Thursday, April 25, 2024

खरीदते नहीं, तो फॉर्चून ब्रांड के लिए क्या आसमान में गेंहू सरसों बोते हैं अडानी?

हार्दिक पटेल ने 12 दिसंबर को अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया। इसमें पश्चिम रेलवे की एक ट्रेन इंजन अडानी के रंग में रंगा दिखता है। पूरे इंजन पर अडानी विल्मार और फार्चून फ्रेश आटा का विज्ञापन रंगा-चुंगा था। हार्दिक के द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो पर सोशल मीडिया में काफी प्रतिक्रियाएं आई थीं।

ठीक इसी समय यानी 9 दिसंबर को अडानी समूह ने किसान आंदोलन के अडानी विरोध के बाबत सोशल मीडिया पर एक वीडियो बयान जारी करके दावा किया कि वो किसानों से फसल नहीं खरीदती।

कंपनी की ओर से कहा गया, “वह न तो किसानों से खाद्यान्न खरीदती है और न ही खाद्यान्न का मूल्य तय करती है। वह केवल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए अनाज भंडारण के सिलोस (बखारे) विकसित करती है और उनका संचालन करती है।”

अडानी कंपनी ने आगे कहा, “हम किसानों से खरीदे गए किसी भी अनाज के मालिक नहीं हैं, और अनाज के मूल्य निर्धारण में हमारी कोई भूमिका नहीं है। अडानी समूह ने कहा कि वह वर्ष 2005 से एफसीआई के लिए अनाज के सिलोस विकसित करने और उसका परिचालन करने के व्यवसाय में है। यह भारत सरकार द्वारा प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी निविदा जीतने के बाद भंडारण बुनियादी ढांचे की स्थापना करता है। बयान में कहा गया है कि निजी रेल लाइनों को इन निविदाओं के हिस्से के रूप में बनाया गया है, जिससे पूरे भारत में वितरण केंद्रों में अनाज की आवाजाही को आसान बनाया जा सके।”

खरीदते नहीं तो किस खेत में उगाते हैं अडानी
अडानी विल्मर कंपनी ‘फार्चून’ ब्रांड के नाम से सरसों का तेल, रिफाइंड ऑयल, बासमती चावल, आटा, मैदा, सोयाबीन, बेसन, अरहर, चना, मसूर दाल, खिचड़ी, सूजी आदि कृषि उत्पाद बनाती है। मेरी आठवीं पास मां भी समझती हैं। वह कहती हैं, अगर खरीदते नहीं तो क्या आसमान में उगाते हैं ये सब। आखिर उनके पास कौन सी खेती-बारी रखी है। साल के बारहों महीने कंपनी पूरे देश में तेल आटा, दाल-चावल, बेसन आदि कहां से ला कर बेचती है। चक्की और कोल्हू अडानी के लिए आप से आप तो उगलेंगे नहीं ये सब। जाहिर है जब कंपनी इन चीजों का देशव्यापी व्यापार कर रही है तो इन्हें खरीदती भी होगी और इनका भंडारण भी करती होगी।     

बात अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स की
अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स, खाद्यान्न के थोक निस्तारण, भंडारण और वितरण में अग्रणी कंपनी है। आधुनिक कृषि भंडारण बुनियादी ढांचे में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स की बाजार हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स ने पिछले कुछ वर्षों में अनाज भंडारण सिलोस और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना में तेजी से तरक्की की है।

23 फरवरी 2019 में अडानी ग्रुप ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया था, “बढ़ते घरेलू लॉजिस्टिक्स उद्योग में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए, अडानी लॉजिस्टिक्स, अडानी इंटरप्राइजेज को नकद सौदे में 1,662 करोड़ रुपये के प्रस्तावित उद्यम मूल्य पर अधिग्रहण करेगी। इस अधिग्रहण के बाद, अडानी लॉजिस्टिक्स के पास 28 स्थानों और अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स की सात ट्रेनों तक पहुंच होगी।”

अधिग्रहण के बाद एपीएसईजेड के पूर्णकालिक निदेशक करण अडानी ने कहा था, “यह अधिग्रहण हमें भारत में एकीकृत लॉजिस्टिक्स सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी होने के साथ-साथ अंतर्क्षेत्र लॉजिस्टिक्स विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने की हमारी दृष्टि के करीब लाता है। यह हमारी पहुंच वाले कुल बाज़ार का विस्तार करने, हमारे नेटवर्क को बढ़ाने और भारत में सभी प्रकार के कार्गो को संभालने के लिए एक मूल्य श्रृंखला बनाने में सक्षम बनाता है।” 

फूड कार्पोरेशन इंडिया और अडानी के बीच समझौता
8.7 बिलियन डॉलर के राजस्व वाली APSEZ के पास 10 रणनीतिक रूप से स्थित बंदरगाह और टर्मिनल हैं, जो देश की बंदरगाह क्षमता का 24 प्रतिशत है।भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गेहूं भंडारण को संभालने के लिए अडानी एग्री और फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के बीच एक सेवा समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, अडानी एग्री लॉजिस्टिक पूरे भारत में अत्याधुनिक खाद्य अनाज भंडारण (सिलोस गोदाम) और हैंडलिंग सुविधाएं स्थापित करेगी।

एफसीआई ने अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड से सिलोज गोदामों को 30 साल के लिए किराए पर लिया है। पहले साल के लिए यह दर 97 रुपये प्रति टन प्रति माह तय की गई थी। स्रोत के अनुसार पूर्वनिर्धारित फार्मूले के आधार पर किराए की दरें संशोधित होती रहेंगी।

कंपनी ने अनाज का भंडारण करने के लिए सबसे पहले मोगा (पंजाब) और कैथल (हरियाणा) में सिलोस स्थापित किए। इसके अलावा कंपनी ने मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता और कोयंबटूर में सिलोस स्थापित किए। जून 2016 में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स ने एफसीआई के लिए पंजाब के कटकपुरा और बिहार के कटिहार में सिलोस गोदाम बनाने का समझौता किया था जो साल 2018 में बनकर तैयार हुआ था।

भारतीय खाद्य निगम के साथ हुए समझौते को पूरा करने के लिए अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स ने पंजाब और हरियाणा जैसे उत्पादक राज्यों में सिलोस गोदाम बनाने से लेकर उपभोक्ता राज्यों में सिलोस गोदामों को स्थापित किया है और सिलोस स्थापित करने का काम जारी रखे हुए है। हरियाणा के पानीपत के नौल्था गांव में और सोनीपत जिले में कंपनी सिलोस बना रही है।

फिलहाल अडानी एग्री कंपनी देश में 14 स्थानों पर 875,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की भंडारण क्षमता के साथ खाद्य अनाज भंडारण सिलोस का एक नेटवर्क संचालित करती है, जो लगभग 1.5 करोड़ लोगों की खाद्यान्न ज़रूरतों को पूरा करती है।

समझौते के तहत सिलोस गोदाम को निजी भागीदार द्वारा डिजाइन, निर्मित, वित्तपोषित और संचालित किया जाएगा, जबकि इसका स्वामित्व एफसीआई के पास होगा। बता दें कि एफसीआई, खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी है, जो 30 साल के लिए सिलोस गोदामों को किराए की गारंटी प्रदान करती है।

देश भर में सिलोस गोदाम और निजी रेलवे लाइन का जाल बिछाता अडानी एग्री लॉजिस्टिक
भारतीय खाद्य निगम के साथ हुए समझौते के चलते अडानी एग्री लॉजिस्टिक को देश भर में अपने सिलोस गोदाम स्थापित करने में तमाम सहूलियतें हासिल हैं, जिसमें निजी रेलवे लाइन बिछाना भी शामिल है।परियोजना में खाद्यान्नों की संपूर्ण हैंडलिंग,  जैसे कि बेस डिपो से रिसीव करने से लेकर सफाई और सुखाने के साथ-साथ भंडारण और फील्ड डिपो तक परिवहन थोक रूप में अडानी एग्री लॉजिस्टिक द्वारा किया जाता है। ये इकाईयां एफसीआई के खरीद केंद्र हैं, जहां किसान अपनी उपज सीधे थोक रूप में देते हैं।

एडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (AALL) पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल राज्यों में FCI के लिए 5,75,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न का भंडारण करता है। इसके अलावा 3,00,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न मध्य प्रदेश सरकार के लिए स्टोर करता है। इसके अतिरिक्त, AALL ने बिहार, यूपी, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में भी अपने पांव पसारते हुए करीब 400000 मीट्रिक टन क्षमता के भंडारण करता है।

वर्तमान में अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड के सिलोस गोदाम की कुल भंडारण क्षमता लगभग 10 लाख टन है, जिसमें से 5.5 लाख टन एफसीआई के पास है और शेष राज्य-एजेंसियों के पास है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स अनाज सिलोस नेटवर्क से 25,000 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं।

मोदीराज के पांच साल में अडानी की 21 कंपनियां अस्तित्व में आईं
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरर्पोरेट अफेयर्स की वेबसाइट के आंकड़ों को देखें तो बीते पांच साल में 21 कंपनियां अस्‍त‍ित्‍व में आईं और मंत्रालय ने इनके नामों को मंजूरी दी। ये सभी कंपनियां अडानी एग्री लॉजिस्टिक नेटवर्क की हैं। साल 2014 से 2018 के बीच अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड की ये सभी कंपनियां गुजरात में रजिस्टर्ड हुई हैं।

अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड की कंपनियां- भटिंडा, बरनाला, देवास, होशंगाबाद, कन्नौज, मनसा, मोगा, कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर सतना, उज्जैन जैसे शहरों के लिए रजिस्टर्ड की गई हैं।

वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक मई 2014 के आखिरी हफ्ते में (जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली) पांच कंपनियों के नाम पर मुहर लगाई गई है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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