Saturday, April 20, 2024

यूपी में महिलाओं ने एक सुर में कहा- सूबे में गुंडाराज नहीं, संविधान का चलेगा राज

लखनऊ। यूपी में जारी महिलाओं के उत्पीड़न के ऐपवा ने आज प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया। इसके तहत जगह-जगह महिलाओं ने सड़क पर उतर कर पुलिस और महिलाओं के साथ हो रही सामंती और ब्राह्मणवादी उत्पीड़न की घटनाओं का पुरजोर विरोध किया। इस मौके पर लखनऊ में होने वाली मां-बेटी के आत्मदाह की घटना को प्रमुख मुद्दा बनाया गया था। इसके साथ ही अंबेडकरनगर से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक जारी दलित-महिला उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गयी। इलाहाबाद में ऐपवा का कार्यक्रम रोकने के लिए पुलिस ने उसके दफ्तर पर छापा मार दिया।

ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि पूरे देश और उत्तर प्रदेश में आज जब जनता महामारी के संकट से जूझ रही है ऐसी विषम परिस्थिति में भाजपा की सरकार में महिलाओं पर हिंसा के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं तब उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश (गुना) में महिलाओं के साथ उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मीडिया में यूपी की कानून व्यवस्था पर अपनी पीठ भले ही थपथपा लें लेकिन हाल में राजधानी लखनऊ में लोकभवन के सामने न्याय की मांग करने आई अमेठी की महिला द्वारा आत्मदाह की ह्रदयविदारक घटना यह दिखाती है कि इस सरकार में गरीबो की कोई सुनवाई नहीं है और उनके लिए न्याय के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं।

कृष्णा अधिकारी ने यह भी कहा कि योगी राज में दलितों, आदिवासियों की जमीन से बेदखली और सत्ता संरक्षण के बल पर उनके ऊपर पुलिस दमन पिछली सरकारों की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ा है। उन्होंने कहा कि लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर, अयोध्या, आजमगढ़, चंदौली, सोनभद्र में हाल ही में दलितों, पिछड़ो और आदिवासियों की हत्या और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं लेकिन थानों में उत्पीड़न की FIR तक दर्ज नहीं की जाती और न ही अपराधियों की गिरफ्तारी होती है। 

प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि योगी सरकार के पास अयोध्या में मंदिर निर्माण और उसके शिलान्यास के लिए करोड़ों का बजट है लेकिन पूरे प्रदेश में महामारी के दौरान भुखमरी, बेरोजगारी से जूझ रही जनता को देने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। कुसुम वर्मा ने यह भी कहा कि योगी ने संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद तो ग्रहण किया लेकिन महिलाओं पर हो रही हिंसा के आंकड़े बताते हैं कि उसे निभाने में वह पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। और अब तो आलम यह है कि सरकार खुद ही रोजाना उसकी अवहेलना कर रही है। 

प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन में ऐपवा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती राय और सह सचिव गीता पांडेय की नेतृत्वकारी भूमिका मे सम्पन्न हुआ।

यह कार्यक्रम, लखनऊ, इलाहाबाद, लखीमपुर, मथुरा, सीतापुर, बनारस, देवरिया, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, सोनभद्र, में आयोजित किया गया। 

इस मौके पर ऐपवा ने निम्ननिलिखित प्रस्ताव पारित किया-

• लखनऊ में न्याय मांगने आईं अमेठी की महिलाओं के आत्मदाह की ह्रदयविदारक घटना की ऐपवा निंदा करती है। ऐपवा जिंदगी से जूझ रही जख्मी सोफिया को उच्च मेडिकल सुविधा, हादसे में घायल उनकी बेटी गुड़िया के समुचित उपचार की मांग करती है। साथ ही अमेठी में उनके जमीनी विवाद में त्वरित न्याय की भी मांग करती है। 

• अयोध्या में थान हैदरगंज के ग्राम संवरधीर में सवर्ण सामन्ती ताकतों के द्वारा दलित महिलाओं के साथ अश्लील हरकत करने की और उल्टे दलितों पर फर्जी FIR दर्ज करने की ऐपवा कड़ी निंदा करती है। इस दौरान दोनों पक्षों में हुए विवाद में घायल दलित महिलाओं तथा उनके परिवारों के साथ ऐपवा संवेदना प्रकट करती है और उनके मेडिकल परीक्षण और समुचित उपचार की भी मांग करती है। इसी गांव में लंबे समय से अपनी वाजिब मजदूरी के लिए सँघर्ष कर रहे दलित परिवारों की मांग के साथ ऐपवा एकजुटता प्रदर्शित करती है।

• चंदौली जिले के चकिया ब्लाक में सत्ता समर्थित दबंग जिला पंचायत सदस्य महेन्द्र राव ने दो दलित महिलाओं को अर्धनग्न कर पिटवाया । लंबे संघर्ष के बाद FIR तो दर्ज हो गई लेकिन मुख्य आरोपी महेंद्र राव का नाम पुलिस ने प्राथमिकी में दर्ज नहीं किया है। ऐपवा इस घटना की तीखी निंदा करती है और दोनों महिलाओं के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए उनके मेडिकल कराने, समुचित उपचार कराने और मुख्य आरोपी के खिलाफ तत्काल नामजद FIR की माँग करती है।

• मिर्जापुर में ऐपवा नेता जीरा भारती पर यौन हमला करने वाले हमलावरों की गिरफ्तारी 20 दिन के बाद भी नहीं की गई है। ऐपवा मांग करती है कि तत्काल हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार किया जाए अन्यथा मिर्जापुर के डीएम औऱ एसएसपी को सस्पेंड किया जाए। 

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

Related Articles

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।