अपने समसामयिक तीखे कार्टून्स से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को लगातार कठघरे में खड़ा करने वाले कार्टूनिस्ट मंजुल को नेटवर्क 18 ने निलंबित कर दिया है। बता दें कि नेटवर्क 18 मुकेश अंबानी के मालिकाना हक़ वाला न्यूज चैनल है।
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एक पैटर्न सा दिखा है कि जो पत्रकार प्रधानमंत्री मोदी व केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करता है सरकार उसे अपने कार्पोरेट मित्रों से कहकर अपने न्यूज चैनलों से उसे निकलवा देती है। पुण्य प्रसून वाजपेयी, अभिसार शर्मा, पंकज श्रीवास्तव, नवीन कुमार ऐसे ही नाम हैं जिन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करने के बाद अपनी नौकरी से हाथ धोया।
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर उनके कुछ कार्टूनों पर सरकार की नज़र टेढ़ी थी और केंद्र सरकार द्वारा ट्विटर इंडिया से उनके एकाउंट को हटाने के लिए औपचारिक रूप से कहा गया था। ट्विटर ने इस संबंध में मंजुल को ईमेल भेजकर सूचित कर दिया था। चार जून को मंजुल ने ट्विटर का एक ईमेल ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था कि भारतीय प्रशासन का मानना है कि उनके ट्विटर एकाउंट का कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन करता है।
ट्विटर ने नोटिस में कहा था कि भारतीय कानून प्रवर्तन ने उनसे (ट्विटर) मंजुल के एकाउंट के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा था। ईमेल में ट्विटर ने बताया कि वह सिर्फ सरकार की ओर से किए गए आग्रह के बारे में यूजर को सूचित कर रहे हैं और उन्होंने अभी तक उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है।
ट्विटर के इस ईमेल को ट्वीट करते हुए मंजुल ने कैप्शन में कहा था, “जय हो मोदी जी की सरकार की। शुक्र है मोदी सरकार ने ट्विटर को ये नहीं लिखा कि ये ट्विटर हैंडल बंद करो। ये कार्टूनिस्ट अधर्मी है। नास्तिक है। मोदी जी को भगवान नहीं मानता। “
मंजुल ने दूसरे ट्वीट में कहा था, “वैसे अगर सरकार बता देती की दिक्कत किस ट्वीट से है तो अच्छा रहता। दोबारा वैसा ही काम किया जा सकता था और लोगों को भी सुविधा हो जाती।”
इसके साथ ही ट्विटर ने मंजुल को चार विकल्प सुझाए थे,
1- सरकार के आग्रह को अदालत में चुनौती देना।
2- किसी तरह के निवारण के लिए सामाजिक संगठनों से संपर्क करना।
3- तीसरा स्वैच्छिक रूप से कंटेंट को डिलीट करना (अगर लागू हो)।
4- कोई अन्य समाधान खोजना है।
ट्विटर से मिले ईमेल को पोस्ट करने के चार दिन बाद आठ जून को मंजुल को नेटवर्क18 से निलंबित कर दिया गया।
कार्टूनिस्ट मंजुल को नेटवर्क 18 से निलंबित किये जाने के मामले पर सीपीआई (एमएल) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि “मोदी को प्रतिस्पर्धा पसंद नहीं है। उन्हें कार्टून से नफ़रत है। वह कार्टूनिस्टों से डरते हैं।”
एक और ट्वीट में माले महासचिव ने कहा कि “कार्टूनिस्ट, कवि, फिल्म निर्माता – शासन को उन सभी असंतुष्टों से समस्या है जो सच बोलने, गाने, लिखने, स्केच करने का साहस करते हैं। कोई आश्चर्य नहीं, देश में शासन के साथ समस्या बढ़ती जा रही है। लोगों के लिए नए शासन का चुनाव करना शासन के लिए नए लोगों को खोजने की तुलना में आसान है।”
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कार्टूनों से डरने वाली सरकार को डरपोक बताया है।
इससे पहले कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य का एक कार्टून ट्विटर पर साझा करने पर केंद्र सरकार द्वारा ट्विटर को नोटिस भेजकर बताया गया कि उक्त कार्टून भारत के क़ानूनों का उल्लंघन करता है। उक्त नोटिस को साझा करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने लिखा कि “ट्विटर को ‘इंडिया’ से एक अनुरोध प्राप्त हुआ है, जिसका आशय मुझे ‘भारत सरकार’ से मालूम होता है, सतीश आचार्य के कार्टून का मेरा ट्वीट, ‘भारत के कानूनों’ का उल्लंघन करता है और इसलिए इसे हटा दिया जाना चाहिए!
कौन से कानून सर? राज-द्रोह? या बैंकों को लूटने के ख़िलाफ़ कानून?”
वहीं कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने लिखा है, “कार्टून/कार्टूनिस्टों के ख़िलाफ़ इतना गुस्सा क्यों? 2014 से पहले बीजेपी के कई नेता यूपीए सरकार पर कार्टून शेयर करते थे।”