Wednesday, April 24, 2024

विदेशी मीडिया ने एक स्वर में कहा भारत में केविड विस्फोट के लिए वायरस नहीं, नरेंद्र मोदी कसूरवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में 24 घंटे में कोरोना संक्रमितो की संख्या चार लाख पार चले जाने और चार हजार से अधिक की मौत का नया विश्व कीर्तिमान स्थापित हो चुका है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं है। श्मशानों में वेटिंग लाइन चल रही है। सरकार का पूरा सिस्टम फेल हो चुका है।

बदइंतजामी और अव्यवस्था का आलम ये है कि विदेशी मीडिया लगातार भारत में ऑक्सीजन से हो रही मौतों और श्मशान की तस्वीरें छाप रही है। 

फ्रांस के ली मॉण्दे अख़बार के अलावा ग्लोबल टाइम्स, इंडिपिंडेंट, गार्जियन आदि ने भी जलती चिताओं के चित्रों के साथ भारत के हालात पर रिपोर्ट छापी हैं। इन अख़बारों ने लिखा है कि श्मशानों के छोटे पड़ रहे हैं। सो, यहां-वहां खाली जगहों पर शव जलाए जा रहे हैं। 

ब्रिटेन का इंडिपेंडेंट हो या गार्जियन, चीन का ग्लोबल टाइम्स हो या पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश का अख़बार न्यू एज-सब भारत के श्मशानों में धुधुआती चिताओं की तस्वीरें छापकर त्रासदी पर रिपोर्ट या टिप्पणियां छाप रहे हैं।

फ्रेंच अख़बार ‘ली मॉण्दे’ ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि-“भारत की मौजूदा कोविड-त्रासदी के लिए दोषी बातों में कोरोना वाइरस की अप्रत्याशिता के अलावा जनता को बहला-फुसला कर रखने वाली सियासत और झूठी हेकड़ी भी शामिल है। ‘ली मॉण्दे’ अखंबार ने अस्पतालों और श्मशानों के मंजर का चित्रण करते हुए लिखा है कि महामारी गरीब या अमीर किसी को नहीं बख्श रही। रोगियों के बोझ से चरमराते अस्पताल, गेट पर लगी एम्बुलेंसों की कतार और ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाते तीमारदार। ये ऐसे दृश्य हैं जो झूठ नहीं बोलते। फरवरी में जिस कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा था, उसकी लाइन अब लंबवत, खड़ी उठ रही है।

फ्रांसीसी अख़बार ने नरेंद्र मोदी को कोरोना वायरस के बरअक्श खड़ा करते हुए कहा है – “इस हालत के लिए सिर्फ़ कोरोना वाइरस के छलावा को दोषी नहीं माना जा सकता। साफ है कि इसके अन्य कारणों में नरेंद्र मोदी की अदूरदर्शिता, हेकड़ी और जनता को बहला-फुसला कर रखने वाली उनकी सियासत शामिल है। आज नियंत्रण से बाहर दिखती स्थिति में विदेशी मदद की दरकार हो रही है।

‘ली मॉण्दे’ नए आगे लिखा है – “वर्ष 2020 अस्तव्यस्त करने वाले बेहद पीड़ादायी, पंगुकारी लॉकडाउन की घोषणा हुई, करोड़ो प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया और फिर 2021 की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा में ढिलाई कर दी। मोदी ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मशविरे की जगह अपने उग्र, जोशीले राष्ट्रवादी भाषणों को तरजीह दी। झुकाव आत्मप्रवंचना की ओर न कि जनता को बचाने की ओर। इस तरह हालात बद से बदतर हो गए। इस संपादकीय लेख में कुंभ का ज़िक्र भी है। कहा गया है कि इस आयोजन ने गंगाजल को संक्रमणकारी बना दिया गया।

ली मॉण्दे के लेख में मोदी की बहुप्रचारित वैक्सीन रणनीति की भी कठोर शब्दों में निंदा की गई है। कहा है कि मोदी की वैक्सीन नीति महत्वाकांक्षाओं का पोषण करने वाली थी। यह देखा ही नहीं गया कि देश में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता कितनी है।

चीन के ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत में रह रहे कोरोना पीड़ित एक चीनी नागरिक के हवाले से लिखा है कि अत्यधिक मौतों के कारण अंत्येष्टि से जुड़ा कारोबार भी चरमरा गया है।

वहीं बांग्लादेशी अखबार न्यू एज ने मार्मिक टिप्पणी करते हुए लिखा – “कोविड महामारी के चलते भारत की हालत उस रात के वक्त सड़क पर खड़े उस जानवर की तरह हो गई है जिसकी आंखों के सामने कार की हेडलाइट चमक रही है और वह समझ नहीं पा रहा कि वह क्या करे।”

ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अख़बार  ‘द गार्जियन’ ने भारत में कोरोना विस्फोट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कसूरवार बताते हुए लिखा है- “भारतीय प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) से देश में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर है। लोग अब सबसे बुरे हाल में जी रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड दोनों नहीं है। 6 हफ्ते पहले उन्होंने भारत को ‘वर्ल्ड फार्मेसी’ घोषित कर दिया, जबकि भारत में 1% आबादी का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।”

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भारत में विस्फोटक हो चुके कोरोना की स्थिति के लिए मोदी सरकार की नीतियो को जिम्मेदार बताते हुए लिखा है-“भारत में आज कोरोना के मामले बेकाबू हो गए हैं। अस्पतालों में बेड नहीं है। प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन लग गया है। सरकार के गलत फैसलों और आने वाले मुसीबत की अनदेखी करने से भारत दुनिया में सबसे बुरी स्थिति में आ गया, जो कोरोना को मात देने में एक सफल उदाहरण बन सकता था।”

अमेरिका की लब्ध प्रतिष्ठा पत्रिका ‘टाइम’ ने नरेंद्र मोदी के दिशाहीन नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है- “ज़िम्मेदारी उसकी है, जिसने सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया। ज़िम्मेदारी उस मंत्रिमंडल की है, जिसने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ में कहा कि देश में कोरोना के ख़िलाफ़ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी। यहां तक कि टेस्टिंग धीमी हो गई। लोगों में भयानक वायरस के लिए ज्यादा भय न रहा।”

संयुक्त राज्य अमेरिका के ही एक और प्रतिष्ठित अख़बार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने भारत में कोरोना विस्फोट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गैर-जिम्मेदाराना रवैये को कसूरवार ठहराते हुए लिखा है- “भारत में कोरोना की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह पाबंदियों में जल्द राहत मिलना है। इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया। कुंभ मेला, क्रिकेट स्टेडियम जैसे इवेंट में दर्शकों की भारी मौजूदगी इसके उदाहरण हैं। एक जगह पर महामारी का ख़तरा मतलब सभी के लिए ख़तरा है। कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज़्यादा ख़तरनाक है।”

ऑस्ट्रेलिया के अख़बार ‘ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू’ ने भारत में कोरोना और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के संबंध को दिखलाते हुए एक कार्टून छापा है, जिसमें कार्टूनिस्ट डेविड रोव ने दिखाया है कि भारत देश जो कि हाथी की तरह विशाल है, वह मरने वाली हालत में ज़मीन पर पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी पीठ पर सिंहासन की तरह लाल गद्दी वाला आसन लगाकर बैठे हुए हैं। उनके सिर पर तुर्रेदार पगड़ी और एक हाथ में माइक है। वह भाषण वाली पोज़ीशन में हैं।

इस कॉर्टून के छपने के बाद भारतीय हाइ कमीशन ने आस्ट्रेलियाई अख़बार को फटकार लगाई है।

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