Wednesday, April 24, 2024

पूजा सिंघल से जुड़े मनरेगा घोटाले का मामला अवैध खनन कारोबार पर हुआ केंद्रित

रांची। जहां एक तरफ मनरेगा घोटाले की जांच और भ्रष्‍टाचार के आरोपों में गिरफ्तार सरकार की निलंबित खान व उद्योग सचिव पूजा सिंघल को लेकर झारखंड राष्ट्रीय स्तर पर चर्चे में है, वहीं राज्य के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन का अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में संवैधानिक संस्‍थानों की जांच भी कई सवालों को जन्म दे रहा है।

जनचौक ने अपनी पूर्व रिपोर्ट में जो संभावना जताई थी कि आईएएस पूजा सिंघल का मामला अंततः सीबीआई के हवाले जा सकता है वह बिल्कुल प्रबल दिख रही है।

जनचौक ने लिखा था, “सूत्र बताते हैं कि इन तमाम हालातों के बाद भी ईडी कुछ नहीं करेगी और संभवतः अंत में मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया जाएगा। सीबीआई जैसा चाहेगी जांच को उसी दिशा में ले जाएगी। मतलब यह कि अगर ऐसा होता है तो इस प्रकरण से अंततः राजनीतिक लाभ किसे होगा यह सीबीआई की जांच के बाद तय हो पाएगा। दूसरी जो सबसे अहम बात है वह यह है कि अगर उपर्युक्त तथ्य सही साबित होते हैं तो साफ जाहिर हो जाता है कि पूजा सिंघल प्रकरण पूरी तरह प्रायोजित है।”

यह आभाष हेमंत सोरेन को हो चुका है, यही कारण है कि हेमंत सोरेन सरकार की पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने सीबीआई जांच वाली याचिका की वैधता पर सवाल उठाया है और कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित है।

भ्रष्टाचार की बात की जाए तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राज्य में पूजा सिंघल अकेली भ्रष्ट अफसर नहीं हैं। बिना किसी लाग लपेट के अगर झारखंड के तमाम आईएएस के कार्यों की जांच की जाए तो झारखण्ड की जेलों की व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव आ जाएगा। क्योंकि इन अफसरों के जेल जाते ही जाहिर है जेल की अव्यवस्था में सुधार जरूर हो जाएगा।

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के मामले की बात करें तो चुनाव आयोग ने उन्‍हें जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 9ए के तहत संभावित अयोग्‍यता का नोटिस दिया है। वहीं झारखंड हाई कोर्ट में उनके खिलाफ खदान लीज लेने और शेल कंपनियां चलाने की सीबीआई जांच की मांग वाली दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर गर्मी की छुट्टियों के बावजूद विशेष सुनवाई हो रही है।

वहीं बताया जा रहा है कि भ्रष्‍टाचार के आरोपों में गिरफ्तार निलंबित आईएएस पूजा सिंघल से मिले दस्‍तावेजों से हेमंत सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि मनरेगा घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय, ईडी की जांच अब खान विभाग और झारखंड में हो रहे करीब 4,000 करोड़ के अवैध खनन कारोबार, मनी लांड्रिंग पर केंद्रित हो गई है और राज्‍य में राजनीतिक अटकलों का बाजार गरमाता जा रहा है। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस सियासी खेल पर अपनी नजर गड़ाए हुए है। कहा जाए तो भाजपा झारखंड की सत्ता पर पुनर्वापसी चाह रही है।

बता दें कि झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत निर्वाचन आयोग ने अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उनसे जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 9ए के तहत संभावित अयोग्‍यता की कार्रवाई के बारे में पूछा गया है। आयोग ने कहा है कि क्‍यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए? इस मामले में पहले चुनाव आयोग ने हेमंत को अपना पक्ष रखने के लिए 10 दिनों का समय दिया था। लेकिन, उन्‍होंने अपनी मां की गंभीर बीमारी का हवाला देते हुए आयोग से एक महीने की मोहलत मांगी। बाद में हालांकि आयोग ने अंतत: 10 दिनों का अतिरिक्‍त समय उन्‍हें अपना पक्ष रखने के लिए दिया है। सरकार और हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस मामले में देश के कई नामचीन विधि विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया है। संभव है इस मामले में हेमंत सोरेन जल्‍द ही अपना जवाब चुनाव आयोग को भेज दें।

झारखंड उच्‍च न्‍यायालय में हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम से खदान लीज लेने के मामले के अलावा एक अन्य याचिका हेमंत सोरेन, भाई बसंत सोरेन और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनियां चलाने की भी सीबीआई जांच कराने के संबंध में दाखिल की गयी है। इन दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर गर्मी की छुट्टियों में भी हाईकोर्ट में विशेष सुनवाई हो रही है। इस मामले में झारखंड सरकार भी पक्षकार बनी है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे हैं। वे दोनों याचिकाओं को खारिज करने की मांग कोर्ट से कर रहे हैं। जबकि कोर्ट ने उनसे पूछा है कि अब जबकि सरकार के खान सचिव पूजा सिंघल का भ्रष्‍टाचार उजागर हो गया है। तो सरकार सीबीआई जांच का विरोध क्‍यों कर रही है?

इस मामले में जांच एजेंसी ने हाईकोर्ट को बेहद सनसनीखेज दस्‍तावेज सौंपे हैं। हाई कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई के क्रम में हेमंत सोरेन के राजधर्म पर सवाल उठाए और कहा कि मुख्‍यमंत्री की बात छोड़ भी दें तो एक विभागीय मंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन का अपने नाम पर खदान लेकर विभाग से उपकृत होना, क्‍या ये पद का दुरुपयोग Misuse of Post नहीं है? कोर्ट ने कपिल सिब्‍बल से कहा कि अगर जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 9ए को किनारे भी रख दें, तो विभागीय मंत्री के तौर पर दोहरा लाभ लेने के इस मामले में वे क्‍या सफाई देंगे?

भ्रष्‍टाचार के आरोपों में गिरफ्तार राज्य की खान व उद्योग सचिव पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधे सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि पूजा सिंघल उनकी बेहद करीबी अफसरों में शामिल रहीं हैं। अब पूजा सिंघल के ठिकानों से मिले गोपनीय दस्‍तावेजों में करोड़ों रुपये के लेनदेन में बड़े-बड़े सफेदपोशों के नाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन और उनकी सरकार के लिए पूजा सिंघल प्रकरण मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।

कहना ना होगा कि जिस तरह मनरेगा घोटाले से शुरू हुई प्रवर्तन निदेशालय की जांच राज्य के खान विभाग तक पहुंची है, उससे करीब 4,000 करोड़ के अवैध खनन के काले कारोबार का पर्दाफाश होने की संभावना प्रबल हो गई है। पूजा सिंघल, उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार और अन्य आदि से पूछताछ में भ्रष्टाचार के रुपये नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों व सफेदपोशों तक पहुंचाने की पुष्टि हुई है। पूजा सिंघल के पति व पल्‍स हॉस्पिटल के एमडी अभिषेक झा के अब तक गिरफ्तार नहीं होने और सरकारी गवाह बनने की अपुष्‍ट खबर भी हेमंत सोरेन और सरकार की बेचैनी बढ़ाने वाली है।

ईडी ने कहा कि पूजा के ठिकानों पर छापेमारी में मिले दस्‍तावेजों की जांच में पता चला है कि मनरेगा और खान घोटाले के पैसे शेल कंपनियों में लगाकर मनी लांड्रिंग की गई है। भ्रष्‍टाचार के द्वारा अर्जित किया गया पैसा होटल, रेस्टोरेंट आदि कई धंधे में लगाने की जानकारी मिली है। जो आने वाले दिनों में हेमंत सोरेन की मुश्किलें और बढ़ा सकती है।

वहीं कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान रजिस्ट्रार आफ कंपनी को प्रतिवादी बनाया और जानकारी मांगी थी। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद रजिस्ट्रार आफ कंपनी ने जवाब दाखिल कर अदालत को बताया कि वह झारखंड की सिर्फ चार कंपनियों की जानकारी दे सकता है। क्योंकि झारखंड की यह चार कंपनियां उसके अधीन है। शेष जिन 45 कंपनियों का जिक्र किया गया है उनकी जानकारी पटना, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, दिल्ली, कटक और कोलकाता के रजिस्ट्रार आफ कंपनी कार्यालय से मांगी जा सकती है।

बता दें कि झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन, भाई बसंत सोरेन और उनके कई करीबियों के खिलाफ शेल कं‍पनियां चलाने की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश डॉ रवि रंजन ने हेमंत सरकार का पक्ष रख रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल से पूछा कि आखिर सरकार सीबीआई जांच का विरोध क्‍यों कर रही है। झारखंड हाईकोर्ट के इस सवाल के जवाब में सिब्‍बल ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्‍य नहीं है, इसे खारिज कर देनी चाहिए। अदालत ने इसके बाद कहा कि सरकार की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का मामला सबके सामने उजागर हो चुका है। उनकी पोल दुनिया के सामने खुल चुकी है। हम सभी को पता है कि सरकार की खान और उद्योग सचिव पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के पास से करीब 20 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं।

वहीं दूसरी तरफ ईडी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अभी मनरेगा घोटाले की जांच राज्‍य सरकार के अधीन वाली एसीबी कर रही है। ऐसे में एजेंसी की ओर से अदालत को सौंपे गए दस्‍तावेज का गलत इस्‍तेमाल किया जा सकता है। जांच प्रभावित किए जाने की संभावना है। अतः इस मामले की जांच एसीबी से लेकर सीबीआई को सौंप देना चाहिए।

जबकि सरकार की ओर से पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने सीबीआई जांच वाली याचिका की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता का परिवार 20 साल से मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन का राजनीतिक विरोधी है। कपिल सिब्बल ने ईडी की ओर से सीलबंद लिफाफे में जमा किए गए गोपनीय दस्‍तावेज भी सरकार को दिए जाने की मांग की।

बताना जरूरी होगा कि ईडी ने आईएएस पूजा सिंघल से जुड़े मनी लांड्रिंग के पूरे मामले में जांच की गति तेज कर दी है। 17 मई को फिर पांच ट्रंक दस्‍तावेज जांच-पड़ताल के लिए ईडी के दफ्तर लाए गए।

दूसरी तरफ राज्‍य के चार जिलों के जिला खनन पदाधिकारी से ईडी अवैध धन उगाही के मामले में कड़ाई से पूछताछ कर रही है। जिन शेल कंपनियों के नाम अब तक सामने आए हैं, उनके दस्‍तावेज और लेन-देन के तमाम रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।

हाईकोर्ट ने झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज लेने के मामले में 17 मई (मंगलवार) को सुनवाई के दौरान सरकार के वकील कपिल सिब्‍बल से सीधे-सीधे पूछा कि जब आईएएस पूजा सिंघल का मामला उजागर हो गया है, फिर क्यों नहीं हेमंत सरकार के खनन सचिव पर अब तक प्राथमिकी दर्ज हुई है? हेमंत सोरेन द्वारा अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने पूछा कि भ्रष्‍टाचार के संगीन मामले में सरकार की खनन सचिव पूजा सिंघल गिरफ्तार हुईं और उन्हें सरकार ने निलंबित भी कर दिया है। बावजूद इसके उन पर अभी तक प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई है?

अदालत ने सुनवाई के दौरान प्रार्थी शिवशंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार से पूछा कि मनरेगा घोटाले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है, तो इसकी सीबीआई जांच का आदेश अदालत कैसे दे सकती है, इस पर कहा गया कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर कोर्ट सीबीआई जांच का आदेश दे सकता है। अधिवक्‍ता ने कहा कि यह मामला मनरेगा घोटाले से आगे बढ़कर खनन घोटाला की ओर बढ़ गया है। ऐसे में आईएएस पूजा सिंघल से सीधे जुड़ाव वाले इस मामले में हाई कोर्ट सीबीआई जांच का आदेश दे।

बताना जरूरी होगा कि पूजा सिंघल प्रकरण में मनरेगा से शुरू हुई ईडी की जांच, अब अवैध खनन की ओर मुड़ गई है। इसमें कोई शक नहीं झारखंड में अवैध खनन का कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में अवैध खनन का कारोबार 4,000 करोड़ से कहीं अधिक का है। इस असंगठित कारोबार को अधिकारियों की मिलीभगत से संगठित तरीके से अंजाम दिया जाता रहा है।

झारखंड में अवैध खनन के कारोबार का कोई सटीक आंकड़ा निकालना मुश्किल है लेकिन समय-समय पर भारतीय खान ब्यूरो को भेजी गई रिपोर्ट, पीएजी की ऑडिट रिपोर्ट और शाह आयोग की पिछली पड़ताल को एक नजर देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि झारखंड का खान विभाग जितना राजस्व हर वर्ष जुटाता है, उसके आधे का अवैध खनन का कारोबार होता है। कोयला, लौह अयस्क से लेकर बालू, पत्थर, लाइम स्टोन सभी इसकी जद में शामिल हैं और इसे रोकने के लिए तैनात किए गए जवाबदेह अधिकारी ही सरकार को चपत लगा रहे हैं।

भले ही ईडी की जांच कुछ और खुलासे करेगी, कुछ नपेंगे भी, लेकिन यह कारोबार न थमा है और न थमेगा।

उल्लेखनीय है कि झारखंड में अवैध खनन कारोबार को लेकर न्यायमूर्ति एमबी शाह आयोग ने वर्ष 2000-2010 के बीच अपनी रिपोर्ट में झारखंड में 22,000 करोड़ रुपये का अवैध खनन का खुलासा किया था। वर्ष 2014 में संसद में पेश रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासे किए गए थे। इसमें अवैध खनन के तमाम तरीकों और कारणों का खुलासा किया गया था और खनन कंपनियों के साथ साठगांठ करने वाले अधिकारियों को दंडित करने का सुझाव भी दिया गया था। यह रिपोर्ट वर्ष 2000-2010 के बीच के आयोग के अध्ययन पर आधारित थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि 40 डालर प्रतिटन के औसत मूल्य पर 2000-2010 के बीच रायल्टी का भुगतान किए बिना लौह अयस्क के अवैध निर्यात का मूल्य 2,747 करोड़ रुपये बैठता है।

बताते चलें कि अवैध खनन को लेकर राज्य सरकार को पीएजी भी चेता चुकी है। पूर्व में पीएजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा था कि वित्तीय वर्ष 2010-11 और 2011-12 में जिला खनन कार्यालयों ने खान विभाग के राजस्व को 2,078 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। रायल्टी दर का गलत आकलन, कोयले की ग्रेडिंग कम करने, लीज अवधि समाप्त होने के बावजूद खनन तथा बकाया में ब्याज की गणना गलत तरीके से करने से यह नुकसान हुआ है।

झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के माध्यम से सरकार का भला जितना भी हुआ हो, यहां के अधिकारियों ने अपना और अपने रिश्तेदारों का जमकर भला किया है। सूत्र बताते हैं कि रिश्ते और पैरवी के आधार पर लोगों को खनन पट्टे दिए गए। गढ़वा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। विद्या शर्मा के नाम से जारी एक खनन पट्टे में स्थल जांच प्रतिवेदन देखने से पता चलता है कि लाभुक के पति ने ही स्थल जांच प्रतिवेदन में अपनी गवाही दी है। इनका नाम अशोक कुमार है। इसी प्रकार पैरवी से खनन पट्टे दिए जाने के प्रमाण भी सामने आ रहे हैं। निगम में बालू प्रभारी रहे अशोक कुमार पर आरोप है कि उन्होंने एक बार इस्तेमाल के लिए जारी चालान को कई बार इस्तेमाल किया और इस मामले में उनपर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई। राज्य मुख्यालय से लेकर जिलों तक में पैरवी की बदौलत कई जिलों में ऐसे कार्य लगातार किए जाते रहे हैं।

इस तरह के घोटाले झारखंड की लगभग सभी सरकारों में हुए हैं। वहीं राज्य में हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा को छोड़कर सभी सरकारें भाजपा और उनके सहयोगी दलों की रही हैं। 2010 में अर्जुन मुंडा की सरकार को झामुमो का समर्थन प्राप्त था।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

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