‘मैं भी समझती हूं, मुझे मत इस कदर भ्रमित करो’

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मित्र के बुलाने पर मैं उनके घर गया। उन्‍हें अपनी विवाह योग्‍य बेटी के लिए लड़का देखने जाना था। मुझे भी अपने साथ लेकर जाना चाहते थे। जब मैं उनके घर पहुंचा तो मित्र बाथरूम में नहाने गए हुए थे। भाभी जी मिलीं। उन्‍होंने मुझे ड्राईंग रूम में बैठने को कहा और खुद किचन में चाय बनाने चली गईं।

मैं टेबल पर रखा अखबार पढ़ने लगा। अखबार में महाराष्‍ट्र के चुनाव के मद्देनजर भाजपा का संकल्‍प पत्र और महाविकास अघाड़ी का ‘महाराष्‍ट्रनामा’ छाए हुए थे। साथ ही झारखंड की खबरें थीं।

भाभीजी चाय लेकर आईं और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गईं। चाय की च‍ुस्कियों के साथ हम लोग बातें करने लगे।

मैंने बातचीत शुरु करते हुए कहा – ”और सुनाइए भाभी जी, क्‍या हाल हैं?”

” भाई साहब, क्‍या बताऊं, एक तो इस बेतहाशा बढ़ती हुई महंगाई से परेशान हूं। घर का बजट बिगड़ रहा है। अब इंसान रोटी, दाल, चावल, सब्‍जी तो खाएगा ही। खाने-पीने की रोजमर्रा की चीजें आटा, दाल, सब्जियां, मसाले, तेल आदि इतनी महंगी हो रखी हैं कि क्‍या खाएं क्‍या न खाएं। कहां बचत करें समझ नहीं आ रहा है।’’

”मैंने कहा, आप सही कह रही हैं। महंगाई ने आम जनता का बजट बिगड़ कर रख दिया है। लेकिन देखिए महाराष्‍ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, पर महंगाई पर किसी राजनीतिक दल का फोकस नहीं है। अखबार की सुर्खियों को ही देखिए।

महाराष्‍ट्र में भाजपा ने अपना संकल्‍प पत्र जारी किया है, जिसमें भाजपा कह रही है कि लड़की बहन योजना की सहायता राशि 1,500 से बढ़ाकर 21,00 रुपये कर देंगे। 10 लाख छात्रों को हर माह 10,000 रुपये वजीफा देगें। कम आय वाले परिवार वालों को हर माह मु्फ्त राशन देने का भी वादा कर रही है। 

2027 तक 50 लाख लखपति दीदी बनाने और 500 स्‍वयं सहायता समूहों का ओद्योगिक कलस्‍टर बनाने और 1000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक कोष प्रदान करने के लुभावने दावा कर रही है।

दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी अपने महाराष्‍ट्रनामा घोषणापत्र में पांच गारंटी दे रही है, जिसमें महिलाओं को हर माह 3,000 रुपये, 18 वर्ष की आयु होने पर हर बेटी को एक लाख रुपये, नौ से सोलह वर्ष की लड़किेयों के लिए सर्विकल कैंसर के मुफ्ट टीके, मासिक धर्म के दौरान दो वैकल्पिक अवकाश और फ्री बस सेवा का दावा कर रही है।

इधर झारखंड में भाजपा 2.85 लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का वादा कर रही है। घुसपैठियों की पहचान के लिए कमिटी गठित कर उनकी पहचान कर उन्‍हें झारखंड की सरहद के बाहर करेगी, कह रही है। बकौल भाजपा वे आदिवासियों की नौकरी खा रहे हैं।

उनकी रोटी, बेटी और जमीन हड़प रहे हैं। भाजपा वादा कर रही है कि सभी का निशुल्‍क बालू देगी। महिला जमीन-मकान खरीदेगी तो उसे स्‍टांप शुल्‍क नहीं देना होगा।

धान का समर्थन मूल्‍य 3100 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाएगा। विधवा, दिव्‍यांग आदि को 2500 रुपये पेंशन देंगे। झारखंड में इंटर्नशिप ट्रेनिंग सेंटर खोले जाएंगे।

दूसरी ओर कांग्रेस ने तो एक वोट सात गारंटी का ऐलान किया गया है। इसमें दस लाख युवाओं को रोजगार और पन्‍द्रह लाख का स्‍वास्‍थ्‍य बीमा की जानकारी दी गई है। इसके अलावा 1932 आधारित खातियान, मेईया सम्‍मान, सामाजिक न्‍याय, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और किसान कल्‍याण की गारंटी भी शामिल है।

झामुमो का अधिकार पत्र दलितों का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की घोषणा करता है। पिछड़ाें को 27 प्रतिशत और आदिवासियों को 28 प्रतिशत आरक्षण का नियम बनाने की बात करता है। उसने इंडिया गठबंधन के एक वोट सात गारंटी के वादों को भी समाहित किया है।

अब देखिए महाराष्‍ट्र की हो या झारखंड की जनता कन्‍फ्यूज तो होगी ही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं ‘देश को बांटना चाहते हैं राष्‍ट्र विरोधी।’ उनका कहना है कि राष्‍ट्र विरोधी अपने स्‍वार्थ के लिए समाज को जाति, धर्म, भाषा, पुरूष-महिला, गांव-शहर के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका निशाना कांग्रेस और मुसलमानों पर होता है पर वास्‍तविकता यह है कि उनकी पार्टी और धर्म के लोग ही ये सब कर रहे हैं। ऐसे में वे राष्‍ट्र विरोधी किसे कह रहे हैं। कन्‍फ्यूजन है।

महाराष्‍ट्र के उपमुख्‍यमंत्री देवेंद्र फणनवीस तो एक कदम और आगे बढ़ कर ‘वोट जिहाद’ और ‘हिंदू धर्म के लिए युद्ध’ जैसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। समझ नहीं आ रहा है कि वे चुनाव लड़ रहे हैं या धर्मयुद्ध?’’

भाभी जी बोलीं, ”भाई साहब, इनका मकसद एक ही है कि मुसलमानों को छोड़कर बाकी सारे हिंदू एक होकर इनको वोट दे दो। इनको चुनाव जितवा दो। बाकी आप जानते ही हो कि इनकी करनी और कथनी में फर्क होता है।

ये जनता के खाते में पन्‍द्रह लाख रुपये डलवाने हर साल दो करोड़ लोगों को राेजगार देने के जुमले उछालते हैं पर कार्यान्‍वयन नहीं करते हैं। खुद झूठ बोलते हैं और विपक्षि‍यों पर झूठ बोलने का आरेाप लगाते हैं।

अब देखिए कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्‍या गलत कह दिया कि ‘बंटेंगे कटेंगे’ जैसे नारे आतंकी बोलें तो सही भी है। साधु-संतों की यह भाषा नहीं होनी चाहिए। इस पर न केवल भाजपा बल्कि साधु समाज भी नाराज हो गया। इससे उनकी आस्‍था को ठेस पहुंच गई।

अखिल भारतीय संत समि‍ति के महामंत्री स्‍वामी जितेंद्रानंद सरस्‍वती ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि अगर वह हिंदू धर्म और सनातन संस्‍कृति पर हमले करना बंद नहीं करते तो संत समाज इसका कड़ा प्रतिकार करेगा। वह सनातन धर्म पर प्रहार करना छोड़ दे।

अयोध्‍या के संत करपात्री जी महाराज ने कहा है खड़गे के नाम में ‘खड़ग’ होता है जिसका काम होता है बांटना और काटना, जबकि याेगी आदित्‍यनाथ का नाम ‘योग’ से जुड़ा है, जिसका मतलब होता है जोड़ना। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा हिंदू धर्म पर हमला करने वालों का समर्थन किया है।

अब बताइए, इन संतों ने मल्लिकार्जुन खड़गे जी की येागी जी के नारे पर की गई टिप्‍पणी को अपने धर्म से जोड़ दिया। और अपनी आस्‍था पर ठेस पहुंचाने वाली बता दिया।’’

तब तक मित्र नहाकर निकल आए और भाभी जी से बोले- ”रीना, मैंने कल अपने कुछ बीमा पॉलिसी वाले दोस्‍तों को तुम्‍हारे पास भेजा था। पॉलिसी करवा ली क्‍या?”

इस पर भाभी जी तुनक कर बोलीं-‘’भाई साहब, मैं तो इनके बीमा पोलिसी वाले दोस्‍तों से परेशान हूं। कोई कहेगा भाभी जी हमारी पॉलिसी ले लो, इसमें ये फायदा है, दूसरा कहेेगा, मेरी वाली पॉलिसी ज्‍यादा फायदेमंद है, तीसरा कहेगा हमारी पॉलिसी सबसे अच्‍छी है। हमारी पॉलिसी चुन लो।

हर व्‍यक्ति एक दूसरे की पॉलिसी में कमियां बताता है। उनकी कटु आलोचना करता है। और एक तरह से वे मुझे डिजिटल अरेस्‍ट करके तुरंत जबाव मांगते हैं। अरे भई, मैं एक अध्‍यापिका हूं। मेरी भी समझ है। मैं कहती हूं कि बाद में सोच के बताऊंगी तो बुरा-सा मुंह लेकर चले जाते हैं।’’

”समझ सकता हूं भाभी जी, जब तीन-तीन लोग अपनी-अपनी पॉलिसी की विशेषताएं बताते होंगे तो आप कन्‍फ्यूज हो जाती होंगीं।”

‘’ भाई साहब, वो तो अपने फायदे के लिए कुछ भी बोलते हैं। मुझे भ्रमित करते हैं। पर मैं किसी पर भी आंख मूंंद कर क्‍यों विश्‍वास कर लूं। मैं भी सोचूंगी, समझूंगी। स्‍व-विवेक से निर्णय लूंगी। फिर जो ठीक लगेगा उसे चुनूंगी..।” मुझे लगा भाभी जी अपनी बात ही नहीं कह रहीं बल्कि महाराष्‍ट्र और झारखंड की जनता की ओर से भी कह रही हैं।

(राज वाल्मीकि सफाई कर्मचारी आंदोलन से जुड़े हैं)

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