Friday, March 29, 2024

अमरावती भूमि घोटाला: एफआईआर रद्द, सीएम रेड्डी को तगड़ा झटका

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार को तगड़ा झटका देते हुए अमरावती भूमि सौदों से संबंधित इनसाइडर ट्रेडिंग (भेदिया कारोबार) के एक आपराधिक मामले की कार्यवाहियों को मंगलवार को खारिज कर दिया और कहा कि इनसाइडर ट्रेडिंग अवधारणा भारतीय दंड संहिता के तहत आने वाले अपराधों पर लागू नहीं की जा सकती।

जस्टिस चीकटि मानवेंद्रनाथ रॉय की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने तत्सम्बन्धी संवैधानिक और कानूनी अधिकार के तहत विक्रेताओं से संपत्ति का अधिग्रहण किया, जिन्होंने स्वेच्छा से पंजीकृत बिक्री कार्यों के तहत वैध बिक्री के लिए याचिकाकर्ताओं को बेच दिया। इस तरह के निजी बिक्री लेन देन को आपराधिक नहीं बनाया जा सकता है और किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में याचिकाकर्ताओं को कोई आपराधिक दायित्व नहीं सौंपा जा सकता है।

एकल पीठ ने कहा कि इनसाइडर ट्रेडिंग के अपराध की अवधारणा जो अनिवार्य रूप से स्टॉक मार्केट के क्षेत्र में एक अपराध है जो प्रतिभूतियों को बेचने और खरीदने से संबंधित है और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों पर लागू नहीं किया जा सकता है और भारतीय दंड संहिता की योजना में धारा 420 आईपीसी या किसी भी प्रावधान में नहीं पढ़ा जा सकता है। इनसाइडर ट्रेडिंग के अपराध की उक्त अवधारणा पूरी तरह से आईपीसी  के लिए अलग-थलग है और यह भारतीय दंड संहिता के तहत हमारे आपराधिक न्यायशास्त्र के लिए अज्ञात है। इसलिए, यह भी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मामले के तथ्यों को संदर्भ या अपेक्षाकृत लागू नहीं किया जा सकता है

याचिकाकर्ताओं / अभियुक्तों के खिलाफ आरोप यह था कि उन्हें इस बात का ज्ञान था कि विभाजित आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के लिए अमरावती को स्थल के रूप में चुना जाएगा। इसलिए उन्होंने अमरावती में नई राजधानी बनाने की आधिकारिक घोषणा से पहले सस्ते पूंजी में और उसके आसपास प्रस्तावित राजधानी शहर में जमीनें खरीदीं। आंध्र प्रदेश के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने कुछ निजी निकायों के खिलाफ मुकदमा दायर कर रखा था। उच्च न्यायालय ने कहा कि पूरा मामला कई कानूनी कमियों से भरा हुआ है और अभियोजक के पक्ष की जड़ को ही समाप्त करता है।

एकल पीठ ने कहा कि यह वास्तव में इस अदालत की समझ से परे है कि कैसे उक्त निजी बिक्री लेन देन को मामूली वजहों के आधार पर आपराधिक बनाया जा सकता है और जमीन के खरीदारों को अपराधी बताकर कार्रवाई की जा सकती है। इस फैसले के दूरगामी परिणाम होने के अनुमान हैं, क्योंकि राज्य सरकार इसी तरह के आरोपों पर कुछ अन्य मामले भी चला रही है, जिनमें कुछ बड़े लोग कथित रूप से शामिल हैं।

एकल पीठ ने भेदिया कारोबार के उस सिद्धांत को सिरे से खारिज कर दिया, जिसे वाईएसआर कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए 2016 से ही अमरावती राजधानी क्षेत्र में भूमि लेनदेन को लेकर प्रचारित करती आ रही है। मुख्यमंत्री रेड्डी ने भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ जज की बेटियों पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, उनके परिजनों और तेलुगु देशम पार्टी के कुछ नेताओं पर भेदिया कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाया है।

दूसरी और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस वी ईश्वरैया ने आरोप लगाया है कि उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ जज के कुछ रिश्तेदार अमरावती भूमि घोटाले के बेनामी लेनदेन में शामिल हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बताया कि वह इस मामले और साक्ष्य जुटा रहे हैं।

जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष पूर्व जस्टिस ईश्वरैया ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि उन्होंने एक बर्खास्त न्यायिक अधिकारी से बेनामी लेनदेन को लेकर हुई बातचीत की जानकारी मांगी है। पूर्व जस्टिस ने उच्चतम न्यायालय में पिछले साल 13 अगस्त, 20 को आए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके और बर्खास्त न्यायिक अधिकारी के बीच बातचीत की जांच का आदेश दिया गया है।

उन्होंने हलफनामे में कहा कि वह जो जानकारी मांग रहे थे वह एक मौजूदा जज के आचरण से जुड़ी थी और इसका संदर्भ सीधे तौर पर जांच से जुड़ा है और इसे किसी सूरत में साजिश नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने जस्टिस ईश्वरैया से इस मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था, जिसके बाद उन्होंने 11 जनवरी 21 को वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से यह हलफनामा दाखिल किया है। कोर्ट अब फरवरी के पहले हफ्ते में इस मामले में सुनवाई करेगा।

रिटायर्ड जज ईश्‍वरैया ने कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने इस बेनामी सौदे के बारे में निलंबित न्यायिक अधिकारी से फोन पर बातचीत में जानकारी मांगी थी। यह मामला कथित रूप से राज्य की नई राजधानी क्षेत्र में भूमि सौदों को लेकर भ्रष्टाचार से संबंधित थी। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश और निलंबित न्यायिक अधिकारी के बीच हुई इस कथित वार्ता की जांच का निर्देश 13 अगस्त, 2020 को दिया था।

जस्टिस ईश्‍वरैया ने इसी आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है। इसी मामले में न्यायमूर्ति ईश्‍वरैया ने यह हलफनामा दाखिल किया है। वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है, ‘मैं यह कहता हूं कि पीठासीन न्यायाधीश के आचरण के बारे में सामग्री (अगर उपलब्ध है) मांगने को, जो मेरी जानकारी के अनुसार जांच का विषय है, किसी भी तरह से साजिश नहीं कहा जा सकता। मैं कहना चाहता हूं कि मैंने रामकृष्ण (निलंबित जिला मुंसिफ) के साथ फोन पर बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के उक्त न्यायाधीश की संलिप्तता के बारे में जानकारी और सामग्री मांगी थी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

‘ऐ वतन मेरे वतन’ का संदेश

हम दिल्ली के कुछ साथी ‘समाजवादी मंच’ के तत्वावधान में अल्लाह बख्श की याद...

Related Articles