Friday, March 29, 2024

लक्षद्वीप के एडमिनिस्ट्रेटर प्रफुल्ल पटेल को जैव-हथियार बताने पर फिल्म एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना पर देशद्रोह का केस

एक न्यूज कार्यक्रम में लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को ‘जैव-हथियार’ बताने पर लक्षद्वीप पुलिस ने गुरुवार को स्थानीय निवासी और फिल्म एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज़ किया है।

भाजपा की लक्षद्वीप इकाई के अध्यक्ष सी अब्दुल खादर हाजी की शिक़ायत पर कवारत्ती पुलिस स्टेशन में आयशा सुल्ताना के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज़ किया गया है। पुलिस को दिये अपनी शिक़ायत में भाजपा अध्यक्ष खादर हाजी ने लक्षद्वीप में चल रहे विवादास्पद सुधारों पर मलयालम चैनल ‘मीडियावन टीवी’ पर हालिया बहस का हवाला दिया है, जिसमें आयशा सुल्ताना ने कथित तौर पर कहा था कि केंद्र सरकार प्रफुल्ल पटेल को द्वीपों पर ‘जैव-हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। 

टीवी चैनल पर आयशा सुल्ताना की उपरोक्त टिप्पणी का भाजपा की लक्षद्वीप इकाई विरोध कर रही है और भाजपा कार्यकर्ताओं ने केरल में भी आयशा के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज़ कराया है।

गौरतलब है कि लक्षद्वीप में केंद्र के प्रतिनिधि प्रशासक प्रफुल्ल पटेल द्वारा लाये गये मसौदा क़ानून बिल का लक्षद्वीप और केरल में जबर्दस्त विरोध हो रहा है।  फिल्म पेशेवर, आयशा सुल्ताना नये सुधारों और प्रस्तावित मसौदा क़ानून के ख़िलाफ़ अभियानों में सबसे आगे रही है। 

आयशा सुल्ताना का पक्ष

लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल पटेल पर अपने विवादास्पद संदर्भ को सही ठहराते हुए, आयशा ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया, “मैंने टीवी चैनल की बहस में जैव-हथियार शब्द का इस्तेमाल किया था। मैंने पटेल के साथ-साथ उनकी नीतियों को भी महसूस किया है [have acted] जैव हथियार के रूप में। प्रफुल्ल पटेल और उनके दल के माध्यम से ही लक्षद्वीप में कोविड-19 फैला। मैंने पटेल की तुलना सरकार या देश से नहीं, बल्कि एक जैव हथियार के रूप में की है… आपको समझना चाहिए। मैं उसे और क्या कहूं…”

प्रफुल्ल पटेल मोदी के करीबी हैं 

केंद्र की मोदी सरकार ने गुजरात के पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया। तत्कालीन प्रशासक दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी। प्रफुल पटेल विवादित शख्सियत के व्यक्ति हैं और पहले भी वह कई बार विवादों में आ चुके हैं। प्रफुल्ल पटेल को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते वह उनकी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे हैं।

लक्षद्वीप मसौदा क़ानूनों में क्या है?

केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त होने के बाद प्रफुल्ल पटेल नया मसौदा क़ानून लेकर आये हैं।  मसौदे को इस साल जनवरी में पेश किया गया था। 

1- पहला मसौदा है- लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021। इस मसौदे में प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने की अनुमति होगी। 

2- दूसरा मसौदा है- असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टीविटीज (PASA) एक्ट। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गिरफ्तारी का खुलासा किए बिना सरकार द्वारा उसे एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति होगी। 

3- तीसरा मसौदा – पंचायत चुनाव अधिसूचना से जुड़ा हुआ है। इसके तहत दो बच्चों से ज्यादा वालों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी से बाहर किया जा सकता है। यानी ऐसे व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं होगी, जिसके दो से ज्यादा बच्चे हैं।

4- चौथा मसौदा है- लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन।  इस मसौदे के तहत स्कूलों में मांसाहारी भोजन परोसने पर प्रतिबंध और गोमांस की बिक्री, खरीद या खपत पर रोक का प्रस्ताव है।

5- पांचवां मसौदा है- शराब पर प्रतिबंध हटाना। इसके तहत शराब के सेवन पर रोक हटाई गई है। बताया जाता है कि अभी इस द्वीप समूह के केवल बंगरम द्वीप में ही शराब मिलती है, मगर वहां कोई स्थानीय आबादी नहीं है। ऐसे में अब द्वीप के कई अंचलों से शराब पर प्रतिबंध हटाया गया है। 

6- छठवी मसौदा- मछुआरों के बोट पर सरकारी कर्मचारियों की तैनाती का आदेश। इस आदेश के पीछे मकसद बताया गया था कि इससे खुफिया जानकारी जुटाने में आसानी रहेगी। लेकिन कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद अब इस आदेश को वापस ले लिया गया है।

पोर्ट, फ़िशिंग और नेविगेशन विभाग के डायरेक्टर सचिन शर्मा ने नए फैसले के बारे में सभी अधिकारियों और पोर्ट के सुरक्षा से जुड़े CISF जैसे विभागों को ईमेल लिखा है। इसमें 28 मई को जारी आदेश को वापस लेने की बात कही गई है। और पुराने नियम को फिर से लागू करने को कहा गया है। लेकिन बाकी प्रस्तावित कानून के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। 

विरोधी दल भी आये लक्षद्वीप के नागरिकों के साथ 

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल जब ये बदलाव लेकर सामने आए, तो विपक्ष ने मसौदा की  आलोचना करते हुये कहा कि ये फैसले लक्षद्वीप में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं के खिलाफ़ है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर इन बदलावों को वापस लेने की मांग की।  केरल की सत्ताधारी पार्टी CPM और तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK और महाराष्ट्र की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, सीपीआई (एमएल) आदि ने भी इन प्रस्तावित कानूनों को वापस लेने की मांग की है। फिलहाल ये मसला अदालत तक भी पहुंच गया। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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