जीबी पंत अस्पताल में नर्सों के मलयालम बोलने पर पाबंदी वाला सर्कुलर वापस, कार्रवाई पर अड़ा नर्स यूनियन

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शनिवार 5 जून को दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट एजुकेशन एंड रिसर्च में नर्सिंग स्टाफ के मलयालम बोलने पर रोक लगाने के लिये जारी हुआ सर्कुलर विरोध के बाद 24 घंटे के अंदर ही आज रविवार 6 जून को वापस ले लिया गया।

GIPMER के चिकित्सा निदेशक डॉ अनिल अग्रवाल ने सर्कुलर वापस लेने की जानकारी साझा करते हुये कहा है कि आदेश वापस ले लिया गया है। जीबी पंत संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा जारी नए परिपत्र में कहा गया है, ‘5 जून, 2021 का यह परिपत्र, जो जीबी पंत अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक द्वारा बिना किसी निर्देश या अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना जारी किया गया था, उसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।’

सर्कुलर वापस लेने के साथ ही अस्पताल प्रशासन ने सफाई दी है कि उनकी जानकारी के बिना ही सर्कुलर जारी कर दिया गया था।

वहीं अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ अभी भी ‘जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग के साथ मामले में प्रबंधन से लिखित में माफी मांगने की जिद पर अड़ा हुआ है।

मलयाली नर्स यूनियन ने उन लोगों से लिखित माफी की मांग की है जिन्होंने यह सर्कुलर जारी किया था। नर्स यूनियन प्रतिनिधि ने कहा है कि “दिल्ली सरकार को भी जीबी पंत अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। मलयाली नर्स यूनियन ने कहा है कि एक्शन कमेटी ने संबंधित विभाग से माफी पत्र जारी होने तक अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है”।

वहीं दिल्ली में मलयाली नर्सों की एक्शन कमेटी के प्रतिनिधि फमीर सीके ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है कि “यह वास्तव में हमारे लिए चौंकाने वाली बात है। हमें लगता है कि यह हमारी भाषाई स्वतंत्रता के लिए ख़तरा है। संबंधित व्यक्ति इसके लिए लिखित माफी मांगे क्योंकि उन्होंने पूरे राज्य को अपमानित किया है।”

गौरतलब है कि शनिवार को हॉस्पिटल की ओर एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि नर्सिंग स्टाफ सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी में ही बात कर सकता है। अगर वो किसी दूसरी भाषा का इस्तेमाल करता है तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है।

गौरतलब है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से शनिवार को जारी सर्कुलर में कहा गया कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि ड्यूटी के दौरान मलयालम भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ज्यादातर मरीज इसे समझते नहीं हैं, जिसकी वजह से वहां असुविधा के हालात बनते हैं। इसलिए सभी नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिया गया कि बातचीत के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग करें, नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

फमीर सीके ने आगे अस्पताल प्रशासन की मंजूरी के बिना इस तरह का नोटिस जारी करने की निंदा की और कहा कि इस तरह के कदाचार के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने एएनआई को बताया, ‘अगर प्रशासन कह रहा है कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है। इसे एक कदाचार के रूप में माना जाना चाहिए और यदि कोई व्यक्ति आधिकारिक लेटरहेड पर कोई सर्कुलर जारी कर रहा है जबकि उसके पास यह अधिकार भी नहीं है तो, यह काफी गंभीर मामला है।

इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह आपत्ति जताते हुये ट्विटर पर लिखा कि “मलयालम किसी भी अन्य भारतीय भाषा की तरह ही भारतीय है। भाषाई भेदभाव बंद करो!”

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने आपत्ति जताते हुये ट्विटर पर कहा है कि यह चौंकाने वाली बात है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में एक सरकारी संस्थान अपने नर्सिंग स्टाफ से कह सकता है कि वे उन लोगों से भी अपनी मातृभाषा में बात ना करें, जो उन्हें समझ सकते हैं। ये मंजूर करने वाली बात नहीं है।

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