Thursday, April 25, 2024

कॉलेजियम प्रणाली से कैसे-कैसे जजों की हो रही है नियुक्ति?

जब से जजों की कालेजियम प्रणाली से नियुक्ति हो रही है तब से ऐसे ऐसे जजों की नियुक्तियां हो रही हैं जो पूरी न्यायपालिका को अपनी अनर्गल टिप्पणियों से शर्मसार कर रहे हैं। एक बार उच्च न्यायालय में स्थायी जज बन जाने के बाद उनकी इस तरह की टिप्पणियों पर अंकुश लगाने या उन्हें इसके लिए दंडित करने का कोई संवैधानिक प्रावधान कानून की किताबों में नहीं है। अधिकतम उनका ट्रान्सफर किया जा सकता है पर उच्चतम न्यायालय स्वयं कई निर्णयों में व्यवस्था दे चुका है कि स्थानान्तरण कोई दंड नहीं है।

अभी तक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के कोई न्यायाधीश अपने भाषणों या साक्षात्कार में अपनी राजनीतिक या वैचारिक प्रतिबद्धता पर विचार व्यक्त करते रहे हैं लेकिन अब तो ऐसे ऐसे हाईकोर्ट जज हैं, जो न्याय की कुर्सी पर बैठकर अपने फैसलों में या मौखिक टिप्पणियों में अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों कोविड प्रमाणपत्र पर से पीएम की फोटो हटाने के मामले में केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने मौखिक टिप्पणी की थी कि उन्हें प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी पर गर्व है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने जमानत पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने तथा चुनावों को टालने पर विचार करने का आग्रह किया है।

ये वही जस्टिस शेखर कुमार यादव हैं जिन्होंने सितंबर में कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है।

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को एक मामले में याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और तीसरी लहर आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है।

जस्टिस यादव ने अपने आदेश में कहा है कि आज इस न्यायालय के समक्ष लगभग चार सौ मुकदमें सूचीबद्ध हैं। इसी प्रकार से नित्य मुकदमे इस न्यायालय के समक्ष सूची बद्ध होते हैं जिसके कारण अधिक संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित होते हैं तथा उनके बीच किसी भी प्रकार की सोशल डिस्टेंस नहीं होती है और वे आपस में सटकर खड़े होते हैं जब कि कोरोना का नया वैरियन्ट ओमिक्रॉन के मरीज बढ़ते जा रहे हैं और तीसरी लहर आने की आशंका है। दैनिक समाचार पत्र के अनुसार 24 घण्टें में छः हजार नये मामले मिले हैं एवं 318 लोगों की मौतें हुई हैं और यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैण्ड, आयरलैण्ड, जर्मनी, स्काटलैण्ड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लाक डाऊन लगा दिया है। ऐसी दशा में महानिबन्धक, उच्च न्यायालय इलाहाबाद से आग्रह है कि वह इस विकट स्थिति से निपटने के लिए नियम बनायें।

इससे पहले भी जस्टिस शेखर कुमार यादव की कई बार टिप्पणी सामने आ चुकी है। उन्होंने सितंबर में कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है। गौहत्या मामले में आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने कहा था कि गौहत्या के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए संसद को एक कानून बनाना चाहिए।

वहीं, अक्टूबर में जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि संसद को भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास को सम्मान देने के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए क्योंकि वे भारत की संस्कृति और परम्परा हैं।

गौरतलब है कि जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में हमने देखा कि लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हुए और लोगों की मृत्यु हुई। ग्राम पंचायत और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और उनकी मृत्यु हुई। कोर्ट ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव निकट है जिसके लिए सभी पार्टियां रैलियां, सभाएं आदि करके लाखों लोगों की भीड़ जुटा रही हैं जहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किसी रूप में संभव नहीं है।

जमानत याचिका में अपने 23 दिसंबर के आदेश में, न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने न केवल इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रशासन से प्रत्येक अदालत कक्ष में सुनवाई के मामलों की संख्या को कम करने का आह्वान किया, बल्कि यह भी सुझाव दिया कि चुनाव आयोग और भारत सरकार को राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और यूपी विधानसभा चुनाव स्थगित करने पर विचार करना चाहिए। ऐसा सुझाव उन्होंने कोविड के खतरे के कारण दिया।

उन्होंने मुफ्त कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए टिप्पणी की, और अदालत के रजिस्ट्रार को भारत के चुनाव आयोग और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार-जनरल को सुझावों के साथ अपने आदेश की एक प्रति भेजने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने जिस मामले में ये “सुझाव” दिए थे, वह यूपी संगठित अपराध रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका से संबंधित था।

जस्टिस शेखर कुमार यादव की इन टिप्पणियों ने भी बटोरी थीं सुर्खियां-

एक सितंबर को, शेखर कुमार यादव ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ती है। उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार घोषित करने का भी आह्वान किया था। ये टिप्पणी यूपी गोहत्या अधिनियम के तहत गायों की चोरी और तस्करी के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए की गई थी।

आदेश में यह टिप्पणी शामिल थी कि कैसे अकबर जैसे मुस्लिम शासकों ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया था, और यह कि गोरक्षा “भारतीय संस्कृति का पर्याय” है। कोर्ट के इस आदेश ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं और सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर अपने विचार रखे थे।

इसी साल जून में, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बैंक खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकालने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस यादव ने साइबर अपराध को गंभीरता से नहीं लेने के लिए यूपी पुलिस को फटकार लगाई थी। उन्होंने साइबर अपराध के लिए दर्ज एफआईआर की संख्या, जांच की स्थिति, बरामद धन और इस तरह के अपराध को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी।

अक्टूबर में, जस्टिस यादव ने एक फैसले में एक और विवादास्पद सुझाव दिया, जिसमें सरकार से”भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण, भगवद्गीता, महर्षि वाल्मीकि, और महर्षि वेद व्यास को राष्ट्रीय सम्मान और विरासत का दर्जा” देने के लिए एक कानून लाने पर विचार करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी टिप्पणी की थी कि भगवान राम हर नागरिक के दिल में निवास करते हैं और भारत उनके बिना अधूरा है। देवताओं की अश्लील तस्वीरें बनाने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते समय ये टिप्पणियां की गई थीं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर बच्चों के लिए स्कूलों में अनिवार्य पाठ होने चाहिए।

जस्टिस यादव ने अंतर-धार्मिक विवाह पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने अकबर और जोधाबाई को अंतरधार्मिक विवाह के अच्छे उदाहरण के रूप में बताया था। उन्होंने ये टिप्पणी यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की थी जिस पर एक लड़की को अपहरण और जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप था।

उन्होंने यह भी कहा था कि कि यदि बहुसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति अपमान के बाद अपने धर्म से धर्मांतरण करता है, तो देश कमजोर हो जाता है। उन्होंने डॉ बीआर अंबेडकर को पीड़ा और अपमान के कारण दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाले व्यक्ति के उदाहरण के रूप में बताया था।

जस्टिस यादव ने 20 जुलाई को अपने आदेश में कहा था कि हमारे पास गरीबों, विकलांगों और महिलाओं के बाहरी लोगों द्वारा ब्रेनवॉश किए जाने के बाद धर्मांतरण की खबरें आती हैं। सबसे बुरी बात यह है कि इन प्रथाओं को देश के बाहर के तत्वों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और पूरी तरह से राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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