यूपी विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के मतगणना एजेंट थे भाजपा से जुड़े लोग

प्रयागराज। राजनीतिक विश्लेषक हों या उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल, लंबे समय से ओवैसी के एआईएमआईएम और बहन मायावती के बसपा के ऊपर भारतीय जनता पार्टी का एजेंट होने यानि भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं। कई बार चुनाव के दौरान परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि एआईएमआईएम प्रत्याशी या बसपा के प्रत्याशी को जीतने लायक वोट मिले या ना मिले इतने वोट अवश्य मिलते हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को फायदा पहुंचाएं ऐसा लगातार होता रहा है। परंतु प्रयागराज में इससे बढ़कर भी बहुत कुछ हुआ है। यहां भाजपा से जुड़े कम से कम दस लोग एआईएमआईएम उम्मीदवार मो. अली के मतगणना एजेंट बन गये थे जिनके फोटो और अन्य डिटेल के साथ भारत के चुनाव आयोग से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के धारा 134ए के तहत चुनावी अपराध के खंड 3 के तहत एक शिकायत भेजी गई है और संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की मांग की गयी है।

प्रयागराज के नागरिक रिंकू यादव द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग भारत को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के धारा 134a के तहत चुनावी अपराध के खंड 3 के तहत एक शिकायत भेजी गई है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति यदि सरकारी सेवा में है तो वह पोलिंग एजेंट या काउंटिंग एजेंट नहीं बन सकता और ना ही वह चुनाव लड़ सकता है यदि वह ऐसा करता है दो-तीन महीने के कारावास या अर्थदंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यही नहीं चुनाव आयोग के मतगणना एजेंटों के हैंडबुक के रूल 4.2 बी,4.2 आई और  4.3 का खुला उल्लंघन किया गया है।

प्रयागराज शहर उत्तरी के 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रहे हर्षवर्धन बाजपेई के लोगों ने ही एआईएमआईएम उम्मीदवार मो अली को मजबूती के साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया और लड़ाया। बात केवल यहीं तक नहीं रुकी इस बात के पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं कि हर्षवर्धन बाजपेई या कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के सानू भट्ट, सुनील द्विवेदी और आशुतोष शुक्ल समेत करीब दस कार्यकर्ता एआईएमआईएम उम्मीदवार मोहम्मद अली के मतगणना एजेंट भी बने जिसके पुख्ता सबूत भी प्राप्त हुए हैं।

इतना ही नहीं ये भाजपा कार्यकर्ता अपनी नौकरी की परवाह न करते हुए एआईएमआईएम उम्मीदवार मोहम्मद अली के मतगणना एजेंट भी बने क्योंकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के (134क) के तहत यह अपराध है और इसमें सजा के तौर पर जुर्माने और कारावास व दोनों का प्रावधान है। आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से तीनों के बारे में बताते हैं कि किस तरह से तीनों ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का उल्लंघन किया है और तीनों के नौकरी पर संकट आ गया है।

पहले बात करते हैं शानू भट्ट की। शानू भट्ट के पिता का नाम ओंकारनाथ भट्ट है प्रयागराज के फव्वारा चौराहा स्थित निवासी शानू अपने आप को हर्षवर्धन बाजपेई का मुख्य मीडिया प्रभारी बताता है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राज्य विधि अधिकारी के पद पर तैनात है। यह एआईएमआईएम उम्मीदवार मोहम्मद अली का टेबल नंबर 12 पर मतगणना एजेंट था।

दूसरा नंबर शुकुलपुर प्रयागराज के सुनील द्विवेदी का है पिता का नाम देवी शंकर द्विवेदी है यह भी राज्य विधि अधिकारी के पद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में तैनात है,यह भी मोहम्मद अली का टेबल नंबर आठ पर मतगणना एजेंट था।

तीसरे नंबर पर शिवकुटी प्रयागराज का आशुतोष शुक्ल है जिसके पिता का नाम हृदय नारायण शुक्ला है यह उच्च प्राथमिक विद्यालय जोकहाई दुधरा में शिक्षक के पद पर तैनात है यह मोहम्मद अली का 11 वें टेबल पर मतगणना एजेंट था। इसके अलावा बाई का बाग के यतिदेव शुक्ला, तिलक नगर के अरुण कुमार मिश्र, लाउदर रोड के अशोक कुमार, रसूलाबाद के संजय कुमार त्रिपाठी, अरुण कुमार शुक्ल आदि भाजपा की राजनीति करने वाले एआईएमआईएम के एजेंट बने थे,जिसके साक्ष्य उपलब्ध हैं।

इस तरह से यह तीनों सरकारी कर्मचारी होते हुए भी भाजपा और एआईएमआईएम के बीच तथाकथित रूप से आपसी सामंजस्य का हिस्सा थे और इन तीनों ने मिलकर के आचार संहिता के साथ-साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का खुला उल्लंघन किया है। साथ ही साथ इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी और एआईएमआईएम के ऊपर जिस तरह का आरोप लगाया जाता रहा है वह काफी हद तक सत्य प्रतीत होता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस मामले की शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत निर्वाचन आयोग से भी की गई है इस मामले पर प्रयागराज कांग्रेस उच्च न्यायालय की शरण में भी जाने की तैयारी कर रही है अभी वह विधिवेत्ताओं से राय मशविरा कर रही है।

शिकायत में कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर 1 सुनील कुमार द्विवेदी इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील हैं सरकार के ब्रीफ होल्डर हैं। इस आधार पर वह पोलिंग एजेंट या काउंटिंग एजेंट नहीं बन सकते हैं। सुनील कुमार द्विवेदी भाजपा के सदस्य हैं और विधानसभा चुनाव में शहर उत्तरी प्रयागराज से ओवैसी के एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद अली के मतगणना एजेंट थे। इसी तरह आशुतोष शुक्ला जो उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दुधारा जो खाई तहसील कोरांव प्रयागराज में सहायक अध्यापक हैं वह भी एआईएमआईएम के प्रत्याशी के मतगणना एजेंट थे यही नहीं असली सानू भट्ट भी हाईकोर्ट में सरकार के ब्रीफ होल्डर हैं और यह भी मोहम्मद अली के मतगणना एजेंट थे इस तरह यह चुनावी अपराध का ज्वलंत उदाहरण है जो कानून की धारा 134 ए के प्रावधानों के तहत कवर्ड है।

दरअसल उत्तर प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक निश्चित लक्ष्य के साथ कदम रखा था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गैर-भाजपा वोट एक स्थान पर एकजुट न हों। यूपी चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की ‘बी’ टीम बनकर काम किया है। कई सीटों पर ओवैसी के उम्मीदवार ने वोट अपने खाते में जमकर डलवाए हैं। अगर यही वोट सपा-रालोद गठबंधन में जोड़े जाते, तो बीजेपी की हार सुनिश्चित हो जाती।

यूपी चुनाव में बीजेपी 7 सीटें 200 वोटों से, 23 सीटों पर 500 वोटों से, 49 सीटों को 1000 वोटों से, 86 सीटों पर 2000 वोटों से जीती है। इन सभी सीटों पर ओवैसी ने उदारता से गोल किया है और विपक्षी वोटों को बांटकर बीजेपी की मदद की है। मसलन, बिजनौर में सपा-रालोद को 95,720 जबकि एआईएमआईएम को 2,290 वोट मिले। बीजेपी ने 97,165 वोट पाकर यह सीट जीती जो सपा-रालोद से मात्र 1,445 ज्यादा है।

इसी तरह नकुर में बीजेपी को 1,03,771 वोट मिले जबकि सपा को 1,03,616 वोट मिले। एआईएमआईएम को 3,591 वोट मिले जिससे बीजेपी को यह सीट मिली। इसी तरह बाराबंकी की कुर्सी सीट पर बीजेपी को 1,18,614 वोट मिले, जबकि एसपी को 1,18,094 और एआईएमआईएम को 8,541 वोट मिले।

वहीं, सुल्तानपुर में बीजेपी को 92,245 और सपा को 90,857 वोट मिले थे। एआईएमआईएम को यहां 5,251 वोट मिले। औराई विधानसभा सीट पर, एआईएमआईएम ने 2,190 वोट ले लिए, जिससे बीजेपी को 93,691 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी को 92,044 वोट मिले।

शाहगंज में बीजेपी 76,035 मत पाकर जीती और सपा 70,370 मतों के साथ पिछड़ गई। यहां एआईएमआईएम को 7,070 वोट मिले थे। फिरोजाबाद में बीजेपी 1,12,509 और समाजवादी पार्टी को 79,554 जबकि एआईएमआईएम को 18,898 वोट मिले।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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