Friday, April 19, 2024

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव को 1000 करोड़ रुपये की मानहानि नोटिस भेजकर 15 दिन में मांगा जवाब

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) उत्तराखंड ने रामदेव को 1000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। नोटिस में रामदेव से अगले 15 दिन में उनके बयान का खंडन वीडियो और लिखित माफी मांगने को कहा गया है।

नोटिस में कहा गया है कि रामदेव अगर 15 दिन के अंदर खंडन वीडियो और लिखित माफी नहीं मांगते हैं तो उनसे 1000 करोड़ रुपये की मांग की जाएगी। इसके अलावा रामदेव से 72 घंटे के अंदर कोरोनिल किट के भ्रामक विज्ञापन को सभी स्थानों से हटाने को कहा है। जहां यह दावा किया गया है कि कोरोनिल कोविड वैक्सीन के बाद होने वाले साइड इफेक्ट पर प्रभावी है।

जबकि कल 25 मई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उत्तरांचल ब्रांच ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र भेजकर रामदेव के एलोपैथिक चिकित्सा पेशे और चिकित्साकर्मियों के खिलाफ दिए गए बयानों को लेकर आपत्ति जताया है। पत्र में कहा गया कि, महामारी वाले संकट के इस दौर में रामदेव ने डॉक्टरों के कर्तव्य को धता बताते हुए उनका मजाक उड़ाया। रामदेव ने जो किया है, उसके लिए उन पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए।

रामदेव ने एलोपैथी को बताया था स्टुपिड व दिवालिया साइंस  

गौरतलब है कि हाल ही में रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें रामदेव ने कहा था कि एलोपैथी ऐसा स्टुपिड और दिवालिया विज्ञान है कि पहले क्लोरोक्वीन फेल हुई, फिर रेमडेसिविर, एंटीबायोटिक व स्टेरायड दवाएं भी फेल हो गईं। प्लाज्मा थेरेपी पर भी प्रतिबंध लग गया और आइवरमेक्टिन भी फेल हो गई। लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा खाने से हुई है, जितने मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी और अस्पताल नहीं जाने से हुई है उससे अधिक मौत एलोपैथी की दवाएं खाने से हुई हैं।

सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में पहले रामदेव एलोपैथी को ‘एक स्टुपिड’ और ‘दिवालिया साइंस’ बताते हैं और फिर आगे मोबाइल में पढ़ते हुये कहते हैं, – “पहले फ्लोरोक्वीन फेल हुई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर इनके एंटीबायोटिक्स फेल हो गए, फिर स्टेरॉयड इनके फेल हो गए, प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी बैन लग गया। बुखार के लिए जो फेविफ्लू दे रहे थे, वो भी फेल हो गया। जितनी भी दवाइयां दे रहे हैं। ये तमाशा हो क्या रहा है?

आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन से कार्रवाई की मांग की थी

डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव के बयान को लेकर 22 मई शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी करके केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग की थी कि या तो आप रामदेव के आरोपों को मानते हुए आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को खत्म कर दें या फिर उनके ऊपर महामारी रोग अधिनियम (Epidemic Diseases Act) के तहत मामला दर्ज किया जाए और मुक़दमा चलाया जाये। शनिवार को अपने बयान में आईएमए ने कहा था कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुक़दमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘अशिक्षित’ बयान ‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक ख़तरा है और साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं।

आईएमए ने अपने बयान में धमकी देते हुए कहा है कि अगर रामदेव के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वे क़ानूनी कार्रवाई करने पर मजबूर हो जाएंगे। भारत की शीर्ष मेडिकल संस्था ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि बाबा रामदेव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित योगगुरु होने के साथ ही वे एक दवा कंपनी से भी जुड़े हैं और जनता को गुमराह करने के मक़सद से कई बार उन्हें अपनी दवा कंपनी के उत्पादों के बारे में झूठ बोलते देखा गया है। 

आईएमए ने अपने बयान में दावा किया कि रामदेव ने कहा कि भारत के Controller General of Medicine द्वारा स्वीकृत रेमडेसिविर, फेवीफ्लू और सभी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों के इलाज में विफल हो गई हैं। आईएमए ने कहा, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (हर्षवर्धन), जो खुद आधुनिक चिकित्सा एलोपैथी के डॉक्टर रह चुके हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख हैं, वे या तो इन सज्जन की चुनौती और आरोप स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा की सुविधा भंग कर दें या ऐसी अवैज्ञानिक बातों से लाखों लोगों को बचाने के लिए उन पर महामारी क़ानून के तहत मुक़दमा दर्ज करें।

हर्षवर्धन ने जताया था ऐतराज़ 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा रामदेव पर कार्रवाई की मांग करने के एक दिन बाद 23 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने राम देव को पत्र लिखकर एलोपैथी दवाओं पर रामदेव के बयान को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनसे बयान वापस लेने को कहा था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट करके कहा था कि “एलोपैथी पर आपका (रामदेव) बयान स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल तोड़ सकता है, कोविड-19 के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई कमजोर हो सकती है। रामदेव को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि “संपूर्ण देशवासियों के लिए कोविड-19 के ख़िलाफ़ दिन-रात युद्धरत डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मी देवतुल्य हैं। बाबा रामदेव जी के वक्तव्य ने कोरोना योद्धाओं का निरादर कर, देशभर की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाया है।”

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के हस्तक्षेप के बाद रामदेव ने मांगी माफी

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के हस्तक्षेप के बाद रामदेव ने रविवार 23 मई को ही स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर अपना बयान वापस लेते हुये खेद व्यक्त किया था।

रामदेव ने डॉ. हर्षवर्धन के नाम लिखे पत्र में कहा था कि वो हर चिकित्सा पद्धति का सम्मान करते हैं। रामदेव ने वायरल वीडियो मामले में सफाई देते हुये कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन में वॉट्सअप मैसेज को पढ़ा था। फिर भी अगर किसी को उनके उस बयान से परेशानी हुई तो उन्हें खेद है। स्वास्थ्य मंत्री के पत्र के साथ अपना पत्र पोस्ट करते हुए बाबा रामदेव ने ट्विटर पर लिखा कि “माननीय श्री डॉ हर्षवर्धन जी आपका पत्र प्राप्त हुआ। उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्धतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेद पूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापस लेता हूं और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं। अब इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि आईएमए और बाबा रामदेव के बीच चल रहा विवाद शांत हो जाएगा।”


पहले माफी और फिर खुराफ़ात

23 मई को माफी मांगने के अगले ही दिन यानि 24 मई को रामदेव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नाम खुला खत जारी करके आईएमए और फार्मा कंपनी से 25 प्रश्न पूछे थे। ये एक तरह से विवाद को आगे बढ़ाने के लिये ही एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया था। रामदेव के ये 25 सवाल न सिर्फ बचकाना थे जैसे कि रामदेव ने पूछा कि क्या फार्मा कंपनी पर ऐसी कोई दवा है जिससे कोरोना संक्रमण के मरीज का बिना ऑक्सीजन सिलिंडर के ऑक्सीजन बढ़ जाए। रामदेव ने पूछा कि अगर एलोपैथी सर्वशक्तिमान और सर्वगुण सम्पन्न है तो फिर एलोपैथी के डॉक्टर तो बीमार होने ही नहीं चाहिए?

रामदेव ने अपने माफीनामा को झुठलाते हुये निम्न बेतुके सवाल आईएमए से पूछे थे-

1-ऐलोपैथी के पास हाइपरटेंशन (बीपी) व उसके कॉम्प्लिकेशंस के लिए निर्दोष स्थायी समाधान क्या है?

2-ऐलोपैथी के पास टाईप-1 व टाईप- 2 डायबिटीज व उसके कॉम्प्लिकेशंस के लिए पर्मानेंट सॉल्यूशन क्या है?

3-ऐलोपेथी के पास फैटी लिवर, लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस को क्योर करने के लिए मेडिसिन क्या है जैसे आपने टीबी व चेचक आदि का स्थायी समाधान खोजा है वैसे ही लिवर की बीमारियों का समाधान खोजिए, अब तो ऐलोपैथी को 200 साल हो गए हैं।

4-फार्मा इंडस्ट्री में हार्ट के ब्लॉकेज को रिवर्स करने का उपाय क्या है, बिना बाईपास के, बिना ऑपरेशन के व एंजियोप्लास्टी के स्थायी समाधान क्या हैं?

5-फार्मा इंडस्ट्री में इनलार्ज हार्ट और इंजेक्शन फेक्शन कम होने पर बिना पेसमेकर लगाए, कौन सा इलाज है जिससे हार्ट का साइज और फंक्शन नॉर्मल हो जाए। कैसे उसे रिवर्स कर सकते हैं, बिना पेसमेकर के उसका निर्दोष इलाज क्या है?

6-कॉलेस्ट्रॉल के रोगियों में कॉलेस्ट्रॉल ट्राइग्लिसराइड्स कम करने का और लीवर पर साइड इफेक्ट रहित एलोपैथी में इलाज क्या है?

7-क्या फार्मा इंडस्ट्री के पास सिरदर्द और माइग्रेन का कोई परमानेंट सॉल्यूशन है, जिसके बार-बार सिरदर्द और माइग्रेन ना हो। एक बार दवा खाए और परमानेंट सिरदर्द, माइग्रेन बंद हो जाए।

8-फार्मा इंडस्ट्री में आंखों का चश्मा उतारने का और हियरिंग एड हट जाए, इसका कोई निर्दोष इलाज बता दें?

9-पायरिया होने पर जिससे कि दांत हिलना बंद हो जाए, मसूड़े मजबूत हो जाएं ऐसी कोई निर्दोष दवाई बताएं?

10-एक आदमी का रोज कम से कम आधा से 1 किलो वजन कम हो जाए बिना सर्जरी के बैरियाट्रिक सर्जरी और लापोसेक्शन के, बिना किसी छेड़छाड़ के, दवाई खाए और वजन घट जाए, क्या फार्मा इंडस्ट्री में कोई ऐसी दवा है?

11-सोरायसिस, सोरायटिक अर्थरायटिस व सफेद दाग का कोई निर्दोष स्थायी समाधान बताएं?

12-मॉडर्न मेडिकल साइंस में एंक्लोजिंग स्पैंडिलायसिस का स्थायी समाधान क्या है? आरए फैक्टर पॉजिटिव को नेगेटिव करने का उपाय क्या है?

13-ऐलोपैथी के पास पार्किसन का निर्दोष स्थायी समाधान क्या है?

14-साइड इफेक्ट रहित कब्ज, गैस, ऐसीडिट का फार्मा इंडस्ट्री के पास स्थायी समाधान क्या है?

15-अनिद्रा, लोगों को नींद नहीं आती है, क्योंकि आपकी दवा 4 से 6 घंटे तक ही असर करती है, वह भी साइड इफेक्ट के साथ, ऐलोपैथी में इसका कोई सॉल्यूशन?

16-स्ट्रेस हार्मोंस कम करने के लिए और हैपी या गुड हार्मोंस बढ़ाने के लिए, जिससे आदमी तनावमुक्त और प्रसन्न हो जाए। फार्मा इंडस्ट्री इसकी कोई दवा बताएं?

17-इन्फर्टिलिटी में बिना कृत्रिम साधनों, जो बहुत पेनफुल होती है, ऐलोपैथी में ऐसी कोई दवाई बताएं जिससे समस्या का समाधान हो जाए। जिससे बिना टेस्ट ट्यूब बेबी, आईवीएफ के नेचुरल तरीके से संतान हो जाए और व्यक्ति लाखों रुपये की लूट से बच जाए।

18-फार्मा इंडस्ट्री में ऐजिंग प्रॉसेस को रिवर्स करने वाली को निर्दोष दवा बताएं।

19-एलोपैथ में बिना साइड इफेक्ट के हीमोग्लोबिन बढ़ाने का निर्दोष तरीका बताए।

20-आदमी बहुत हिंसक, क्रूर और हैवानियत कर रहा है, उसके इंसान बनाने वाली एलोपैथ में कोई दवा बताएं।

21-आदमी के सारे ड्रग्स एडिक्शन, नशा छूट जाए, ऐसी कोई एलोपैथी में दवा बताएं।

22-एलोपैथी और आयुर्वेद के आपस में झगड़े खत्म करने की फार्मा इंडस्ट्री के पास कोई दवा हो तो बताएं।

23-फार्मा इंडस्ट्री में कोरोना पेशेंट को बिना ऑक्सीजन सिलिंडर ऑक्सीजन बढ़ाने का कोई उपाय बताएं।

24-पायरिया होने पर जिससे कि दांत हिलना बंद हो जाए, मसूड़े मजबूत हो जाए ऐसी कोई निर्दोष दवाई बताएं?

25-एलोपैथ सर्वशक्तिमान और सर्वगुण संपन्न है तो फिर एलोपैथी के डॉक्टर तो बीमार नहीं होने चाहिए।

रामदेव के 25 सवालों का जवाब देंगे जयेश लेले

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव जयेश लेले ने 25 मई मंगलवार को कहा कि वह रामदेव के 25 सवालों का दस्तावेजों के साथ जवाब देंगे। उनकी टीम इस पर काम कर रही है। उन्होंने साथ ही कहा कि वह रामदेव पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसके लिए कानूनी सलाह ली जा रही है। डॉक्टर लेले ने रामदेव पर हमला बोलते हुए कहा कि डॉक्टर दो साल से लगातार काम कर रहे हैं और रामदेव ने उनके ऊपर कीचड़ उछाला है। रामदेव के 25 सवालों पर डॉक्टर लेले ने कहा कि मैं डॉक्यूमेंट तैयार करूंगा। मैं अच्छी तरह से डॉक्यूमेंट के साथ में जवाब दूंगा। दुनिया भर में जो दवा चल रही हैं, पूरा दस्तावेज उनको भेजूंगा।

रामदेव द्वारा एलोपैथी को खराब चिकित्सा पद्धति बताये जाने पर डॉक्टर लेले ने पूछा कि रामदेव को बताना चाहिए कि उन्होंने कोरोना के कितने अस्पताल खोले हैं। उनके पास 500 बेड का भी अस्पताल नहीं है। डॉक्टर जयेश ने इसके साथ ही बाबा रामदेव की योग्यता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनके पास आयुर्वेद की क्या योग्यता है? वह एलोपैथी पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन क्या उन्होंने इसकी पढ़ाई की है?

उन्होंने आगे कहा कि उनकी पूरी टीम रामदेव के सवालों के ऊपर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हम उनके सभी सवालों के जवाब देंगे। आईएमए के डॉक्टर हमें फोन करके पूछ रहे हैं कि रामदेव किस तरह की हास्यास्पद बात कर रहे हैं।” डॉ. लेले ने कहा कि आज शाम को हम कानूनी राय लेंगे और उनके खिलाफ एफआईआर करवाई जाएगी। बाबा रामदेव ने अभी तक माफी नहीं मांगी है।

डॉक्टर लेले ने कहा कि डॉक्टर इतने व्यस्त हैं, 747 डॉक्टरों की पिछले साल मौत हुई, उन्होंने वैक्सीन ली ही नहीं थी। दूसरी लहर में 500 के करीब डॉक्टरों की जान गई है। रामदेव जो दावा कर रहे हैं, वह गलत है। उन्होंने रामदेव के दावे पर कहा, “पतंजलि की कोरोनिल खाकर लोग ठीक हो गए हैं, वह इस बात को इंटरनेशनल जर्नल में क्यों नहीं प्रकाशित करवा देते हैं”।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

Related Articles

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।