झारखंड के बोकारो के चीरा चास में अवस्थित वास्तु विहार फेज-1 में रहने वाले बीएसएल के अवकाश प्राप्त अधिकारी 75 वर्षीय अखिलेश्वर प्रसाद ने 10 जुलाई को पहले पत्नी मंजू प्रसाद (70 वर्ष) के हाथ की नस काटा, फिर खुद का गला रेता। 11 जुलाई की सुबह 9.30 बजे जब नौकरानी उनके फ्लैट पहुंची तो दोनों को खून से लथपथ देख चीखती-चिल्लती बाहर निकली, तब जाकर पड़ोसियों को जानकारी हुई। उन्होंने पुलिस को सूचना दी, मौके पर पुलिस ने पाया कि अखिलेश्वर प्रसाद जिन्दा हैं और उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है। फिर भी पुलिस ने दोनों को बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने मंजू प्रसाद को मृत घोषित किया और अखिलेश्वर प्रसाद को आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कराया।
बता दें कि 2005-6 में बोकारो स्टील प्लांट से अखिलेश्वर प्रसाद रिटायर हुए थे। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं। दो बेटे नोएडा में रहते हैं, जबकि एक बेटा अहमदाबाद में रहता है। बेटी बनारस ससुराल में रहती है। अखिलेश्वर प्रसाद को आर्थिक रूप से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन हमेशा अकेले रहते थे। बताया जाता है कि उनके बच्चे पिछले 8 साल से उनसे मिलने नहीं आए थे। घटना की जानकारी मिलते ही दूसरे दिन नोएडा व अहमदाबाद से उनके तीनों बेटे पहुंचे और उन्होंने मंजू प्रसाद का अंतिम संस्कार किया।
अखिलेश्वर प्रसाद की हालत में सुधार है, उनका इलाज चल रहा है, वहीं उनकी पत्नी मंजू प्रसाद का अंतिम संस्कार चास के गरगा श्मशान घाट में उनके तीनों पुत्रों के अलावे रिश्तेदारों ने कर दिया। उनके पुत्र राजीव रंजन, संजीव कुमार और राकेश कुमार के अलावा उनके दामाद समेत कई लोग अंतिम संस्कार में मौजूद रहे। इधर, चास पुलिस भी घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी में जुट गई है। बीजीएच अस्पताल में इलाजरत अखिलेश्वर प्रसाद का बयान भी सेक्टर-4 थाना से चास थाना पहुंच चुका है। अब पुलिस मृतका के पुत्रों से घटना को लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि ऐसे कौन से हालात हो गए थे जिसके चलते उनके माता-पिता ने आत्महत्या करने की कोशिश की, जिसमें उनकी मां की जान चली गई? पुलिस मामले को लेकर हर बिंदु पर जांच कर रही है। अखिलेश्वर प्रसाद के फ्लैट के आसपास रहने वाले लोगों का बयान भी लेने की कोशिश में पुलिस जुटी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि बुजुर्ग की मानसिक हालत कैसी थी? हालांकि, आस पास के लोग अभी इस घटना को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
अखिलेश्वर प्रसाद ने बोकारो जनरल अस्पताल में सेक्टर-4 के थाने की पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि वह अपनी पत्नी मंजू प्रसाद की बीमारी से परेशान थे। उनका खुद का शरीर भी लाचार हो गया था। पत्नी के बीमार रहने की वजह से उन्हें घर का सारा काम करना पड़ता था, जिस वजह से उनका शरीर दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा था। इसी कारण वे जीवन से तंग आकर ही छूरी और ब्लेड से उन्होंने अपने दोनों हाथों के नस के साथ गला को काटकर आत्महत्या करनी चाही। लेकिन उनके दामाद का भाई उन्हें इलाज के लिए बीजीएच ले गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। घटना में किसी का कोई दोष नहीं है। बुजुर्ग के बयान से यह स्पष्ट है कि वह अपनी पत्नी की बीमार होने की वजह से पूरी तरह से मानसिक तनाव में थे, जो घटना का कारण बना। लेकिन, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उनकी पत्नी ने खुद ही अपने दोनों हाथों के नस काटे या फिर बुजुर्ग अखिलेश्वर प्रसाद ने? कई सवाल अभी भी अंधेरे में हैं, जो पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक माहौल की कहानी में छुपे हैं।
घटना के बाद वास्तु विहार फेज-1 में रहने वाले लोगों में दहशत देखी जा रही है। 11 महीने के अंदर वास्तु विहार के फेज-1 के दो आमने-सामने वाले ब्लॉक में दो सुसाइड हो चुके हैं। बीते 8 सितंबर को ओम प्रकाश साव की पत्नी वंदना देवी (25) ने 12 बजे दिन पहले ही अपने कमरे में फांसी लगाकार जान दे दी थी। यह घटना कॉलोनी में उन दिनों चर्चा में रही। उसके बाद यह दूसरी बड़ी घटना हुई, जिसमें एक फ्लैट में रहने वाले बुजुर्ग दंपति ने जान देने की कोशिश की, जिसमें 70 वर्षीय महिला मंजू प्रसाद की मौत हो गई। इस घटना ने पूरी कॉलोनी के लोगों को दहशत में डाल दिया है। पूरी कॉलोनी में सन्नाटा पसरा हुआ है।
कहा जा रहा है कि वैसे तो इन बुजुर्ग दम्पति को किसी तरह की कोई आर्थिक परेशानी नहीं थी। उनके पास नकदी सहित लाखों की चल अचल संपत्ति है। एक बेटा एनएचआई का डायरेक्टर है, जबकि दो बेटे आईटी सेक्टर में हैं। जाहिर है उनकी भी कमाई लाखों में होगी। तो फिर इनके द्वारा आत्महत्या करने के पीछे की असली वजह क्या है? बताया जाता है उनके बच्चे पिछले 8 साल से उनसे मिलने नहीं आए थे। जीवन के अंतिम पड़ाव में बेटों, बहुओं व पोते-पोतियों से दूरी, अकेलापन और अवसाद ने शायद इस रिटायर्ड बीएसएल कर्मी अखिलेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी मंजू प्रसाद को तोड़कर रख दिया होगा।
पत्नी के लकवाग्रस्त होने के बाद अखिलेश्वर प्रसाद की जिंदगी पहाड़ सी हो गई थी।
इस तरह की स्थिति क्यों पैदा होती हैं? के सवाल पर जब बोकारो सदर अस्पताल के एक मनोचिकित्सक डा. प्रशांत मिश्र से बात की तो उन्होंने कहा कि आदमी जब अवसाद की मन:स्थिति में होता है, तो ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है। बेसिक बात यह है कि 50 की उम्र के बाद से इसे हम इन्वॉल्यूशनल मेल इन कोरिया कहते हैं। क्योंकि धीरे-धीरे हारमोन्स की कमी होने लगती है, शारीरिक क्षमता में कमी होने लगती है और अवसाद बढ़ता जाता है। शायद ऐसी ही स्थिति के शिकार थे वे।
(बोकारो से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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