Friday, April 19, 2024

इफको में तीन महीने में दो बड़े हादसे में 5 मरे, मानवीय चूक की आशंका?

प्रयागराज में सार्वजनिक क्षेत्र और सहकारी क्षेत्र की कम्पनियों में मात्र फूलपुर स्थित इफको फर्टिलाइजर कम्पनी ही एकमात्र कम्पनी है जो सफलतापूर्वक चल रही है और आईटीआई नैनी, बीपीसीएल और त्रिवेणी स्ट्रक्चरल जैसी भीमकाय कम्पनियां या तो बिकने के कगार पर हैं या अंतिम सांसे ले रही हैं। लेकिन इफको पर पता नहीं किसकी नजर लग गयी है कि यहाँ तीन महीने में दो बड़े हादसे हो गये जिनमें दो अधिकारीयों सहित पांच लोगों की मौत हो गया और कई दर्जन घायल हो गये। दोनों हादसों में इस बात की पूरी आशंका है कि ये मानवीय चूक का परिणाम हो सकता है? 

‌‌प्रयागराज जिले के फूलपुर में स्थित इफको फर्टिलाइजर कंपनी में मंगलवार 23 मार्च को अपरान्ह लगभग एक बजे वार्षिक देखरेख के लिए चल रहे प्लांट शटडाउन के बीच बॉयलर फटने से बड़ा हादसा हो गया जिसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी व कई अन्य कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।। इसी हादसे में घायल तीसरे मजदूर वेणुगोपाल पुत्र परमेश्वरी ग्राम दिलीपपुर टांडा जनपद बरेली की इलाज के दौरान शुक्रवार को मौत हो गई। इस वक्त हादसे की चार जाँचे चल रही हैं और पुलिस अपराधिक मुकदमा दर्ज करके विवेचना कर रही है लेकिन न तो पुलिस न जांच टीम अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई हैं।

दरअसल इफको का गैस आधारित यूरिया प्लांट पूरी तरह स्वचालित है जिसका नियन्त्रण कम्प्युटरों द्वारा बंद कक्ष के बहतर से किया जाता है। यदि कक्ष में तैनात कर्मी सावधानी से कार्य करें तो प्लांट की किसी गड़बड़ी को केवल कुछ बटनों को दबा देने से किया जा सकता है। इसे देखते हुए इस बात की पूरी आशंका है कि इफको हादसा मानवीय चूक का परिणाम हो सकता है? इसके पहले दिसंबर में अमोनिया लीक की जो घटना हुई थी जिसमें इफको के ही दो अधिकारी दम घुटने से मर गए थे की जाँच भी अभी लम्बित है।

इफको हादसे की सरकार द्वारा गठित तीन हाई पावर कमिटी भी जांच कर रही है, जिसमें एक बॉयलर निदेशक कार्यालय से गठित की गई है दूसरा उप श्रम आयुक्त सहित कारखाना निदेशक द्वारा गठित की गई है तथा तीसरी जिला प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है। इन सारी जांचों के अलावा इफको प्रबंध तंत्र अपनी एक आंतरिक जांच कमेटी गठित कर रखी है जिसमें एक महाप्रबंधक और एक मुख्य प्रबंधक शामिल हैं।

दरअसल इफको हो या किसी भी  जगह कोई  हादसा हो तो जांच टीम बैठा दी जाती है और कुछ दिन के बाद मामला खामोशी बस्ते में डाल दिया जाता है। इस बार की घटना मैं तो स्पष्ट रूप से लापरवाही और मानवीय चूक दिखलाई पड़ रही है जबकि दिसंबर में जो घटना हुई थी वह रात में हुई और अमोनिया के लीक होने के कारण से हुई थी। जिसमें इफको के ही दो अधिकारी दम घुटने से मर गए थे इस बार की घटना 3 महीने बाद हुई और भरी दुपहरी में हुई जब मजदूर खाना खा रहे थे। इफको के दो अधिकारियों के मरने के बाद मचे हंगामे में सत्तारूढ़ दल के विधायक और एमपी ने भी आकर के यहां कोहराम मचाया और मृतक आश्रित के दोनों परिवारों को स्थाई रूप से नौकरी देने का प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने फरमान जारी किया।

आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट में उस समय ड्यूटी पर जो तैनात थे उनकी ही लापरवाही पाई गई थी। लेकिन उन दोनों अधिकारीयों  की मौत हो गए थे जिससे मानवीय दृष्टिकोण से यह बताया गया था की उन्होंने अथक प्रयास किया लेकिन अमोनिया लीक को समय रहते नहीं रोक पाए और स्वयं अपनी जान गवा बैठे जिसके कारण से उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई । दो वर्ष से प्लांट को वार्षिक मरम्मत में नहीं लिया गया था लेकिन इसके बाद  तत्काल वार्षिक साफ-सफाई और मरम्मत करने का निर्णय हुआ। लेकिन शटडाउन के बीच में ही पुनः यह हादसा हो गया, जिसकी किसी को भी आशंका नहीं थी।

दरअसल कि गैस आधारित यह प्लांट में यहां उसी से ही बिजली बनाने का भी कार्य होता है। पावर प्लांट में चार बॉयलर से इस स्टीम दिया जाता। वार्षिक मरम्मत का कार्य चलने के कारण चुकी उत्पादन नहीं हो रहा था। नतीजतन तीन बॉयलर बंद कर दिए गए थे और मात्र एक बॉयलर चल रहा था। जो बॉयलर चल भी रहा था वह नया था, जिससे उसमें कोई खराबी होने की आशंका भी नहीं थी इसके बावजूद कैसे बॉयलर फटा और प्रेशर कैसे अधिक हुआ यह जांच का विषय है।

अब या तो उस समय ड्यूटी पर तैनात रहे लोगों से कहीं न कहीं लापरवाही हुई अथवा  सेफ्टी पॉइंट को बाईपास कर दिया गया। जिससे यह  हादसा हो गया। जानकार लोगों का यह भी कहना है कि सेफ्टी के बाईपास होने के कारण से ही यह विस्फोट हुआ जबकि सेफ्टी के उपकरण तीन स्तर पर काम करता है। पहला प्रेशर अधिक होने के कारण वाल्व उड़ता है, दूसरा प्लांट ट्रिप हो जाता हैं। पूरा प्लांट कंप्यूटराइज होने के कारण कंट्रोल रूम में बैठे लोगों से अगर जरा सी भी लापरवाही हुई और उन्होंने ध्यान नहीं दिया तो ऐसे हादसे होना स्वाभाविक हो जाता है। जांच कमेटी भी इसी चक्कर में फंसी हुई है कि सुरक्षा उपकरणों के लगे होने के बावजूद हादसा क्यों हुआ जिसका प्रथमद्रष्टया एक कारण मानवीय चूक नज़र आ रहा है । सुरक्षा नियमों और उपकरणों को बाईपास करके बॉयलर चलाये जाने की जाँच चल रही है।

उल्लेखनीय है कि संस्था के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी का स्पष्ट निर्देश हैं कि शत-प्रतिशत सेफ्टी और सुरक्षा का पालन जरूरी है भले ही उत्पादन क्यों ना कम हो जाय लेकिन सुरक्षा और सेफ्टी का उल्लंघन किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि पैसे की क्षति की भरपाई तो की जा सकती है लेकिन मानवीय क्षति होने पर उसकी पूर्ति नहीं हो सकती और संस्था के लिए वह एक कलंक हो जाता है। इसके बावजूद भी यहां के प्रबन्धतंत्र ने दो वर्ष से वार्षिक रख रखाव का काम क्यों नहीं किया था? इसका जवाब स्थानीय प्रबन्धतंत्र के पास नहीं हैं।

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