,286 नये कोरोना मामले और 01 मार्च को 15,510 नये कोरोना मामले तुलनात्मक रूप से आने वाले अप्रैल महीने के लिए तबाही का दस्तक दे रहे थे।

19 व 20 मार्च को तमाम अख़बारों में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में 20 मध्यम लक्षणों वाले कोविड-19 मरीजों को भर्ती करना है। इन्हें फिर दो समूहों में बांटा जाएगा, जहां एक समूह को चौदह दिनों तक सामान्य उपचार के साथ एक सर्टिफाइड योग शिक्षक की निगरानी में जाप और सांस संबंधी व्यायाम करने होंगे।

इसके बाद दोनों समूहों की तुलना इस आधार पर की जाएगी कि जिन्हें अतिरिक्त उपचार मिला क्या उनमें संक्रमण या कोशिकाओं से जुड़े औसत से अधिक सुधार हैं। कोरोना संक्रमण के कारणों में से एक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की वायरस की उपस्थिति को लेकर सामान्य से अधिक प्रतिक्रिया है, जिसके चलते कोशिकीय सूजन और नुकसान घातक साबित हो सकते हैं। हालांकि कई प्रयोगात्मक थैरेपी उपलब्ध हैं लेकिन स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिए अब तक कोई दवा कारगर साबित नहीं हुई है। हालांकि उक्त अध्ययन कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर नहीं होना था। बल्कि इस बात का मूल्यांकन होना था कि क्या दोनों समूहों के नेगेटिव टेस्ट होने में कितना अंतर था और वे कितने दिनों तक अस्पताल में रहे। इस बात का भी मूल्यांकन होगा कि क्या उनमें थकान और एंग्जायटी (घबराहट) कम हुए हैं।

गायत्री मंत्र से कोरोना इलाज यानि महामारी के बहाने हिंदुत्व की श्रेष्ठता ग्रंथि को पुष्ट करने की कवायद

गायत्री मंत्र को पढ़ने से जो अनुभूति हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को मिलती है वही अनुभूति सिख धर्म में आस्था रखने वाले को ‘गुरबानी’ और इस्लाम धर्म में आस्था रखने वालों को ‘कुरान की आयतों’ से मिलती है। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर गायत्री मंत्र ही क्यों गुरबानी या आयतें क्यों नहीं?

दरअसल देश की सत्ता में बैठे लोग अतीतजीवी हैं। वो अतीत में जीते हैं क्योंकि उनके पास भविष्य का कोई खाका नहीं है। न ही उल्लेख करने लायक कोई वर्तमान है। ऐसे में उनकी संकुचित मानसिक ग्रंथि को श्रेष्ठता बोध से पुष्ट करने के लिए कुछ न कुछ फर्जी करना ही था उन्होंने ये रास्ता चुना। और कोरोना जैसे भयानक बीमारी का इलाज कभी गौ मूत्र में, कभी गाय के गोबर में, कभी रामचरित मानस में तो कभी गायत्री मंत्र में होने का दावा करते और दावों को पुष्टि के लिये कथित शोध का ढोल पीटते नज़र आये।

गौरतलब है कि पिछले साल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के ख़िलाफ़ युद्ध को महाभारत युद्ध की तर्ज़ पर 18 दिन में जीतने का दावा किया था। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 18 दिन में प्रति दिन एक पाठ के हिसाब से भगवद गीता का पाठ करने की अपील की थी। वहीं विकट कोरोना विस्फोट के बीच 22 अप्रैल को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राम चरित मानस का पाठ कोरोनाकाल में औषधि का काम करेगा।

गौमूत्र से कोरोना का इलाज

02 मई 2021 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि गौमूत्र पीने से कोरोना और कैंसर जैसी बीमारी नहीं होगी क्योंकि गौमूत्र से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

23 अप्रैल 2021 को एक भाजपा कार्यकर्ता द्वारा आईसीयू में लेटी एक कोरोना पीड़ित महिला को गौमूत्र पिलाने का वीडियो वायरल हुआ था।

इससे पहले 07 मार्च 2021 को मध्यप्रदेश सरकार में संस्कृति और अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर ने गाय के गोबर को सैनिटाइजर बताते हुए कहा कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गाय के गोबर के कंडे पर हवन के दौरान गो-घी की महज दो आहुतियों को करने से 12 घंटे तक कोरोना से संक्रमणमुक्त रहा जा सकता है।

उठा ठाकुर ने आगे कुतर्क देते हुये कहा था कि यह विज्ञान है कि भगवान सूर्य जब आकाश पर उदित या अस्त होते हैं, तो (धरती की) गुरुत्वाकर्षण शक्ति 20 गुना तक बढ़ जाती है। शाम को (वायुमंडल में) ऑक्सीजन कम होती है, इस समय यदि हमें ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा चाहिए, तो घी की ये दो आहुतियां इस प्रचुरता को सम्पूर्ण पर्यावरण में व्याप्त कर देती हैं।”

वहीं इससे पहले 03 मार्च 2020 को असम विधानसभा में बांग्लादेश में गायों की तस्करी पर परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए बीजेपी नेता सुमन हरिप्रिया ने दावा किया था कि कोरोना वायरस हवा जनित बीमारी है जिसका इलाज गौमूत्र और गोबर से संभव है।

भाजपा विधायक ने आगे कहा था कि चीन की हवा अशुद्ध है। इसलिए कोरोना वायरस से बचने के लिए चीन को अपने देश की हवा को शुद्ध करने के लिए ‘हवन’ करना चाहिए। ऋषि मुनि गोबर का इस्तेमाल कर हवन करते थे। जिससे 05 किलोमीटिर के दायरे में हवा शुद्ध हो जाती थी। गौमूत्र और गोबर में औषधीय गुण होते हैं।

वहीं 19 मार्च 2020 को बीजेपी विधायक महेंद्र भट्ट ने टीवी पर कहा था कि खाली पेट गोमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस के विषाणु खत्म हो सकते हैं।

न्यूज 18 चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, नहाने के बाद अगर दो चम्मच गोमूत्र को खाली पेट ले लिया जाए तो शरीर के अंदर विषाणु का नाश हो जाता है। इससे कोरोना ही नहीं हर प्रकार के दुष्प्रभाव वाले विषाणु खत्म हो जाते हैं। यह कोरोना से बचने का आयुर्वेदिक पक्ष है।

गौमूत्र से कैंसर के इलाज पर संसद में मोदी सरकार की रिपोर्ट

पिछले साल कोरोना के आगमन के बिल्कुल शुरुआत में 14 मार्च 2020 को गौमूत्र पर पहली बार सरकार ने साइंटिफिक रिसर्च के डेटा सामने रखे थे। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने CSIR से संबंधित लखनऊ के ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स’  की देसी गाय पर की गई रिसर्च  “Bio Enhancing Properties” के आधार पर बताया था कि डिस्टिलेशन से तैयार किया गौमूत्र अर्क की थोड़ी मात्रा Rifampicin और Ampicillin की एक्टविटी ग्राम पॉजिटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्‍टीरिया के प्रति बढ़ा देती है। इसके अलावा एंटी कैंसर टैक्सॉल (Paclitaxel) की एक्टिविटी भी गौमूत्र अर्क से बढ़ जाती है। इस बारे में तीन इंटरनेशनल पेटेंट भी हासिल किये गए हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने ये भी बताया था कि विज्ञान एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ साइंस, डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी, काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR-IVRI), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR), मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) और आयुष मंत्रालय एक साथ मिल कर देसी गाय के प्रोडक्ट पर खास रिसर्च कर रहे हैं और इस रिसर्च प्रोजेक्ट का नाम सूत्रा-पिक इंडिया प्रोग्राम (Scientific Utilisation through Research Augmentation Prime Products from Indigenous Cows) है।

इस प्रोग्राम के तहत स्वास्थ्य कृषि और पोषण और मेडिसिनल उपयोग के लिए गाय के प्रोडक्ट और रिसर्च करना शामिल है जिससे कि गाय से संबंधित प्रोडक्ट्स के लिए वैज्ञानिक आधार और सर्टिफिकेट प्राप्त हो सके। इसमें गोबर, गौमूत्र पर रिसर्च भी शामिल है।

हर्षवर्धन ने बताया था कि इस प्रोग्राम में डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी नोडल एजेंसी के तौर पर काम कर रहा है जबकि आईआईटी दिल्ली इसके कोऑर्डिनेटर इंस्टिट्यूट के तौर पर काम कर रहा है वहीं 50 साइंटिफिक लैबोरेट्रीज काम कर रही हैं जो क्वालिटी कंट्रोल के लिए ध्यान में रखती हैं। इस बारे में शोध और विकास के लिए एनजीओ की सेवाएं भी ली जा रही हैं ताकि वह लोकल लेवल पर वैज्ञानिकों और प्रोडक्ट उपयोगकर्ताओं के बीच में लिंक के तौर पर काम कर सकें।

गौरतलब है कि साल 2019 में भगवा आतंकी और भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने दावा किया था कि गौमूत्र के सेवन से उसका ब्रेस्ट कैंसर ठीक हो गया।

पंचगव्य पर कथित शोध के लिए गठित किया पैनल

31 जुलाई 2017 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार ने पंचगव्य पर शोध के लिए एक पैनल बनाया था। गोमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से कानूनी तौर पर रिसर्च करने के लिए 19 सदस्यीय समिति में आरएसएस और विहिप के तीन सदस्यों को शामिल किया गया था। प्रोजेक्ट का नाम सरकार ने स्वरूप रखा था और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष निर्धारित किया गया था। ये देश में इस तरह के शोधों के लिए शीर्ष संस्था के रूप में काम कर रही है। 

राष्ट्रीय संचालन समिति नाम की समिति में नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय, बायोटेक्नॉलजी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभागों के सचिव और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं। इसमें आरएसएस और विहिप से जुड़े संगठनों विज्ञान भारती और गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के तीन सदस्य भी शामिल किया गया था। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री इस पैनल के अध्यक्ष और आरएसएस से जुड़े संगठन विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय भटकर समिति के सहअध्यक्ष बनाये गये थे।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति का काम ऐसी परियोजनाओं को चुनना है जो पोषण, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में पंचगव्य यानी गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही व घी के लाभों को वैज्ञानिक रूप से बताने में मदद करती है।  

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