Friday, March 29, 2024

बॉलीवुड का हिंदुत्वादी खेमा बनाकर बादशाहत और ‘सरकारी पुरस्कार’ पाने की बेकरारी

‘लॉर्ड्स ऑफ रिंग’ फिल्म की ट्रॉयोलॉजी जब विभिन्न भाषाओं में डब होकर पूरी दुनिया में धूम मचा रही थी तब आमिर ख़ान ने कहा था कि यदि ‘महाभारत’ पर फिल्म सीरीज बने तो वो लॉर्ड्स ऑफ रिंग की भी बाप होगी। साल 2003 से ही महाभारत पर फिल्म बनाने का अरमान आमिर ख़ान के दिल में रह-रह कर कसक मारता रहा। साल 2017 में ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ फिल्म के प्रमोशन के दौरान भी आमिर खान ने कहा था कि मेरा सपना है कि मैं महाभारत जैसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम करूं, लेकिन इसके लिए मुझे अपने करियर का कम से कम 15-20 साल देना पड़ेगा। इस दौरान उन्होंने बताया था कि मेरा पसंदीदा किरदार कर्ण का होगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि इस किरदार को करने योग्य हूं या फिर नहीं।

साल 2015-17 में बाहुबली सीरीज की दोनों फिल्मों की अपार सफलता के बाद एक बार फिर महाभारत पर फिल्म सीरीज बनाने की चर्चा ने जोर मारा। 23 मॉर्च 2018 को तमाम अख़बारों और न्यूज चैनलों पर एक ख़बर आई कि बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ के बाद एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। जो बॉलीवुड इतिहास की सबसे बड़ी फिल्म होगी। महाभारत पर आधारित इस प्रोजेक्ट में आमिर खान प्रमुख भूमिका भी निभाएंगे। महाभारत की सीरीज के लिए 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का बजट होगा। इस फिल्म के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मालिक मुकेश अंबानी को-प्रोड्यूसर होंगे। तमाम मीडिया सोर्स में आमिर खान द्वारा महाभारत फिल्म सीरीज में कृष्ण का किरदार निभाने का भी दावा किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर भगवा कट्टरपंथियों द्वारा आपत्ति की जाने लगी कि एक मुसलमान कृष्ण का किरदार कैसे निभा सकता है। ये बॉलीवुड के संदर्भ में कट्टरपंथियों द्वारा हस्तक्षेप करने का अपनी तरह का पहला मामला था।

हालांकि साहित्य, पत्रकारिता और अकादमिक जगत में ये सिलसिला नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के बाद ही शुरू हो गया था। सितंबर 2015 में भगवा आतंकियों ने कालीकट यूनिवर्सिटी मलयालम के पूर्व प्रोफेसर एमएम बशीर को ‘मातृभूमि’ अख़बार में ‘रामायण’ पर कॉलम लिखने के लिए धमकी दी थी। मातृभूमि अख़बार के संपादक को भी धमकी दी गई, अख़बार के ऑफिस के बाहर पोस्टर लगाए गए और उसके बाद बशीर साहेब ने वो कॉलम बंद कर दिया था।

सोशल मीडिया पर भगवा अताताइयों द्वारा बॉलीवुड स्टार आमिर खान द्वारा प्रस्तावित ‘महाभारत’ के फिल्मी रूपांतरण में भगवान कृष्ण का किरदार निभाने पर सवाल उठाए जाने पर 28 मार्च 2018 को दिग्गज लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने ट्वीट करते हुए कहा था, “भारतीय फिल्म उद्योग धर्मनिरपेक्षता का एक गढ़ है और यहां सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है।”

एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, “मैं वर्ष 1965 में फिल्म उद्योग से जुड़ा था और मेरी तनख्वाह 50 रुपये महीना थी। मैंने इन 53 सालों में किसी क्षण भी हमारे उद्योग में किसी तरह के जातिवाद, पक्षपात का अनुभव नहीं किया। यह फिल्म उद्योग धर्मनिरपेक्षता का गढ़ है। कट्टरपंथियों, इसे प्रदूषित करने की कोशिश मत करो।”

तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, “भारतीय फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी जगह है, जहां आनंद बक्शी एक दरगाह की कव्वाली लिखते हैं और शकील, रफी नौशाद आपको ‘मन तड़पत हरि दर्शन को’ देते हैं। रवैल और गुरुदत्त मेरे महबूब और चौदवीं का चांद बनाते हैं और गफ़्फ़ार भाई महाभारत बनाते हैं। शाहरुख़ ख़ान देवदास निभाते हैं और ऋतिक रोशन अक़बर।” 

साल 2018 में आज तक के ‘साहित्योत्सव’ के मंच पर बोलते हुए भी उन्होंने कहा था, “ देश का माहौल भले ही खराब हो गया हो पर हमारा हिंदी फिल्म जगत अभी भी सांप्रदायिक नफ़रत से अछूता है। ये एक दूसरी ही दुनिया है, जहां सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है।”

ड्रग्स वाले मसले पर काउंटर करते हुए संसद में दिए सपा नेता जया बच्चन के बयान को भाजपा नेता हेमा मालिनी द्वारा समर्थन करना इस बात की तस्दीक करता है कि राजीनितक रूप से आप भले ही अलग पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हों, लेकिन जहां हिंदी फिल्मोद्योग की बात आती है, वहां सब एकमत होकर इंडस्ट्री के भले की बात करने लग जाते हैं।

साल 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार की सत्ता वापसी के बाद से काफी पानी बह चुका है। बॉलीवुड अब साफ तौर पर दो खेमे में बंटता नज़र आ रहा है। कोई ताज़्ज़ुब नहीं गर किसी रोज़ ये फरमान भी जारी हो जाए कि दशहरा और दीवाली पर सिर्फ़ हिंदू फिल्मकारों की फिल्में रिलीज होंगी।

दरअसल कुछ चुके हुए कलाकार ‘हिंदू बॉलीवुड’ बनाकर खुद को ‘बादशाह कुमार’ बनाना चाहते हैं तो कुछ हिंदी फिल्मों में काम न मिलने के बाद ‘नफ़रत’ को सीढ़ी बनाकर राजनीति में कदम रखने के इरादे से बॉलीवुड की सांप्रदायीकरण में लगे हैं, हालांकि राजनीति में पहले भी बॉलीवुड से बहुत से लोग आए हैं और भाजपा जैसी पार्टी का भी दामन थामा है और राजनीति भी की है, लेकिन उन लोगों ने कभी नफ़रत को अपना हथियार नहीं बनाया। विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र तो बाकायदा भाजपा में शामिल होकर राजनीति करते आए हैं, लेकिन जिस तरह से अनुपम खेर, विवेक अग्निहोत्री और कंगना रानाउत ने बयानबाजी की है ऐसा कभी किसी ने नहीं किया।

‘नफ़रत शरणम् गच्छामि’
हाल ही में अक्षय कुमार ने खुद द्वारा गौमूत्र सेवन करने वाला अभिनेता बताकर खुद को ‘हिंदुत्ववादी अभिनेता’ का ठप्पा मार लिया है। हाल ही में उन्होंने इन टू द वाइल्ड के अपने विशेष एपीसोड में एडवेंचरर और टीवी होस्ट बेयर ग्रिल्स के साथ एक इंस्टाग्राम लाइव सेशन में कहा था कि वो रोज गौमूत्र पीते हैं और ऐसा वो आयुर्वेदिक कारणों से करते हैं। इससे पहले 5 अगस्त को भूमि पूजन को सपोर्ट करते हुए ‘जय श्रीराम’ भी बोला था।

बेशक़ आने वाले समय में ‘हिंदू बॉलीवुड’ का श्रेय कंगना रानावत को दिया जाएगा, हालांकि इसकी शुरुआत अक्षय कुमार और विवेक अग्निहोत्री ने की थी। अक्षय कुमार ने खुले तौर पर अनुपम खेर, विवेक अग्निहोत्री और कंगना रानाउत की तरह हेट स्पीच का इस्तेमाल भले न किया हो, लेकिन नफ़रत को प्रमोट करके मुनाफ़ा कमाने में वो कभी नहीं हिचके, बल्कि नरेंद्र मोदी समर्थकों को अपनी फैन फॉलोइंग में शामिल करने के लिए पहले उन्होंने नरेंद्र मोदी को ‘आम चुसवाया।’

इससे पहले टॉयलेट एक प्रेम कथा, मिशन मंगल, गोल्ड, केसरी, रुस्तम, एयर लिफ्ट बनाकर वो 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रत्यक्ष फायदा पहुंचा चुके हैं। वहीं 2021 में आने वाली उनकी फिल्मों पृश्वीराज, सूर्यवंशी और बच्चन पांडेय भी नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादी को मजबूती देने वाली होंगी।

दरअसल अक्षय कुमार की असली कुंठा तीनों खानों से है, जिनके चलते वो कभी बॉलीवुड का किंग नहीं बन पाए। ऐसे में उनको लगता है कि यदि बॉलीवुड का हिंदुत्वादी विभाजन होता है तो वो हिंदुत्ववादी बॉलीवुड खेमे के बादशाह होंगे।  

सुशांत की लाश पर राजनीति का महल बना रहीं कंगना
गांव में एक कहावत है, ‘सिंकहर के टूटब बिलारी के भाग्य’ सुशांत सिंह राजपूत की मौत कंगना रनौत के लिए सुनहरे अवसर के तौर पर हाथ लगा है और कंगना रनौत को ‘अवसर’ को कैश कराने का हुनर बखूबी आता है। इन दिनों कंगना तमाम मुद्दों पर हिंदू-मुस्लिम की बाइनरी बनाकर बोल रही हैं। उनकी ये बाइनरी भाषा भाजपा के नफ़रती राजनीति को सूट करती है। अपने ऑफिस को राम मंदिर और उसे तोड़ने वाली शिवसेना सरकार को बाबर बताती हैं।

https://twitter.com/KanganaTeam/status/1303563425193189376?s=19

राम मंदिर पूजन पर कंगना का बयान इस अभियान की रणनीतिक शुरुआत थी।

https://twitter.com/KanganaTeam/status/1290888367559737344?s=19
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आमिर खान द्वारा अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग के सिलसिले में तुर्की की फर्स्ट लेडी एमीन एर्दोगन से मुलाकात पर कंगना ने उन पर हमला किया था। शिवसेना को सोनिया सेना कहकर कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधना उसी आरएसएस-भाजपाई राजनीति का हिस्सा है।

https://twitter.com/KanganaTeam/status/1303902295743062017?s=20

नरेंद्र मोदी सरकार को विपक्षी विचारधारा को निपटाने का फॉर्मूला देने वाला निर्देशक

13 मई 2016 को विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ रिलीज हुई। इस फिल्म में एक यूनिवर्सिटी में फलते फूलते ‘अर्बन नक्सल’ के कांसेप्ट को स्थापित किया गया था। 27 मई 2018 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विवेक अग्निहोत्री की लिखी एक किताब ‘अर्बन नक्सल’ का विमोचन किया था। ये किताब लिखकर विवेक अग्निहोत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार को प्रतिरोधी पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्टों को ठिकाने लगाने की स्क्रिप्ट लिखकर थमा दी थी और फिर विवेक अग्निहोत्री की इस किताब पर अमल करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार अब तक सबको अर्बन नक्सली बताकर ठिकाने लगाती आ रही है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि विवेक अग्निहोत्री नरेंद्र मोदी सरकार के थिंक टैंक हैं। विवेक अग्निहोत्री का ट्वीटर हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक नफ़रत वाले पोस्टों से भरा पड़ा है।

विवेक अग्निहोत्री का नाम बॉलीविड की सी ग्रेड फिल्मों के डायरेक्टर की रही है। बॉलीवुड में नोटिस न किए जाने पर अब ये महाशय दक्षिणपंथी प्रोपगैंडा फिल्में बनाने वाले फिल्मकार बन गए हैं। साल 2019 में ‘ताशकंद फाइल्स’ और साल 2020 में ‘कश्मीर फाइल्स’ इसके दक्षिणपंथी प्रोपगैंडा फिल्मों की अगली कड़ी में शामिल हैं।

अनुपम खेर और परेश रावल
अनुपम खेर ने विवेक अग्निहोत्री की प्रोपगैंडा फिल्म ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ में मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने जैसे अनुपम खेर का ब्रेनवॉश ही कर दिया हो। इस फिल्म को करने के बाद अमुपम खेर की बुद्धि, विवेक, चेतना सब का क्षरण हो गया। तब से वो नरेंद्र मोदी सरकार के हर सांप्रदायिक और जनविरोधी कदम को जस्टिफाई करते आ रहे हैं।

वहीं परेश रावल ने 2014 में भाजपा ज्वाइन करने के बाद से लगातार ऊलजुलूल बयान दिए हैं और इसका उन्हें फायदा भी मिला है। हाल ही में परेश रावल को एनएसडी का डायरेक्टर बना दिया गया है। परेश रावल ने कथित पत्थरबाज और कश्मीरी युवक फारुक़ दार की जगह वरिष्ठ लेखिका अरुंधति रॉय को जीप के बोनट में बांधकर घुमाने का बयान दिया था।

परेश रावल और अनुपम खेर ने जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी सीएए कानून का भी स्वागत किया था।

नरेंद्र मोदी सरकार को सांप्रदायिक मुद्दों पर सपोर्ट करता बॉलीवुड

लता मंगेशकर ने 5 सितंबर भूमि पूजन पर अपने ट्वीट में लिखा, “नमस्कार। कई राजाओं का, कई पीढ़ियों का और समस्त विश्व के राम भक्तों का सदियों से अधूरा सपना आज साकार होता दिख रहा है। कई सालों के वनवास के बाद आज अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर का पुनर्निर्माण हो रहा है। शिलन्यास हो रहा है। इसका बहुत बड़ा श्रेय माननीय लालकृष्ण अडवाणी जी को जाता है, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर रथ यात्रा करके पूरे भारत में जनजागृति की थी और श्रेय माननीय बालासाहेब ठाकरे जी को भी जाता है।” लता मंगेशकर ने इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी का भी शुक्रिया किया है।

फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने भी राम के रौद्ररूप की तस्वीर ट्वीट करके राम मंदिर की बधाई दी थी।

जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को डायल्यूट करने पर बॉलीवुड के सितारों जैसे अभिजीत भट्टाचार्या, मनोज जोशी, दीपशिखा नागपाल, परेश रावल, गुल पनाग, विक्रांत मैसी और अनुपम खेर ने केंद्र को यह कदम उठाने पर बधाई दी थी। नरेंद्र मोदी की बायोपिक में लीड रोल निभाने वाले बॉलीवुड एक्टर विवेक ओबेरॉय ने ट्वीट कर पीएम मोदी और अमित शाह को बधाई देते हुए लिखा, “शुक्रिया नरेंद्र मोदी और अमित शाह… इस फैसले के लिए सलाम है आपको।”

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव का लेख।)

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