नई दिल्ली। दिल्ली-35 के रामपुरा में एक निर्माणाधीन मेट्रो ब्रिज गिरने से एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई है। घटना कल रात साढ़े आठ बजे की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले तीन साल से ये ब्रिज लकड़ी के गुटके पर टिका हुआ था। पक्का काम नहीं हुआ था। कच्चा काम करके छोड़ दिया गया था जिसके चलते ये घटना घटित हुई है।
गोल्डन पार्क में रहने वाले प्रवासी मजदूरों का कहना है कि निर्माणाधीन पुल के नीचे एक निजी अवैध पार्किंग बनी हुई थी जहां पर करीब 200 ट्रक खड़े होते थे। जिनसे पुलिस 2-3 तीन हजार रुपये किराया वसूलती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कल रात हादसा होने के बाद कई लोग अपनी गाड़ियां निकाल ले गये। बहुत से लोग आज सुबह निकाल ले गये। जिनकी गाड़ियां नहीं स्टार्ट हुईं उनकी गाड़ी और जो गाड़ी दबी हुई थी केवल वही रह गईं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि देवाराम नाम के एक आदमी ने एक प्रवासी मजदूर राम बहादुर को चौकीदारी के लिए रखा था। उसकी लाश आज ब्रिज के मलबे के नीचे से बरामद हुई है। लोग जब देवाराम के पास रामबहादुर के बारे में पूछने गये तो उसने कहा कि वो तीन दिन से नहीं आया। बता दें कि राम बहादुर कानपुर के होलीसराय के रहने वाले थे और दिल्ली के रामपुरा गंगोत्री कंपनी गोल्डेन पार्क में परिवार के साथ एक झुग्गी में रहते थे। मरहूम राम बहादुर के के परिवार में बीवी के अलावा 5 लड़कियां और 1 लड़का है।
पुलिस देखकर चली गई
मरहूम गार्ड के भतीजे बच्चन बिहारी बताते हैं कि कल रात में साढ़े आठ से नौ के बीच ये हादसा हुआ है। हमें रात 10 बजे पता चला कि पिलर गिर गया है। तब हम लोग अपने आदमी को ढूँढ़ने आये। तो देवाराम ने बताया कि वो तीन दिन से काम पर नहीं आया ।
बच्चन बिहारी बताते हैं कि हम लोग फिर सुबह आये सभी गाड़ियों में उसे सर्च किया वो कहीं दिखाई नहीं दिये। लेकिन हमारा दिल नहीं माना। क्योंकि सात बजे उनकी ड्यूटी खत्म होते ही वो वापस अपनी झुग्गी में जाते थे पानी भरते थे। लेकिन आज जब वो पानी भी लेने नहीं गये तो हम लोगों के मन में घबराहट हुई कि आये नहीं, तो कहां गये। फिर हम आठ दस लोग जो उनके साथ रहते हैं दोबारा से उनकी छान बीन करने आये। बारी-बारी से सारी गाड़ियों में चेक किया। एक पुल के नीचे एक मच्छरदानी पड़ी थी। उसे देखकर हमें शक़ हुआ कि कुछ न कुछ ज़रूर है। हमने मच्छरदानी फाड़ा तो उसके नीचे एक कंबल दिखाई दिया। अंदर देखे झांककर तो उनका पैंट दिखा। हमने उससे पहचाना कि वही हैं दबे पड़े हैं।
बच्चन बिहारी बताते हैं कि हमसे पहले पुलिस वाले आये थे यहां सुबह करीब सात बजे। लेकिन उन लोगों ने कहा कि कुछ नहीं है यहां केवल पिलर गिरा है।
बच्च्न बिहारी बताते हैं कि चाचा की लाश मिलने के बाद हम ने फिर पुलिस को बुलाया तो करीब दोपहर 12 बजे पुलिस उनकी डेडबॉडी निकालकर ले गयी। मरहूम की बीवी को शक्ल तक नहीं देखने दिया। पैर को छोड़कर उनका पूरा शरीर पुल के नीचे दबा था। उनकी बॉडी पूरी पिचक गई थी।
स्थानीय लोगों में गुस्सा
स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि पिछले 3 साल से पिलर लकड़ी के गुटके पर टिका था। इससे और बड़ा हादसा भी हो सकता था।
(दिल्ली से अवधू आज़ाद की रिपोर्ट।)
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