Friday, April 19, 2024

गेहूं का दाना-दाना खरीदने का सरकारी दावा छूठा, सिर्फ 40 फीसदी की हो रही खरीदः जय किसान आंदोलन

जय किसान आंदोलन ने कहा है कि जिस गेहूं की फसल खरीद के बारे में सरकार डींगे हांकती नहीं थकती, दावा करती है कि फसल के दाने-दाने की सरकारी खरीद होगी, उस गेहूं की फसल का एमएसपी लूट कैलकुलेटर ने पर्दाफाश किया है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो सरकार का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। गेंहू की फसल की पूरे साल में सरकार देशभर में सिर्फ 40% खरीद ही कर रही है। पिछले साल गेहूं की कुल पैदावार देश में 107860000 मीट्रिक टन हुई थी। सरकार इस साल गेंहू कि सिर्फ 427,36,300 मीट्रिक टन खरीद करने की बात कह रही है, जिस हिसाब से सिर्फ 40% ही सरकार खरीद रही है, तो कैसे हुआ यह दाना-दाना?

अगर देश के तीन प्रदेशों को छोड़ दिया जाए तो सरकार इस पूरे साल में किसी भी प्रदेश में 25% से ज्यादा खरीद नहीं कर रही है। सरकार सिर्फ पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसानों का गेंहू 74%, 69% और 67% खरीद रही है। पिछले साल के आंकड़ों के हिसाब से 2020-2021 में उत्तर प्रदेश में गेहूं की 33816000 मीट्रिक टन पैदावार हुई थी और इस साल सरकार गेंहू उत्पादक राज्यों में सबसे ज्यादा पैदावार होने वाला प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश में सिर्फ 55,00,000 मीट्रिक टन ही खरीद रही है, यानी सिर्फ 16% ही सरकारी खरीद कर रही है। 

वहीं गेंहू उत्पादक वाले बाकी राज्यों की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है। राजस्थान के किसान का 20% और गुजरात के किसान का सिर्फ 5% गेंहू की ही इस वर्ष सरकारी खरीद है। (पूरी सूचना संलग्न तालिका में है)

अक्सर यह देखा जाता है कि जिस किसान कि फसल सरकार नहीं लेती उसे बाजार में एमएसपी से कहीं कम दाम मिलता है।  इस बात पर अगर गौर करें तो 60% गेहूं के किसान अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचने के लिए मजबूर हैं। संगठन ने  कहा कि यह 40% फसल खरीद का आंकड़ा पिछ्ले साल के कुल गेंहू उत्पाद को मद्दे नज़र रख कर आया है।

अनुमान है कि इस साल 40% से भी कम खरीद हो सकती है, क्योंकि पिछ्ले साल को देखते हुए इस साल गेंहू कि फसल की ज्यादा पैदावार हुई है। इसलिए जय किसान आंदोलन सरकार से एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है, ताकि किसान को स्वामीनाथन कमीशन के हिसाब से उसकी लागत का कम से कम दो गुना दाम मिल सके। अगर ऐसे नहीं होता है तो देश का किसान कभी उभर नहीं पाएगा।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य

साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव के उदाहरण दिए। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर शोषण का मुख्य हथियार बताया और इसके विरुद्ध विश्वभर के संघर्षों की चर्चा की। युवा और वरिष्ठ कवियों ने मेहमूद दरवेश की कविताओं का पाठ किया। वक्ता ने साम्राज्यवाद विरोधी एवं प्रगतिशील साहित्य की महत्ता पर जोर दिया।

Related Articles

साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य

साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव के उदाहरण दिए। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर शोषण का मुख्य हथियार बताया और इसके विरुद्ध विश्वभर के संघर्षों की चर्चा की। युवा और वरिष्ठ कवियों ने मेहमूद दरवेश की कविताओं का पाठ किया। वक्ता ने साम्राज्यवाद विरोधी एवं प्रगतिशील साहित्य की महत्ता पर जोर दिया।