केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा को लेकर बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जा रहे हैं। इसका घोषित कारण तो आंखों का इलाज कराना है, पर मुख्यमंत्री की इस दिल्ली यात्रा का मकसद राजनीतिक बताया जा रहा है। चर्चा है कि इस बार जदयू को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलेगा, साथ ही बिहार भाजपा के कुछ मंत्री बदले जा सकते हैं। उधर रामविलास पासवान के निधन से खाली उनकी जगह को लेकर लोजपा में इस तरह घमासान मचा कि पार्टी ही टूट गई है। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी की एक फेसबुक पोस्ट से यह मामला गर्मा गया है।
दरअसल, आज के स्थानीय अखबारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा और केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर जदयू के दो बड़े नेताओं के बयान छपे हैं जो परस्पर विपरीत हैं। राजद नेता तिवारी ने इसी विपरीत बयानों को लेकर सवाल उठाया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी) ने कहा है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल के इस विस्तार में जदयू को स्थान मिलना तय है। इसे लेकर कोई भ्रम नहीं है। मंत्रिमंडल में शामिल होने में जदयू को कितना स्थान मिलेगा, यह मिल बैठकर तय कर लिया जाएगा। संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं है। भाजपा और जदयू का संबंध बहुत पुराना है, इसे लेकर रिश्ते में खटास नहीं आने दी जाएगी। खुद उनके मंत्री बनने की संभावना के बारे में प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जदयू कोटे से कौन मंत्री बनेगा, यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तय करेंगे। संसद सदस्यों की संख्या के अनुपात में जगह के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर चीज में फार्मूला नहीं होता। संख्या बल की बात अव्यवहारिक है, इससे आपसी रिश्ते में कटुता आती है।
उल्लेखनीय है कि संख्यानुपात में जगह पाने की मांग लेकर ही जदयू ने अब तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार किया है। अभी तक जदयू का घोषित स्टैंड यही रहा है। अब उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी इससे अलग बात कर रहे हैं। तब जदयू के दूसरे आला नेताओं के विचार महत्वपूर्ण हो जाते हैं। ऐसा ही विचार जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह के बयान में आया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार और जदयू का उसमें शामिल होना अटकलबाजी है और अटकलबाजी पर राजनीति नहीं होती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आंखों का इलाज कराने दिल्ली जा रहे हैं, इसका केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कथित विस्तार से कोई लेना-देना नहीं है।
राजद नेता शिवानंद तिवारी ने लल्लन सिंह के इसी बात को पकड़ा है और कहा है कि जदयू को जानने वाले लल्लन सिंह की बात को हल्के में नहीं ले सकते। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि एक बार पहले भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा हुई थी। तब रामचंद्र बाबू का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था। कुछ लोग इतने उत्साहित हुए कि उनके आवास पर भक्तों की भीड़ लग गई। फूल, माला, मिठाई उठाकर रखने वाले थक गए। पर हुआ कुछ नहीं। उस समय संभावना यही जताई गई कि जदयू को प्रतीकात्मक रूप से एक जगह मिल रही थी जिसके लिए नीतीश तैयार नहीं हुए।
इन दोनों बयानों में खास बात यह है कि दोनों नेता नीतीश के खासम खास हैं। दोनों राज्यसभा के सदस्य हैं। लेकिन एक ही मामले में दोनों के दो स्वर से भ्रम पैदा हो रहा है।
इधर, लोजपा से किसी की मंत्री बनने की चर्चा रामविलास पासवान के निधन के समय से ही चल रही है। रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस की नजर उस पर है। इधर, रामविलास के पुत्र चिराग पासवान तो इसे अपना पैतृक हक समझ रहे हैं। पशुपति पारस ने चिराग के खिलाफ विद्रोह करने और अन्य चार सांसदों के साथ मिलकर अलग गुट बनाकर पार्टी पर ही दावा ठोक दिया है। अब गेंद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पाले में है। वे जिसे मंत्री बनाएंगे, असली लोजपा का प्रतिनिधि उसे ही मान लिया जाएगा।
इस तरह अगर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में अगर अभी विस्तार हुआ तो उससे बिहार की दो गैर-भाजपा पार्टियों की राजनीति की दिशा भी तय होनी है। यही नहीं, बिहार में लगातार उप-मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी भी राज्यसभा सदस्य बनकर खलिहर बैठे हैं। अगर मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो उनका दावा मजबूत होगा।
(अमरनाथ झा वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल पटना में रहते हैं।)